समावेशी कृषि विकास का उद्देश्य कृषि क्षेत्र में सभी हितधारकों, विशेषकर लघु और सीमांत किसानों, महिला कृषकों, और कृषि सहकारी समितियों के विकास को प्रोत्साहित करना है। बिहार में इस दिशा में कई नीतियाँ और कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जिनका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में समावेशी और स्थायी विकास सुनिश्चित करना है। निम्नलिखित बिंदुओं में इन विभिन्न पहलुओं का विवरण दिया गया है:
लघु और सीमांत किसानों का विकास:
- कृषि विस्तार सेवाओं को मजबूत करना:
- कृषि सेवा केंद्रों (CSC) और जन सेवा केंद्रों (JSK) के माध्यम से लघु और सीमांत किसानों तक पहुंच बढ़ाना।
- इन केंद्रों में महिला कृषि विस्तार अधिकारियों (KVK) की नियुक्ति करना।
- किसानों को नवीनतम कृषि तकनीकों, जल प्रबंधन, बीज चयन, कीट नियंत्रण और उर्वरक प्रबंधन के बारे में जानकारी प्रदान करना।
- वित्तीय सहायता:
- लघु और सीमांत किसानों को कृषि ऋण, अनुदान और सब्सिडी तक आसान पहुंच प्रदान करना।
- किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) जैसी योजनाओं का लाभ उठाना।
- किसानों को फसल बीमा और पशुधन बीमा के लिए प्रोत्साहित करना।
- कृषि मशीनीकरण:
- कृषि कार्यों को अधिक कुशल और प्रभावी बनाने के लिए लघु और सीमांत किसानों को कृषि मशीनरी और उपकरणों तक पहुंच प्रदान करना।
- इन मशीनों के संचालन और रखरखाव के लिए प्रशिक्षण प्रदान करना।
- सामुदायिक कृषि मशीनरी रेंटल केंद्रों की स्थापना करना।
- बाजार तक पहुंच:
- लघु और सीमांत किसानों को अपनी उपज के लिए बेहतर बाजार मूल्य प्राप्त करने में मदद करना।
- किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) और कृषि सहकारी समितियों को मजबूत करना।
- कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन और प्रसंस्करण को बढ़ावा देना।
- कृषि अनुसंधान:
- लघु और सीमांत किसानों की जरूरतों के अनुरूप फसलों और किस्मों को विकसित करना।
- सूखा प्रतिरोधी, बाढ़ प्रतिरोधी और रोग प्रतिरोधी फसलों पर ध्यान केंद्रित करना।
- जलवायु परिवर्तन के अनुकूल कृषि प्रथाओं को विकसित करना।
महिला कृषक:
- महिलाओं को कृषि शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करना:
- महिला किसानों के लिए विशेष कृषि प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।
- महिला कृषि विद्यालयों और कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) की स्थापना करना।
- महिला किसानों को कृषि तकनीकों, उद्यमिता और वित्तीय प्रबंधन के बारे में शिक्षित करना।
- महिलाओं को कृषि वित्त और ऋण तक पहुंच प्रदान करना:
- महिला किसानों के लिए विशेष ऋण योजनाएं शुरू करना।
- महिलाओं को किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) और अन्य वित्तीय सहायता योजनाओं तक पहुंच प्रदान करना।
- महिलाओं को कृषि बीमा और पशुधन बीमा के लिए प्रोत्साहित करना।
- महिला किसानों के लिए स्वयं सहायता समूहों (SHGs) का गठन करना:
- महिला किसानों को अपनी समस्याओं को साझा करने, संसाधनों को साझा करने और एक दूसरे का समर्थन करने के लिए एक मंच प्रदान करना।
- SHGs को कृषि ऋण, प्रशिक्षण और बाजार तक पहुंच प्राप्त करने में सहायता करना।
- महिलाओं को कृषि सहकारी समितियों में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करना:
- महिलाओं को नेतृत्व की भूमिकाएं निभाने और निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करना।
- महिलाओं को सहकारी समितियों के प्रबंधन और संचालन में प्रशिक्षण प्रदान करना।
समावेशी विकास की सफलताएँ और प्रभाव
- कृषि उत्पादकता में वृद्धि: लघु और सीमांत किसानों की उत्पादकता में सुधार।
- महिला सशक्तिकरण: कृषि क्षेत्र में महिला किसानों की बढ़ती भागीदारी।
- सहकारी समितियों का सुदृढ़ीकरण: सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को बेहतर समर्थन।
- आर्थिक समृद्धि: समावेशी विकास के माध्यम से किसानों की आय और जीवन स्तर में सुधार।
Leave a Reply