बिहार में ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना एक महत्वपूर्ण पहल है जो राज्य के विकास और ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए की जा रही है। यहां कुछ प्रमुख ऊर्जा संयंत्र और परियोजनाएं हैं जो बिहार में स्थापित की गई हैं या स्थापित की जा रही हैं:
- बरौनी थर्मल पावर स्टेशन:
- स्थान: बेगूसराय जिला
- क्षमता: 720 मेगावाट (MW)
- संचालन: बिहार राज्य विद्युत बोर्ड (BSEB) द्वारा
- कजरा थर्मल पावर प्लांट:
- स्थान: लखीसराय जिला
- क्षमता: 1320 मेगावाट (MW)
- वर्तमान स्थिति: निर्माणाधीन
- नबीनगर सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट:
- स्थान: औरंगाबाद जिला
- क्षमता: 1980 मेगावाट (MW)
- संचालन: NTPC (National Thermal Power Corporation) द्वारा
- नॉर्थ कर्णपुरा सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट:
- स्थान: बिहार और झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्र में
- क्षमता: 1980 मेगावाट (MW)
- संचालन: NTPC द्वारा
- सौर ऊर्जा परियोजनाएं:
- बिहार सरकार सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भी कई परियोजनाओं पर काम कर रही है।
- विभिन्न जिलों में सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की जा रही है ताकि स्वच्छ और पुनरुत्थानशील ऊर्जा के स्रोत को बढ़ावा दिया जा सके
- बायोमास पावर प्रोजेक्ट्स:
- बिहार में बायोमास आधारित ऊर्जा परियोजनाओं पर भी कार्य हो रहा है।
- इस प्रकार की परियोजनाएं कृषि अवशेषों और अन्य जैविक सामग्री का उपयोग कर ऊर्जा उत्पादन में योगदान देती हैं।
- ताप विद्युत संयंत्र (Thermal Power Plants):
- ये बिहार में सबसे आम प्रकार के ऊर्जा संयंत्र हैं।
- वे कोयले, गैस या तेल को जलाकर बिजली पैदा करते हैं।
- बिहार में कई ताप विद्युत संयंत्र हैं, जिनमें पटना ताप विद्युत संयंत्र, बरौनी ताप विद्युत संयंत्र और कोइलवर ताप विद्युत संयंत्र शामिल हैं।
- लाभ: ताप विद्युत संयंत्र बड़ी मात्रा में बिजली का उत्पादन कर सकते हैं और अपेक्षाकृत कम लागत वाले होते हैं।
- चुनौतियां: ताप विद्युत संयंत्र वायु प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के प्रमुख स्रोत हैं।
8. जल विद्युत संयंत्र (Hydroelectric Power Plants):
- ये बिजली उत्पादन के लिए बहते पानी की ऊर्जा का उपयोग करते हैं।
- बिहार में कई नदियां हैं जिनमें जल विद्युत संयंत्रों की स्थापना की क्षमता है।
- कुछ प्रमुख जल विद्युत संयंत्रों में फुलवारी जल विद्युत संयंत्र, कोसी जल विद्युत संयंत्र और सोनबरसा जल विद्युत संयंत्र शामिल हैं।
- लाभ: जल विद्युत संयंत्र नवीकरणीय ऊर्जा का एक स्वच्छ स्रोत हैं और इनका पर्यावरण पर कम प्रभाव पड़ता है।
- चुनौतियां: जल विद्युत संयंत्रों के निर्माण के लिए बांधों की आवश्यकता होती है जो पर्यावरण और सामाजिक रूप से विघटनकारी हो सकते हैं।
9. पवन ऊर्जा संयंत्र (Wind Power Plants):
- ये बिजली उत्पादन के लिए हवा की ऊर्जा का उपयोग करते हैं।
- बिहार में कई क्षेत्र हैं जिनमें पवन ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की अच्छी क्षमता है।
- कुछ प्रमुख पवन ऊर्जा संयंत्रों में डुमरा पवन ऊर्जा संयंत्र और राजगीर पवन ऊर्जा संयंत्र शामिल हैं।
- लाभ: पवन ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा का एक स्वच्छ स्रोत है और इसका पर्यावरण पर कम प्रभाव पड़ता है।
- चुनौतियां: पवन ऊर्जा एक अस्थिर ऊर्जा स्रोत है और हवा की गति पर निर्भर करता है।
10. सौर ऊर्जा संयंत्र (Solar Power Plants):
- ये बिजली उत्पादन के लिए सूर्य के प्रकाश की ऊर्जा का उपयोग करते हैं।
- बिहार में सूर्य की रोशनी प्रचुर मात्रा में होती है, जो सौर ऊर्जा संयंत्रों के लिए उपयुक्त है।
- कुछ प्रमुख सौर ऊर्जा संयंत्रों में बक्सर सौर ऊर्जा संयंत्र और गोपालगंज सौर ऊर्जा संयंत्र शामिल हैं।
- लाभ: सौर ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा का एक स्वच्छ स्रोत है और इसका पर्यावरण पर कम प्रभाव पड़ता है।
- चुनौतियां: सौर ऊर्जा एक अस्थिर ऊर्जा स्रोत है और दिन के समय और मौसम पर निर्भर करता है।
11. बायोमास ऊर्जा संयंत्र (Biomass Power Plants):
- ये बिजली उत्पादन के लिए जैविक पदार्थों जैसे कि कृषि अपशिष्ट, वन अपशिष्ट और गोबर का उपयोग करते हैं।
- बिहार में बायोमास ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के लिए अच्छी क्षमता है।
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