बिहार में महिला उद्यमिता की स्थिति ने हाल के वर्षों में महत्वपूर्ण प्रगति देखी है, लेकिन कई चुनौतियाँ भी हैं जो इस क्षेत्र के विकास को प्रभावित करती हैं। निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से बिहार में महिला उद्यमिता की वर्तमान स्थिति का विस्तृत विश्लेषण किया जा सकता है:
1. महिला उद्यमिता का वर्तमान परिदृश्य
- उद्यमिता की वृद्धि: बिहार में महिला उद्यमिता में तेजी से वृद्धि हो रही है, विशेषकर कृषि, हस्तशिल्प, खाद्य प्रसंस्करण, और सेवा क्षेत्र में। छोटे और मध्यम उद्यमों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है।
- स्वयं सहायता समूह (SHGs): लाखों महिलाओं ने स्वयं सहायता समूहों में शामिल होकर छोटे व्यवसाय शुरू किए हैं और सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाओं को पार किया है।
महिलाओं में उद्यमिता की प्रवृत्ति देखें तो उत्तर बिहार के जिलों में यह अधिक है। उद्योग विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए 2022-23 का आंकड़ा यह बताता है कि कुल 1052 महिलाओं का इस योजना के लिए चयन किया गया है। इनमें सबसे अधिक 61 पूर्वी चंपारण जिले से हैं।
इस तरह आगे हैं उत्तर बिहार की महिलाएं:
- महिला उद्यमिता का आंकड़ा पूर्वी चंपारण के 61 के साथ पूरे बिहार में तो आगे है ही साथ में उत्तर बिहार के कई अन्य जिलों में भी महिला उद्यमिता की रफ्तार तेज है। पश्चिम चंपारण में यह 40, मुजफ्फरपुर में 47, मधुबनी में 45, दरभंगा में 45, समस्तीपुर में 40, सीतामढ़ी मे 39, सारण में 41सिवान में 33, तथा गोपालगंज में 26 है।
- उत्तर बिहार के शिवहर जिले में मात्र 6 महिलाओं को ही इस योजना का लाभ मिल पाया है।
पटना व उसके आसपास के जिले में गति बहुत तेज नहीं:
- पटना व उससे सटे जिलों में महिला उद्यमिता की प्रवृत्ति तेज तो जरूर है पर उसमें अपेक्षित तीव्रता नहीं है। पटना में 40 महिलाओं ने इस योजना का लाभ लिया है। वहीं गया में 46, नालंदा में 29, जहानाबाद में 11, बक्सर मे 17, भोजपुर में 21, रोहतास में 22, कैमूर में 19 तथा वैशाली में महिलाओं का चयन मुख्यमंत्री महिला उद्यमी योजना के लिए हुआ है।
2. उपलब्ध अवसर
- कृषि आधारित उद्यम: कृषि उत्पाद जैसे कि फल-फूल, सब्ज़ियाँ, और दूध आधारित उत्पादों में महिला उद्यमियों की भागीदारी बढ़ रही है। महिलाओं द्वारा खेती और पशुपालन में सक्रिय भागीदारी देखी जाती है।
- हस्तशिल्प और कला: बुनाई, कढ़ाई, और अन्य हस्तशिल्प क्षेत्रों में महिला उद्यमियों ने अपनी पहचान बनाई है। स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में इन उत्पादों की मांग बढ़ रही है।
- फूड प्रोसेसिंग: खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, जैसे अचार, मुरब्बा, और मसाले, में महिलाओं ने अपना व्यवसाय स्थापित किया है।
3. चुनौतियाँ
- वित्तीय संसाधनों की कमी: महिलाओं को पूंजी और ऋण प्राप्त करने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई बार उन्हें उच्च ब्याज दरों और जटिल ऋण प्रक्रियाओं का सामना करना पड़ता है।
- शिक्षा और कौशल की कमी: कई महिलाओं को व्यवसायिक प्रशिक्षण और तकनीकी कौशल की कमी होती है, जिससे उनकी उद्यमिता की सफलता प्रभावित होती है।
- सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाएँ: पारंपरिक सामाजिक मान्यताएँ और सांस्कृतिक अपेक्षाएँ महिलाओं के उद्यमिता प्रयासों को सीमित कर सकती हैं।
4. सरकारी नीतियाँ और योजनाएँ
- प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY): यह योजना छोटे व्यवसायों के लिए ऋण प्रदान करती है, जिसमें महिलाओं को प्राथमिकता दी जाती है।
- महिला उद्यमिता प्रोत्साहन योजना: विभिन्न योजनाएँ और सब्सिडी जो महिलाओं को व्यवसाय स्थापित करने में मदद करती हैं।
- स्वयं सहायता समूह (SHGs): SHGs को वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है, जो महिला उद्यमिता को प्रोत्साहित करता है।
- बिहार मुख्यमंत्री महिला उद्यमी योजना: महिलाओं को कुल 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता राशि दी जाएगी।
5. प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण
- प्रशिक्षण कार्यक्रम: महिला उद्यमियों के लिए प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसमें व्यवसायिक प्रशिक्षण, तकनीकी शिक्षा, और प्रबंधन कौशल शामिल हैं।
- स्थानीय और राष्ट्रीय कार्यक्रम: राज्य और केंद्र सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं के तहत महिला उद्यमियों को सहायता प्रदान की जाती है।
6. सफलता की कहानियाँ
- स्थानीय महिला उद्यमियों की कहानियाँ: बिहार की कुछ महिला उद्यमियों ने अपने व्यवसायों में सफलता प्राप्त की है और स्थानीय समुदाय में सकारात्मक बदलाव लाए हैं।
- सर्वश्रेष्ठ प्रथाएँ: सफल महिला उद्यमियों के द्वारा अपनाए गए रणनीतियाँ और प्रथाएँ जो अन्य महिलाओं को प्रेरित करती हैं।
7. भविष्य की दिशा
- विकास की योजनाएँ: महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए भविष्य में नई योजनाओं और नीतियों की योजना बनाई जा रही है।
- उद्यमिता में नवाचार: तकनीकी और व्यवसायिक नवाचार महिला उद्यमियों के लिए नए अवसर प्रदान कर सकते हैं।
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