बिहार में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्र के विकास के लिए सरकार द्वारा विभिन्न नीतियाँ और योजनाएँ बनाई गई हैं। ये नीतियाँ और योजनाएँ MSME को वित्तीय सहायता, तकनीकी उन्नयन, कौशल विकास, और बाजार में प्रतिस्पर्धा करने में मदद करती हैं।
यहाँ पर कुछ प्रमुख सरकारी नीतियों और योजनाओं का विवरण दिया गया है:
सरकारी नीतियाँ
1. बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति, 2016
- निवेश प्रोत्साहन: इस नीति का उद्देश्य राज्य में निवेश को बढ़ावा देना और औद्योगिक विकास को गति देना है।
- वित्तीय सहायता: नई और विस्तारित इकाइयों के लिए कैपिटल सब्सिडी, टैक्स इंसेंटिव, और इंटरेस्ट सबवेंशन जैसी वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
- इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास: औद्योगिक पार्कों और क्लस्टर्स का विकास।
2. बिहार स्टार्टअप नीति, 2017
- स्टार्टअप्स का प्रोत्साहन: इस नीति के तहत राज्य में स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन और समर्थन प्रदान किया जाता है।
- वित्तीय अनुदान: नए उद्यमियों को बीज कोष, वेंचर कैपिटल और अन्य वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है।
- इन्क्यूबेशन सेंटर: इनक्यूबेशन सेंटर और अन्य सहायक संरचनाओं का विकास।
3. बिहार MSME नीति, 2020
- MSME का समग्र विकास: इस नीति का उद्देश्य MSME क्षेत्र के समग्र विकास को बढ़ावा देना है।
- वित्तीय समर्थन: MSME इकाइयों के लिए सब्सिडी, टैक्स इंसेंटिव, और ऋण गारंटी योजनाएँ।
- कौशल विकास: उद्यमियों और श्रमिकों के लिए प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रम।
4. बिहार टेक्सटाइल्स एंड गार्मेंट्स पॉलिसी, 2017
- वस्त्र उद्योग का विकास: वस्त्र और परिधान उद्योग में निवेश को बढ़ावा देना।
- वित्तीय अनुदान: नए और विस्तारित इकाइयों के लिए वित्तीय अनुदान और सब्सिडी।
- बुनियादी ढाँचा: टेक्सटाइल पार्क और क्लस्टर्स का विकास।
सरकारी योजनाएँ
1. प्रधान मंत्री मुद्रा योजना (PMMY)
- वित्तीय सहायता: MSME को मुद्रा (माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी) योजना के तहत ऋण प्रदान किया जाता है।
- शिशु, किशोर और तरुण: योजना के अंतर्गत तीन श्रेणियाँ – शिशु (50,000 रुपये तक), किशोर (50,000 से 5 लाख रुपये), और तरुण (5 लाख से 10 लाख रुपये)।
2. प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP)
- स्वरोजगार का प्रोत्साहन: इस योजना के तहत नए उद्यमियों को स्वरोजगार स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
- वित्तीय सहायता: परियोजना लागत का 15-35% तक सब्सिडी प्रदान की जाती है।
3. सूक्ष्म और लघु उद्यम क्लस्टर विकास कार्यक्रम (MSE-CDP)
- क्लस्टर विकास: MSME क्लस्टरों के समग्र विकास के लिए वित्तीय सहायता।
- इन्फ्रास्ट्रक्चर: कॉमन फैसिलिटी सेंटर, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, और अन्य सहायता।
4. उद्यमिता और कौशल विकास कार्यक्रम (ESDP)
- कौशल विकास: उद्यमियों और श्रमिकों के लिए प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रम।
- प्रशिक्षण मॉड्यूल: विभिन्न विषयों पर विशेष प्रशिक्षण मॉड्यूल और कार्यशालाएँ।
5. क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज (CGTMSE)
- ऋण गारंटी: बिना संपार्श्विक के ऋण प्रदान करने के लिए गारंटी।
- वित्तीय पहुंच: MSME को बैंकों और वित्तीय संस्थानों से आसानी से ऋण प्राप्त करने में मदद।
6. तकनीकी उन्नयन कोष योजना (TUFS)
- तकनीकी उन्नयन: MSME को आधुनिक तकनीकों और उपकरणों को अपनाने के लिए वित्तीय सहायता।
- उपकरण अनुदान: नए उपकरणों और मशीनों की खरीद पर अनुदान।
7. एससी/एसटी उद्यमी योजना
- वंचित वर्गों का समर्थन: अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों को वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण।
- वित्तीय प्रोत्साहन: परियोजना लागत का सब्सिडी और अनुदान।
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