बिहार का भूजल स्तर और स्रोत राज्य की कृषि, पेयजल आपूर्ति, और औद्योगिक उपयोग के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। भूजल स्तर और इसके स्रोतों का अध्ययन करना इस बात की जानकारी देता है कि जल संसाधन किस प्रकार उपलब्ध हैं और उनकी गुणवत्ता क्या है। बिहार में भूजल की उपलब्धता और गुणवत्ता में विभिन्न क्षेत्रों में अंतर पाया जाता है, जो राज्य की भूगर्भीय संरचना, जलवायु, और मानव गतिविधियों पर निर्भर करता है।
भूजल स्तर
सामान्य स्थिति
- उत्तर बिहार: यह क्षेत्र मुख्यतः गंगा के मैदानी भाग में स्थित है और यहाँ भूजल स्तर अपेक्षाकृत ऊँचा होता है। आमतौर पर 5-10 मीटर की गहराई पर भूजल उपलब्ध होता है।
- दक्षिण बिहार: यहाँ भूजल स्तर अपेक्षाकृत गहरा होता है, खासकर पहाड़ी और पठारी क्षेत्रों में। आमतौर पर 10-30 मीटर की गहराई पर भूजल पाया जाता है।
मौसमी परिवर्तन
- मानसून के बाद: मानसून के बाद भूजल स्तर बढ़ जाता है, क्योंकि वर्षा का पानी मिट्टी और चट्टानों के माध्यम से रिसकर भूजल भंडार को पुनः भरता है।
- गर्मी के मौसम में: गर्मी के मौसम में भूजल स्तर गिर जाता है, क्योंकि पानी की खपत बढ़ जाती है और वर्षा का अभाव होता है।
भूजल स्रोत
नदियाँ और उनके सहायक नदियाँ
- गंगा नदी: बिहार की मुख्य नदी है और इसका विस्तृत मैदानी भाग भूजल के प्रमुख स्रोत के रूप में कार्य करता है।
- सहायक नदियाँ: कोसी, गंडक, बागमती, पुनपुन, सोन आदि नदियाँ भी भूजल पुनर्भरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
कुएँ और ट्यूबवेल
- कुएँ: ग्रामीण क्षेत्रों में परंपरागत रूप से कुएँ भूजल प्राप्त करने का मुख्य साधन हैं। ये कुएँ आमतौर पर 5-20 मीटर गहरे होते हैं।
- ट्यूबवेल: आधुनिक तकनीक के साथ, ट्यूबवेल का उपयोग बढ़ गया है। ये 30-100 मीटर या इससे अधिक गहरे होते हैं और बड़े पैमाने पर पानी की आपूर्ति कर सकते हैं।
तालाब और झीलें
- तालाब: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जल संचयन के लिए तालाब बनाए जाते हैं। ये भूजल पुनर्भरण में मदद करते हैं।
- झीलें: कांवर झील और अन्य जलाशय भी भूजल के महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
वर्षा जल संचयन
- छत पर वर्षा जल संचयन: शहरी क्षेत्रों में छत पर वर्षा जल संचयन प्रणाली लगाई जाती है, जो भूजल पुनर्भरण में सहायता करती है।
- वर्षा जल संचयन संरचनाएँ: ग्रामीण क्षेत्रों में, छोटे बांध, चेक डैम, और खेत तालाब बनाए जाते हैं, जो वर्षा जल को संचित करके भूजल स्तर को बनाए रखते हैं।
भूजल की गुणवत्ता
- उत्तर बिहार: इस क्षेत्र में भूजल की गुणवत्ता आमतौर पर अच्छी होती है, लेकिन कुछ स्थानों पर आर्सेनिक संदूषण की समस्या है।
- दक्षिण बिहार: यहाँ भूजल की गुणवत्ता अच्छी होती है, लेकिन कुछ स्थानों पर फ्लोराइड संदूषण की समस्या हो सकती है।
भूजल संकट और समाधान
संकट
- अत्यधिक दोहन: कृषि, औद्योगिक और घरेलू उपयोग के लिए अत्यधिक दोहन से भूजल स्तर में गिरावट हो रही है।
- प्रदूषण: कृषि रसायनों, औद्योगिक कचरे और सीवेज से भूजल प्रदूषित हो रहा है।
समाधान
- वर्षा जल संचयन: छत पर वर्षा जल संचयन और ग्रामीण क्षेत्रों में जल संचयन संरचनाओं का निर्माण।
- पुनर्भरण संरचनाएँ: चेक डैम, पुनर्भरण कुएँ और अन्य संरचनाओं का निर्माण।
- सतत उपयोग: भूजल के सतत और न्यायसंगत उपयोग को प्रोत्साहित करना।
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