बिहार में आपदाएँ, विशेषकर बाढ़ और सूखा, अक्सर होती हैं और उनका राज्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
यहाँ आपदाओं के मुख्य कारणों और उनके प्रभावों का विस्तृत अध्ययन प्रस्तुत है:
1. बाढ़
(1). बाढ़ के कारण
1.1 नदियों का उफान
- मुख्य नदियाँ: गंगा, कोसी, गंडक, और बागमती नदियाँ बिहार में बाढ़ के प्रमुख कारण हैं। ये नदियाँ भारी बारिश के दौरान उफान पर आ जाती हैं और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है।
- कोसी नदी: कोसी नदी को “सौ साल की बाढ़” का कारण कहा जाता है, क्योंकि यह अक्सर अपनी धारा बदलती है और बाढ़ की गंभीर स्थिति पैदा करती है।
1.2 अत्यधिक वर्षा
- मानसून की बारिश: भारी मानसून की बारिश और अत्यधिक वर्षा के कारण नदियाँ और नाले उफान पर आ जाते हैं।
- गैर-मौसमी बारिश: कभी-कभी, बाहर के क्षेत्रों में भारी बारिश से भी बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
1.3 जलभराव
- भूगर्भीय जलवायु: नदी के किनारे के इलाकों में जलभराव की समस्या अधिक होती है, विशेषकर जब जल निकासी की व्यवस्था ठीक से काम नहीं करती।
1.4 मानव निर्मित कारण
- अनियंत्रित निर्माण: शहरों और गांवों में अनियंत्रित निर्माण और अवैध खनन से जल निकासी में बाधा उत्पन्न होती है।
- खनन और भूमि उपयोग परिवर्तन: जंगलों की कटाई और भूमि उपयोग परिवर्तन से जलवायु असंतुलित होती है और बाढ़ की स्थिति गंभीर हो जाती है।
(2). प्रभाव
2.1 कृषि
- फसलों का नुकसान: बाढ़ से खेतों में खड़ी फसलों का नुकसान होता है, जिससे खाद्य आपूर्ति प्रभावित होती है।
- मिट्टी का कटाव: बाढ़ के दौरान मिट्टी का कटाव और मृदा की उर्वरता में कमी।
2.2 आवास
- घर और संपत्ति का नुकसान: बाढ़ से घरों, स्कूलों, और अन्य बुनियादी ढाँचा का नुकसान होता है।
- आस्थायी शिविर: बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत शिविरों में शरण लेना पड़ता है।
2.3 स्वास्थ्य
- जलजनित बीमारियाँ: बाढ़ के कारण डायरिया, मलेरिया, डेंगू जैसी जलजनित बीमारियों का प्रसार होता है।
- स्वच्छता संकट: बाढ़ के पानी में दूषित तत्वों के कारण स्वच्छता संकट उत्पन्न होता है।
2.4 आर्थिक प्रभाव
- आर्थिक नुकसान: बाढ़ से व्यापार, कृषि, और अन्य आर्थिक गतिविधियों को गंभीर नुकसान होता है।
- पुनर्निर्माण लागत: पुनर्निर्माण और राहत कार्यों की लागत अधिक होती है।
(3). बाढ़ प्रबंधन और राहत
3.1 सरकारी प्रयास
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA): बाढ़ की स्थिति के प्रबंधन और राहत कार्यों के लिए दिशा-निर्देश।
- राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA): बिहार में बाढ़ की स्थिति के लिए राहत कार्यों का प्रबंधन।
3.2 बुनियादी ढाँचा
- डैम और बंधे: नदियों के उफान को नियंत्रित करने के लिए डैम और बंधे बनाए गए हैं, लेकिन अक्सर ये अपर्याप्त होते हैं।
- जल निकासी व्यवस्था: जल निकासी की व्यवस्था को मजबूत करना और नालों की सफाई।
3.3 पूर्वानुमान और चेतावनी
- भारतीय मौसम विभाग (IMD): बाढ़ के पूर्वानुमान और चेतावनी जारी करता है।
- सार्वजनिक जागरूकता: बाढ़ से बचने और राहत कार्यों में मदद के लिए जागरूकता अभियान।
2. सूखा
(1). सूखा के कारण
1.1 मानसून की विफलता
- वर्षा की कमी: मानसून के दौरान अपर्याप्त वर्षा या बारिश का असमय होना सूखा का मुख्य कारण होता है।
- जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश के पैटर्न में असामान्यता आती है, जिससे सूखा की स्थिति उत्पन्न होती है।
1.2 जल संसाधनों की कमी
