बिहार में खर्च और वित्तीय प्रबंधन एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जो राज्य की आर्थिक स्थिति, विकास योजनाओं, और सामाजिक कल्याण परियोजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन को प्रभावित करता है। राज्य के वित्तीय प्रबंधन के प्रमुख पहलू निम्नलिखित हैं:
1. राजस्व और खर्च का प्रबंधन
(a) राजस्व प्रबंधन:
- राजस्व संग्रह: बिहार सरकार विभिन्न करों, जैसे जीएसटी, आयकर, और अन्य स्थानीय करों से राजस्व प्राप्त करती है। साथ ही, राज्य को केंद्र सरकार से अनुदान और सहायता भी मिलती है।
- राजस्व वृद्धि: राज्य सरकार राजस्व संग्रह में वृद्धि के लिए नई नीतियाँ अपनाती है, जैसे कर सुधार और राजस्व आधारित योजनाएँ।
(b) खर्च प्रबंधन:
- वित्तीय बजट: बिहार सरकार हर वर्ष एक वित्तीय बजट प्रस्तुत करती है, जिसमें विभिन्न विभागों और योजनाओं के लिए आवंटित धनराशि की जानकारी दी जाती है।
- वित्तीय अनुशासन: खर्च की निगरानी और नियंत्रण के लिए वित्तीय अनुशासन बनाए रखना आवश्यक है, ताकि व्यय को नियंत्रित किया जा सके और बजट अधिशेष को रोकने के लिए कदम उठाए जा सकें।
2. वित्तीय योजनाएँ और नीतियाँ
(a) राज्य बजट:
- बजट आवंटन: राज्य बजट में विभिन्न क्षेत्रों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, और बुनियादी ढाँचे के लिए धनराशि आवंटित की जाती है।
- बजट समीक्षा: बजट के कार्यान्वयन की नियमित समीक्षा की जाती है ताकि योजनाओं की प्रगति और बजट के उपयोग का मूल्यांकन किया जा सके।
(b) वित्तीय सुधार योजनाएँ:
- राजस्व सुधार: कर प्रणाली में सुधार और नई राजस्व नीतियों का कार्यान्वयन।
- खर्च में नियंत्रण: बेवजह के खर्च और गैर-आवश्यक व्यय को कम करने के उपाय।
3. वित्तीय प्रबंधन के प्रमुख क्षेत्र
(a) सार्वजनिक धन प्रबंधन:
- खर्च की निगरानी: राज्य के सार्वजनिक धन के उपयोग की निगरानी और सही प्रबंधन।
- प्रस्तावित योजनाओं का मूल्यांकन: नई योजनाओं और परियोजनाओं की वित्तीय योग्यता और प्रभाव का मूल्यांकन।
(b) ऋण प्रबंधन:
- राज्य ऋण: विकास कार्यों और योजनाओं के लिए उठाए गए ऋण का प्रबंधन।
- ऋण पुनरसंरचना: ऋणों के पुनरसंरचना और पुनर्भुगतान की योजनाओं का कार्यान्वयन।
4. सामाजिक कल्याण योजनाओं के लिए वित्तीय प्रबंधन
(a) कल्याणकारी योजनाएँ:
- आयुष्मान भारत: गरीब परिवारों को स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करने के लिए योजना।
- प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY): गरीबों को आवासीय सुविधाएँ प्रदान करने के लिए योजना।
(b) सामाजिक सुरक्षा:
- पेंशन योजनाएँ: वृद्धावस्था पेंशन और अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए धन आवंटन।
5. वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता
(a) ऑडिट और समीक्षा:
- आंतरिक ऑडिट: सरकारी विभागों और योजनाओं के वित्तीय प्रबंधन की नियमित ऑडिट।
- बाहरी ऑडिट: स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा वित्तीय प्रबंधन की समीक्षा।
(b) पारदर्शिता और जवाबदेही:
- जनता की भागीदारी: सरकारी खर्च और योजनाओं के कार्यान्वयन में पारदर्शिता बनाए रखना।
- सूचना का खुलासा: वित्तीय डेटा और बजट की जानकारी जनता के साथ साझा करना।
निष्कर्ष
बिहार में खर्च और वित्तीय प्रबंधन की दिशा राज्य की आर्थिक स्थिति, विकासात्मक परियोजनाओं, और सामाजिक कल्याण योजनाओं के सफल कार्यान्वयन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। एक प्रभावी वित्तीय प्रबंधन प्रणाली का निर्माण करने के लिए सही बजट निर्माण, खर्च पर नियंत्रण, वित्तीय अनुशासन, और पारदर्शिता बनाए रखना आवश्यक है। इन उपायों के माध्यम से बिहार के वित्तीय संसाधनों का उचित उपयोग सुनिश्चित किया जा सकता है और राज्य के विकास को तेजी से आगे बढ़ाया जा सकता है।
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