- इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी: बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है, जिससे अस्पतालों, चिकित्सा संस्थानों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति प्रभावित होती है।
- निम्न गुणवत्ता वाली देखभाल:
- कई स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सा सुविधाओं की गुणवत्ता खराब है।
- प्रशिक्षण की कमी और संसाधनों की कमी के कारण कई रोगियों को उचित उपचार नहीं मिल पाता है।
- कम चिकित्सा स्टाफ: चिकित्सा कर्मचारियों की कमी भी एक मुख्य समस्या है, खासकर गांवों और दूरदराज क्षेत्रों में।
- दवाओं की आपूर्ति: कई बार बिहार में दवाओं की समस्या रहती है, जिससे चिकित्सा सेवाओं की प्रभावीता पर प्रभाव पड़ता है।
- मातृ और शिशु मृत्यु दर:
- बिहार में मातृ और शिशु मृत्यु दर भारत में सबसे अधिक है।
- प्रसवपूर्व देखभाल की कमी, प्रसव के दौरान जटिलताएं और कुपोषण नवजात शिशुओं और माताओं की मृत्यु के प्रमुख कारण हैं।
- अधिकांश लोगों की आर्थिक कमजोरी: आर्थिक कमजोरी के कारण अधिकांश लोग उच्च चिकित्सा व्यय संबंधित समस्याओं से घिरे रहते हैं।
- स्वास्थ्य जागरूकता की कमी: कई स्थानों पर स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता की कमी है, जिससे लोग उचित चिकित्सा सेवाओं तक पहुँचने में दिक्कतें आ सकती हैं।
- कुपोषण:
- बिहार में कुपोषण एक बड़ी समस्या है, खासकर बच्चों में।
- कुपोषण कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है, जिसमें स्टंटिंग, वेस्टिंग और कम प्रतिरक्षा प्रणाली शामिल है।
बिहार सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए कई पहल कर रही है, जिनमें शामिल हैं:
1. आम्रोग सुविधाओं का निर्माण:
- नए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) का निर्माण किया जा रहा है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
- इन स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों, नर्सों, दवाओं और आवश्यक चिकित्सा उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है।
- कुछ प्रमुख परियोजनाओं में मुख्यमंत्री ग्रामीण स्वास्थ्य योजना और स्मार्ट अस्पताल योजना शामिल हैं।
2. मानव संसाधनों को मजबूत करना:
- डॉक्टरों, नर्सों, फार्मासिस्टों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती के लिए नियमित अभियान चलाए जा रहे हैं।
- स्वास्थ्य कर्मियों के लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
- आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा जैसे वैकल्पिक चिकित्सा प्रणालियों में भी कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
3. दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की उपलब्धता में सुधार:
- सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
- जेनेरिक दवाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि दवाओं की लागत कम हो सके।
- टेलीमेडिसिन और ई-हेल्थ जैसी तकनीकों का उपयोग दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच प्रदान करने के लिए किया जा रहा है।
4. रोगों से निपटना:
- टीकाकरण अभियानों को तेज किया जा रहा है खासकर बच्चों के लिए।
- संक्रामक रोगों जैसे मलेरिया, टीबी और डायरिया के नियंत्रण और उन्मूलन के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
- स्वच्छता और स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं।
5. मातृ और शिशु स्वास्थ्य में सुधार:
- गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
- प्रसवपूर्व देखभाल, प्रसव के दौरान देखभाल और प्रसवोत्तर देखभाल तक पहुंच में सुधार किया जा रहा है।
- कुपोषण से लड़ने के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जो मातृ और शिशु मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण है।
6. स्वास्थ्य बीमा योजनाएं:
- राज्य सरकार ने “मुख्यमंत्री चिरायु स्वास्थ्य बीमा योजना” जैसी स्वास्थ्य बीमा योजनाएं शुरू की हैं जो गरीब और कम आय वाले लोगों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती हैं।
- इन योजनाओं के तहत, लाभार्थी सरकारी और निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज प्राप्त कर सकते हैं।
7. जागरूकता अभियान:
- लोगों को स्वास्थ्य और स्वच्छता के बारे में जागरूक करने के लिए नियमित जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं।
- इन अभियानों में स्वस्थ जीवन शैली अपनाने, संक्रामक रोगों से बचाव और सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं के बारे में जानकारी देने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
8. पोषण में सुधार:
- सरकार अनाज वितरण, पूरक आहार कार्यक्रम और पोषण शिक्षा के माध्यम से पोषण में सुधार के लिए काम कर रही है।
9. बिहार स्वास्थ्य समृद्धि मिशन:
- इस मिशन के तहत, सरकार ने स्वास्थ्य बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करने के लिए कार्य किया है, जिसमें स्वास्थ्य केंद्रों की बेहतर सेवा, तकनीकी सहायता, और व्यापक स्वास्थ्य जागरूकता शामिल हैं।
Leave a Reply