बिहार में डेयरी और पशुपालन को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य और केंद्र सरकार द्वारा कई महत्वपूर्ण योजनाएँ और पहलें लागू की गई हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य दुग्ध उत्पादन में वृद्धि, पशुपालन की आधुनिक तकनीकों को अपनाना, और किसानों की आय में सुधार करना है। निम्नलिखित बिंदुओं में बिहार में प्रमुख डेयरी और पशुपालन विकास योजनाओं का विवरण दिया गया है:
1. राष्ट्रीय गोकुल मिशन (Rashtriya Gokul Mission)
- उद्देश्य: भारतीय देशी नस्लों के संरक्षण और विकास को प्रोत्साहित करना।
- प्रमुख गतिविधियाँ: देशी नस्लों के प्रजनन केंद्रों की स्थापना, नस्ल सुधार कार्यक्रम, और नस्ल संरक्षण के लिए जागरूकता अभियान।
2. राष्ट्रीय पशुधन मिशन (National Livestock Mission)
- उद्देश्य: पशुपालन और पोल्ट्री उत्पादन को प्रोत्साहित करना और पशुपालकों की आय में वृद्धि।
- प्रमुख गतिविधियाँ: पशुओं की नस्ल सुधार, चारा विकास, और पशु स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार।
3. दुग्ध विकास योजना (Dairy Development Scheme)
- उद्देश्य: दुग्ध उत्पादन में वृद्धि और डेयरी उद्योग का विकास।
- प्रमुख गतिविधियाँ: दूध उत्पादन में वृद्धि के लिए उन्नत तकनीकों का प्रसार, दुग्ध प्रसंस्करण इकाइयों का स्थापना, और विपणन सुविधाओं का विकास।
4. मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना (Mukhyamantri Pashudhan Vikas Yojana)
- उद्देश्य: पशुपालकों को आर्थिक सहायता प्रदान करना और पशुपालन गतिविधियों को प्रोत्साहित करना।
- प्रमुख गतिविधियाँ: पशुपालकों को सब्सिडी और अनुदान, पशु स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार, और चारा विकास कार्यक्रम।
5. पशु स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम (Animal Health and Disease Control Programme)
- उद्देश्य: पशुओं के स्वास्थ्य की रक्षा और रोग नियंत्रण के लिए उपाय करना।
- प्रमुख गतिविधियाँ: टीकाकरण अभियान, पशु चिकित्सा सेवाओं का विस्तार, और पशु स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन।
6. डेयरी सहकारी समितियाँ (Dairy Cooperative Societies)
- उद्देश्य: दूध उत्पादकों को एक संगठित प्लेटफार्म प्रदान करना और दूध की खरीद और विपणन में सुधार।
- प्रमुख गतिविधियाँ: दुग्ध सहकारी समितियों का गठन, दूध संग्रहण केंद्रों का स्थापना, और दुग्ध विपणन सुविधाओं का विकास।
7. पशु चारा विकास योजना (Fodder Development Scheme)
- उद्देश्य: उच्च गुणवत्ता वाले पशु चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- प्रमुख गतिविधियाँ: चारा उत्पादन कार्यक्रम, चारा प्रसंस्करण इकाइयों का स्थापना, और चारा भंडारण सुविधाओं का विकास।
उपलब्धियाँ और प्रभाव
- दुग्ध उत्पादन में वृद्धि: उन्नत तकनीकों और पशुधन विकास कार्यक्रमों के कारण दुग्ध उत्पादन में वृद्धि।
- पशुपालकों की आय में सुधार: पशुपालकों को सब्सिडी, अनुदान, और वित्तीय सहायता के माध्यम से उनकी आय में सुधार।
- स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार: पशु स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार से पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार और रोग नियंत्रण।
- संगठित विपणन प्रणाली: डेयरी सहकारी समितियों के माध्यम से संगठित विपणन प्रणाली का विकास।
चुनौतियाँ और समाधान
- जागरूकता की कमी: किसानों और पशुपालकों में योजनाओं के बारे में जागरूकता की कमी।
- प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता: पशुपालकों को आधुनिक तकनीकों और पद्धतियों के बारे में प्रशिक्षण की आवश्यकता।
- वित्तीय संसाधनों की कमी: पशुपालकों को पर्याप्त वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- सुविधाओं का विस्तार: पशु स्वास्थ्य सेवाओं और चारा सुविधाओं का व्यापक विस्तार।
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