बिहार के राजस्व स्रोत विभिन्न प्रकार के होते हैं, जिनसे राज्य सरकार की वित्तीय स्थिति और विकासात्मक परियोजनाओं के लिए आवश्यक संसाधन जुटाए जाते हैं।
इन स्रोतों को सामान्यतः निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
1. कर राजस्व
(a) प्रत्यक्ष कर (Direct Taxes):
- आयकर (Income Tax): यह कर व्यक्तिगत और व्यवसायों की आय पर आधारित होता है। हालांकि, आयकर का मुख्य संग्रहण केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है, लेकिन राज्य को इस पर आधारित कुछ लाभ मिलते हैं।
- संपत्ति कर (Property Tax): यह कर शहरी और ग्रामीण संपत्तियों पर लगाया जाता है और इसका उपयोग स्थानीय निकायों द्वारा किया जाता है।
(b) अप्रत्यक्ष कर (Indirect Taxes):
- मूल्य वर्धित कर (VAT): वस्त्र और सेवाओं पर लगाया जाने वाला कर, जिसे अब जीएसटी (GST) द्वारा बदल दिया गया है।
- जीएसटी (Goods and Services Tax): यह वस्त्र और सेवाओं पर लगाया जाता है और यह एक साझा कर प्रणाली है जिसमें राज्य और केंद्र दोनों हिस्सेदार हैं।
- शराब पर कर (Excise Duty): शराब और अन्य मादक पदार्थों पर लगाए जाने वाले करों का संग्रह।
2. स्थानीय राजस्व स्रोत
- स्थानीय निकाय कर (Municipal Taxes): शहरी क्षेत्रों में नगर निगमों और नगर पालिकाओं द्वारा संकलित किए जाते हैं, जैसे कि संपत्ति कर और व्यापार कर।
- ग्रामीण स्थानीय कर (Rural Local Taxes): पंचायतों द्वारा संकलित किए जाने वाले स्थानीय कर, जैसे कि भूमि कर।
3. संपत्ति और भूमि से प्राप्त राजस्व
- भूमि राजस्व (Land Revenue): यह राजस्व कृषि भूमि, वाणिज्यिक भूमि, और आवासीय भूमि पर आधारित होता है।
- भूमि अधिग्रहण शुल्क (Land Acquisition Charges): जब सरकार भूमि अधिग्रहण करती है, तो इससे प्राप्त होने वाली राशि।
4. आय और लाभ
- राज्य संपत्ति और उद्यमों से आय (State-Owned Enterprises): राज्य द्वारा संचालित उपक्रमों, जैसे कि सरकारी निगम और कंपनियों से प्राप्त आय।
- सरकारी संपत्तियों से किराया (Rent from Government Properties): सरकारी भवनों और संपत्तियों से प्राप्त किराया।
5. केंद्र सरकार से प्राप्त अनुदान और सहायता
- अनुदान (Grants): केंद्रीय योजनाओं और परियोजनाओं के लिए राज्य को मिलने वाले अनुदान।
- सहायता (Assistance): विशेष विकास योजनाओं और आपातकालीन परिस्थितियों के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता।
6. सामाजिक और विकासात्मक योजनाओं के तहत धनराशि
- विशेष योजना फंड (Special Scheme Funds): केंद्र और राज्य सरकार द्वारा विशेष योजनाओं के लिए निर्धारित फंड।
- विकासात्मक परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता (Financial Assistance for Development Projects): विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए निर्धारित धनराशि।
7. उपकर और शुल्क
- रजिस्ट्रेशन शुल्क (Registration Fees): संपत्ति, वाहन, और अन्य रजिस्ट्रेशन से प्राप्त शुल्क।
- लाइसेंस शुल्क (License Fees): व्यापार, पेशेवर सेवाओं, और अन्य लाइसेंसों के लिए निर्धारित शुल्क।
8. ऋण और बॉंड्स
- राजस्व बॉंड्स (Revenue Bonds): विकास परियोजनाओं के लिए जारी किए गए बॉंड्स से प्राप्त धन।
- राज्य ऋण (State Loans): राज्य सरकार द्वारा विभिन्न परियोजनाओं और विकास कार्यों के लिए उठाए गए ऋण।
9. स्वतंत्र राजस्व (Non-Tax Revenue):
- इसमें जुर्माना, जुर्माना शुल्क और अन्य प्रकार की आय शामिल हैं।
10. राज्य संपत्ति की बिक्री और पट्टा (Sale and Lease of State Property):
- राज्य की संपत्ति की बिक्री या पट्टे से प्राप्त राजस्व।
निष्कर्ष
बिहार के राजस्व स्रोत विविध प्रकार के होते हैं और राज्य सरकार को वित्तीय स्थिरता और विकासात्मक परियोजनाओं के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान करते हैं। कर राजस्व, संपत्ति और भूमि से प्राप्त राजस्व, केंद्र सरकार से प्राप्त अनुदान और सहायता, और अन्य स्रोत मिलकर राज्य की वित्तीय स्थिति को मजबूत करते हैं। इन स्रोतों के सही प्रबंधन और प्रभावी उपयोग से बिहार के विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया जा सकता है।
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