प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक महत्वाकांक्षी योजना है। इसका उद्देश्य देश में सूखे से प्रभावित क्षेत्रों में सिंचाई सुविधाओं में सुधार करना और किसानों की आय में वृद्धि करना है। बिहार इस योजना के तहत लाभान्वित राज्यों में से एक है।
1. लक्ष्य और उद्देश्य
- हर खेत को पानी: सभी कृषि योग्य भूमि को सिंचाई सुविधा प्रदान करना।
- जल संसाधनों का कुशल उपयोग: जल संसाधनों का प्रभावी और कुशल उपयोग सुनिश्चित करना।
- जल संचयन और संरक्षण: जल संचयन और संरक्षण के उपायों को प्रोत्साहित करना।
- सिंचाई दक्षता में सुधार: सिंचाई प्रणालियों की दक्षता में सुधार करना।
2. मुख्य घटक और गतिविधियाँ
- जल संचयन संरचनाएँ: तालाबों, चेक डैम, कुएँ, और जलाशयों का निर्माण और सुधार।
- सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली: ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों का प्रोत्साहन।
- कृषि जल प्रबंधन: जल संसाधनों के कुशल प्रबंधन के लिए तकनीकी और प्रशिक्षण।
- कमांड एरिया विकास: सिंचाई परियोजनाओं के तहत कमांड एरिया का विकास।
3. वित्तीय सहायता और सब्सिडी
- केंद्रीय और राज्य सरकारों की वित्तीय सहायता: परियोजनाओं के लिए केंद्रीय और राज्य सरकारों से वित्तीय सहायता।
- किसानों को सब्सिडी: सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियों और अन्य सिंचाई उपायों के लिए किसानों को सब्सिडी।
4. तकनीकी सहायता और विस्तार सेवाएँ
- तकनीकी प्रशिक्षण: किसानों और कृषि अधिकारियों को सिंचाई तकनीकों के बारे में प्रशिक्षण।
- विस्तार सेवाएँ: सिंचाई प्रणालियों की स्थापना और रखरखाव के लिए विस्तार सेवाओं का सुदृढ़ीकरण।
5. बुनियादी ढाँचा विकास
- जल भंडारण संरचनाएँ: बड़े और छोटे जलाशयों का निर्माण और सुधार।
- सिंचाई नेटवर्क: नहरों और पाइपलाइन नेटवर्क का विस्तार और सुधार।
6. जलवायु-स्मार्ट सिंचाई
- जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन: जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को ध्यान में रखते हुए सिंचाई पद्धतियों का विकास।
- जलवायु-स्मार्ट कृषि: जलवायु-स्मार्ट कृषि पद्धतियों का प्रोत्साहन।
7. सफलताएँ और प्रभाव
- सिंचाई क्षेत्र में विस्तार: सिंचाई सुविधा वाले क्षेत्र में वृद्धि।
- फसल उत्पादकता में सुधार: सिंचाई सुविधाओं के कारण फसल उत्पादकता में सुधार।
- किसानों की आय में वृद्धि: उन्नत सिंचाई प्रणालियों के उपयोग से किसानों की आय में वृद्धि।
- जल संसाधनों का संरक्षण: जल संसाधनों के कुशल उपयोग और संरक्षण में वृद्धि।
8. चुनौतियाँ और समाधान
- परियोजना कार्यान्वयन में समस्याएँ: परियोजनाओं के समय पर और कुशल कार्यान्वयन में समस्याएँ।
- जागरूकता का अभाव: किसानों में योजना की जानकारी और लाभ के बारे में जागरूकता की कमी।
- तकनीकी संसाधनों की कमी: डिजिटल प्लेटफार्मों और उपकरणों की कमी।
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