1. बिहार ऊर्जा नीति 2021:
यह नीति 2025 तक 10,000 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखती है। यह ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने, ग्रामीण विद्युतीकरण को मजबूत करने और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को अपनाने पर भी ध्यान केंद्रित करती है।
2. बिहार सौर ऊर्जा नीति 2018:
यह नीति सौर ऊर्जा के विकास को बढ़ावा देने के लिए कई प्रोत्साहन और सब्सिडी प्रदान करती है। इसमें छत पर सौर ऊर्जा संयंत्रों, सौर ऊर्जा पार्कों और सौर ऊर्जा संचालित कृषि पंपों की स्थापना के लिए लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं।
3. बिहार बायोमास ऊर्जा नीति 2021:
यह नीति बायोमास ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन और ढांचा प्रदान करती है। इसमें बायोमास बिजली संयंत्रों, बायोगैस संयंत्रों और बायो-कोयला उत्पादन की स्थापना के लिए लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं।
4. बिहार ऊर्जा दक्षता नीति 2019:
यह नीति ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने और बिजली की खपत कम करने के लिए रणनीतियां निर्धारित करती है। इसमें ऊर्जा-कुशल उपकरणों और प्रौद्योगिकियों को अपनाने, औद्योगिक ऊर्जा दक्षता में सुधार और भवन ऊर्जा दक्षता मानकों को लागू करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
5. बिहार विद्युत सुधार योजना:
यह योजना बिहार राज्य विद्युत बोर्ड (बीएसईबी) को मजबूत करने और बिजली वितरण व्यवस्था में सुधार पर केंद्रित है। इसमें बिजली के बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण, ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क में सुधार और बिजली चोरी को कम करने के उपाय शामिल हैं।
चुनौतियां:
इन नीतियों और पहलों के बावजूद, बिहार में ऊर्जा क्षेत्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें शामिल हैं:
- वित्तीय संसाधनों की कमी: नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं और ऊर्जा दक्षता उपायों में निवेश के लिए पर्याप्त धन की आवश्यकता होती है।
- बुनियादी ढांचे की कमी: राज्य में बिजली ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क कमजोर है, जिससे बिजली की आपूर्ति में बाधा आती है।
- कौशल की कमी: नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता क्षेत्रों में कुशल कर्मियों की कमी है।
- जागरूकता की कमी: ऊर्जा दक्षता और नवीकरणीय ऊर्जा के लाभों के बारे में लोगों में जागरूकता कम है।
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