बिहार की जनसंख्या विकास दर भारत के अन्य राज्यों की तुलना में अधिक रही है। हालांकि, पिछले कुछ दशकों में यह दर धीरे-धीरे कम हो रही है। बिहार का जनसंख्या विकास दर (Population Growth Rate) समय-समय पर बदलती रही है। जनगणना के आंकड़े और अन्य सरकारी रिपोर्ट्स से इसके बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
यहाँ बिहार के जनसंख्या विकास दर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है:
जनसंख्या विकास दर (Historical Perspective)
1. 2001-2011: भारत की जनगणना 2011 के अनुसार, 2001 से 2011 के दशक में बिहार की जनसंख्या विकास दर 25.42% थी। यह दर राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक थी, जो कि 17.7% थी।
2. 2011-2021: इस दशक की जनगणना के आंकड़े अभी तक प्रकाशित नहीं हुए हैं, लेकिन अनुमानित आंकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है कि इस अवधि में भी बिहार की जनसंख्या विकास दर राष्ट्रीय औसत से अधिक रही है। विभिन्न रिपोर्ट्स और अनुमानित आँकड़ों के अनुसार, बिहार की जनसंख्या विकास दर 20% के आसपास रही है।
प्रमुख कारक
1. उच्च जन्म दर: बिहार में जन्म दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है, जिससे जनसंख्या वृद्धि की दर अधिक है।
2. कमी मृत्यु दर: स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार और जीवन प्रत्याशा में वृद्धि के कारण मृत्यु दर में कमी आई है।
3. आर्थिक और सामाजिक विकास: आर्थिक अवसरों और जीवन स्तर में सुधार के बावजूद, अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार नियोजन के बारे में जागरूकता की कमी है, जिससे जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण नहीं हो सका है।
4. शहरीकरण और प्रवासन: बिहार से अन्य राज्यों में प्रवासन होने के बावजूद, यहाँ की जनसंख्या वृद्धि दर उच्च बनी हुई है।
जनसंख्या वृद्धि दर कम करने के उपाय
- शिक्षा: लोगों को शिक्षित करके परिवार नियोजन के बारे में जागरूक करना।
- स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार: स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार करके शिशु मृत्यु दर को कम करना।
- आर्थिक विकास: रोजगार के अवसर पैदा करके लोगों की आय बढ़ाना।
- सरकारी नीतियां: परिवार नियोजन को प्रोत्साहित करने वाली सरकारी नीतियां बनाना।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य
बिहार सरकार और केंद्रीय सरकार की विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से जनसंख्या वृद्धि की दर को नियंत्रित करने के प्रयास जारी हैं। परिवार नियोजन, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, और शिक्षा के स्तर में वृद्धि के माध्यम से जनसंख्या वृद्धि की दर को नियंत्रित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
बिहार की जनसंख्या वृद्धि दर को नियंत्रित करने के लिए दीर्घकालिक और सतत प्रयासों की आवश्यकता है, जिससे आर्थिक और सामाजिक विकास में संतुलन बना रहे।
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