आर्थिक असमानता किसी व्यक्तियों के समूह, आबादी के समूहों या देशों के बीच, स्थित आर्थिक अंतर को दर्शाता है। आर्थिक असमानता कभी-कभी आय असमानता, धन असमानता, या धन अंतर को संदर्भित करती है।
कारण:
- विकास और बुनियादी ढांचे की कमी:
- बिहार में बुनियादी ढांचे की कमी है, जैसे कि सड़कों, बिजली, और जल आपूर्ति, जो आर्थिक विकास में बाधा डालते हैं।
- विकास परियोजनाओं की धीमी प्रगति के कारण, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच असमानता बढ़ती है।
- शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी:
- बिहार में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है, जो कि गरीबों को उच्च शिक्षा और बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करने से रोकती है।
- शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी से मानव संसाधन का विकास रुकता है, जो आर्थिक असमानता को बढ़ावा देता है।
- बेरोजगारी और रोजगार के अवसरों की कमी:
- बिहार में बेरोजगारी की दर उच्च है, खासकर युवाओं के बीच।
- रोजगार के सीमित अवसरों के कारण लोग बाहर राज्यों में प्रवास करने के लिए मजबूर होते हैं, जिससे राज्य के भीतर असमानता बढ़ती है।
- कृषि पर निर्भरता:
- बिहार की अर्थव्यवस्था में कृषि का प्रमुख योगदान है, लेकिन कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों और संसाधनों की कमी के कारण उत्पादकता कम है।
- कृषि पर अत्यधिक निर्भरता और कृषि में कम आय के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक असमानता बढ़ती है।
- माइग्रेशन (प्रवासन):
- काम की तलाश में बड़े पैमाने पर मजदूरों का प्रवासन बिहार में एक बड़ी चुनौती है।
- प्रवासन से श्रमिकों की आय में अंतर होता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर प्रभाव पड़ता है।
- वित्तीय समावेशन की कमी:
- बिहार में वित्तीय समावेशन की कमी है, जिससे गरीब और कमजोर वर्गों को वित्तीय सेवाओं का लाभ नहीं मिल पाता।
- बैंकिंग सेवाओं, ऋण, और बीमा जैसी वित्तीय सेवाओं की कमी से गरीब लोग आर्थिक रूप से पिछड़ते हैं।
प्रभाव:
1. गरीबी: बिहार में गरीबी दर 34% से अधिक है, जो राष्ट्रीय औसत 22% से काफी ज्यादा है। आर्थिक असमानता गरीबी का मुख्य कारण है। अमीर और गरीब के बीच की खाई बढ़ने से गरीबों के लिए बुनियादी सुविधाओं और जीवन यापन के अवसरों तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है।
2. कुपोषण: बिहार में कुपोषण की दर भी राष्ट्रीय औसत से अधिक है। गरीब परिवार अक्सर अपने बच्चों को पौष्टिक भोजन नहीं दे पाते हैं, जिसके कारण वे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। कुपोषण से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास मंद हो जाता है और वे बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
3. अपराध: आर्थिक असमानता अपराध में भी योगदान करती है। गरीबी और बेरोजगारी से लोग अपराध की ओर प्रवृत्त हो सकते हैं। सामाजिक असंतोष और अशांति भी बढ़ सकती है।
4. सामाजिक अशांति: आर्थिक असमानता से सामाजिक अशांति और विद्रोह भी हो सकता है। जब लोग महसूस करते हैं कि उनके साथ अन्याय हो रहा है और उनके पास आगे बढ़ने का कोई अवसर नहीं है, तो वे हिंसा और अराजकता का सहारा ले सकते हैं।
5. शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच: आर्थिक असमानता शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच को भी प्रभावित करती है। गरीब परिवार अक्सर अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पाते हैं और वे बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का खर्च नहीं उठा पाते हैं।
समाधान:
- भूमि सुधार: भूमि सुधार कार्यक्रमों को लागू करके भूमि वितरण को अधिक न्यायसंगत बनाया जा सकता है।
- बुनियादी ढांचे में निवेश: सरकार को सड़क, बिजली, और सिंचाई जैसे बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाने की आवश्यकता है।
- शिक्षा और प्रशिक्षण में सुधार: सरकार को शिक्षा और प्रशिक्षण व्यवस्था को बेहतर बनाने की आवश्यकता है ताकि लोगों को बेहतर रोजगार के अवसरों के लिए आवश्यक कौशल प्रदान किया जा सके।
- सामाजिक सुरक्षा जाल: सरकार को गरीबों और वंचितों के लिए सामाजिक सुरक्षा जाल मजबूत करने की आवश्यकता है।
- रोजगार सृजन: सरकार को रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए अधिक उद्योगों को स्थापित करने और छोटे व्यवसायों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
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