माइक्रो हाइड्रो पावर छोटी नदियों और जलधाराओं से प्राप्त स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा का एक स्रोत है।अगर आपकी प्रॉपर्टी से पानी बहता है, तो आप बिजली पैदा करने के लिए एक छोटी हाइड्रोपावर प्रणाली बनाने पर विचार कर सकते हैं। माइक्रोहाइड्रोपावर सिस्टम आमतौर पर 100 किलोवाट तक बिजली पैदा करते हैं।
माइक्रो हाइड्रो पावर के लाभ:
- स्वच्छ ऊर्जा: माइक्रो हाइड्रो पावर एक स्वच्छ ऊर्जा स्रोत है जो पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करता है।
- नवीकरणीय: माइक्रो हाइड्रो पावर एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है जो कभी खत्म नहीं होगा।
- विश्वसनीय: माइक्रो हाइड्रो पावर प्लांट बिजली उत्पादन का एक विश्वसनीय स्रोत हैं।
- कम रखरखाव: माइक्रो हाइड्रो पावर प्लांटों का रखरखाव अपेक्षाकृत कम होता है।
- ग्रामीण विकास: माइक्रो हाइड्रो पावर ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की उपलब्धता में सुधार कर सकता है और ग्रामीण विकास को बढ़ावा दे सकता है।
माइक्रो हाइड्रो पावर की क्षमता:
बिहार में माइक्रो हाइड्रो पावर की प्रचुर क्षमता है। राज्य में कई नदियां और जलधाराएं हैं जिनका उपयोग माइक्रो हाइड्रो पावर प्लांट स्थापित करने के लिए किया जा सकता है। अनुमान है कि बिहार में माइक्रो हाइड्रो पावर से 1000 मेगावाट से अधिक बिजली का उत्पादन किया जा सकता है।
माइक्रो हाइड्रो पावर के लिए सरकारी पहल:
- योजनाएं और प्रोत्साहन: बिहार सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में माइक्रो हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स के विकास के लिए विभिन्न योजनाओं की शुरुआत की है। इन योजनाओं में ऊर्जा संसाधनों के विकास के लिए वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण, और तकनीकी समर्थन प्रदान किया जाता है।
- सब्सिडी और वित्तीय सहायता: सरकार द्वारा माइक्रो हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स के लिए वित्तीय सहायता और सब्सिडी प्रदान की जाती है। यह सहायता प्रारंभिक लागत कम करने में मदद करती है और प्रोजेक्ट को संभव बनाती है।
- तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण: ग्रामीण क्षेत्रों में यहां के निवासियों को माइक्रो हाइड्रो पावर प्रौद्योगिकी के बारे में जागरूक करने और तकनीकी ज्ञान प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
- विकासशील गाँवों के लिए उपयोग: बिहार में माइक्रो हाइड्रो पावर प्रौद्योगिकी के उपयोग का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण और विकासशील क्षेत्रों में ऊर्जा स्वावलंबन को बढ़ाना है। यह उन क्षेत्रों में बिजली पहुंचाने में मदद करता है, जो ग्रिड से दूर हैं या जहां बिजली की आपूर्ति अस्तित्व में है।
- पर्यावरणीय लाभ: माइक्रो हाइड्रो पावर प्रौद्योगिकी का उपयोग करने से पर्यावरण में कमी आती है और वायु प्रदूषण को भी कम किया जाता है। यह स्थानीय स्तर पर स्वच्छ और हरित ऊर्जा का स्रोत प्रदान करता है।
उदाहरण:
- सोनपुर माइक्रो हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट: यह बिहार का पहला माइक्रो हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट है जो 1.5 मेगावाट बिजली का उत्पादन करता है।
- नागझिरी माइक्रो हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट: यह बिहार का दूसरा माइक्रो हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट है जो 2 मेगावाट बिजली का उत्पादन करता है।
माइक्रो हाइड्रो पावर की विकास:
- बिहार सरकार एमएचपी विकास को बढ़ावा देने के लिए कई पहल कर रही है।
- 2018 में, सरकार ने “बिहार नवीकरणीय ऊर्जा नीति” जारी की, जिसका उद्देश्य 2030 तक राज्य में 1000 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करना है।
- इस नीति में एमएचपी को बढ़ावा देने के लिए कई प्रावधान शामिल हैं, जिनमें सब्सिडी, कर छूट और वित्तीय सहायता शामिल हैं।
माइक्रो हाइड्रो पावर परियोजनाएँ:
- इनमें से कुछ प्रमुख परियोजनाएँ निम्नलिखित हैं:
- सोनबरसा एमएचपी परियोजना (2.5 मेगावाट): यह परियोजना गया जिले में स्थित है और 2023 में पूरी होने की उम्मीद है।
- फुलवारी एमएचपी परियोजना (1.5 मेगावाट): यह परियोजना नवादा जिले में स्थित है और 2024 में पूरी होने की उम्मीद है।
- कोसी एमएचपी परियोजना (3 मेगावाट): यह परियोजना सहरसा जिले में स्थित है और 2025 में पूरी होने की उम्मीद है।
माइक्रो हाइड्रो पावर की चुनौतियाँ:
- उच्च प्रारंभिक लागत: एमएचपी परियोजनाओं की प्रारंभिक लागत अपेक्षाकृत अधिक है।
- जमीन की आवश्यकता: एमएचपी परियोजनाओं के लिए बड़ी मात्रा में भूमि की आवश्यकता होती है।
- पर्यावरणीय प्रभाव: एमएचपी परियोजनाओं का नदी के प्रवाह और आसपास के पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
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