- भूमिगत जल स्तर में गिरावट: अत्यधिक जल उपयोग और वर्षा की कमी के कारण भूमिगत जल स्तर में गिरावट होती है।
- जलाशयों की कमी: जलाशयों और नदी प्रणालियों में पानी की कमी, जिससे जल संकट उत्पन्न होता है।
1.3 कृषि प्रबंधन की समस्याएँ
- असमान जल वितरण: सिंचाई की असमान व्यवस्था और जल की बर्बादी भी सूखा का कारण बनती है।
- फसल विविधता की कमी: एक ही फसल की निरंतरता और विविधता की कमी से सूखा के प्रभाव को बढ़ावा मिलता है।
1.4 मानव निर्मित कारण
- वनों की कटाई: जंगलों की कटाई और भूमि उपयोग में परिवर्तन से जलवायु में असंतुलन उत्पन्न होता है।
- अत्यधिक सिंचाई: अधिक सिंचाई से जलाशयों में पानी की कमी और भूमिगत जल स्तर में गिरावट होती है।
(2). सूखा के प्रभाव
2.1 कृषि
- फसलों का नुकसान: सूखा के कारण फसलों का उत्पादन घट जाता है और फसलें सूख जाती हैं।
- खाद्य संकट: खाद्य आपूर्ति की कमी और कीमतों में वृद्धि होती है, जिससे खाद्य संकट उत्पन्न होता है।
2.2 जल संकट
- पीने के पानी की कमी: जलाशयों और कुओं में पानी की कमी से पीने के पानी की समस्या उत्पन्न होती है।
- सिंचाई की समस्या: खेतों के लिए आवश्यक जल की कमी से कृषि उत्पादन प्रभावित होता है।
2.3 स्वास्थ्य
- पानी की कमी से बीमारियाँ: पानी की कमी और स्वच्छता की कमी के कारण स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, जैसे कि पीलिया और अन्य जलजनित बीमारियाँ।
2.4 आर्थिक प्रभाव
- आर्थिक नुकसान: किसानों की आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव, आर्थिक गतिविधियों में कमी।
- गरीबी: सूखा के कारण गरीबी में वृद्धि और जीवन स्तर में गिरावट।
(3). सूखा प्रबंधन और राहत
3.1 सरकारी प्रयास
- राष्ट्रीय सूखा प्रबंधन योजना: सूखा प्रभावित क्षेत्रों में राहत और पुनर्वास के लिए सरकारी योजनाएँ।
- सिंचाई परियोजनाएँ: सिंचाई की सुविधाओं को सुधारने और जल संचयन के लिए परियोजनाएँ।
3.2 जलवायु अनुकूलन और जल प्रबंधन
- वृष्टि की भविष्यवाणी: सूखा की संभावना और वर्षा पूर्वानुमान के लिए मौसम विभाग द्वारा आंकड़े और पूर्वानुमान।
- जल संचयन उपाय: वर्षा जल संचयन, जल पुनर्चक्रण और जल संरक्षण की योजनाएँ।
3.3 समुदाय आधारित उपाय
- स्व-सहायता समूह: समुदाय आधारित संगठनों और स्व-सहायता समूहों के माध्यम से सूखा राहत कार्य।
- कृषि सलाहकार सेवाएँ: किसानों को सूखा प्रतिरोधक फसलों और उन्नत कृषि प्रथाओं के बारे में सलाह।
3. भूकंप
(1)भूकंप के कारण
1.1 भूगर्भीय स्थितियाँ
- भूकंपीय जोन: बिहार, विशेष रूप से उत्तर-पूर्वी क्षेत्र, भूकंपीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र में स्थित है। हिमालय की पर्वत श्रृंखला के कारण यह क्षेत्र भूगर्भीय तनाव का सामना करता है।
- भूकंपीय प्लेटों की गतिविधियाँ: भारतीय और यूरेशियन प्लेटों की टकराहट से भूकंप उत्पन्न होते हैं।
1.2 भूगर्भीय दोष
- धारा और रेखीय दोष: बिहार के कई हिस्से भूगर्भीय दोषों के करीब स्थित हैं, जो भूकंप की संभावनाओं को बढ़ाते हैं।
(2). भूकंप के प्रभाव
2.1 आवास और बुनियादी ढाँचा
- भवनों का नुकसान: भूकंप से इमारतें और घर ध्वस्त हो सकते हैं, जिससे व्यापक क्षति होती है।
- सड़कें और पुल: भूकंप से सड़कें, पुल, और अन्य बुनियादी ढाँचा प्रभावित होते हैं, जिससे परिवहन में कठिनाइयाँ होती हैं।
2.2 जनधन हानि
- जानमाल की हानि: भूकंप के दौरान लोगों की जान का नुकसान और गंभीर चोटें हो सकती हैं।
- मानवीय संकट: बेघर होना और राहत सामग्री की कमी से मानवीय संकट उत्पन्न होता है।
2.3 आर्थिक प्रभाव
- आर्थिक नुकसान: भूकंप से संपत्ति और बुनियादी ढाँचा के नुकसान के कारण पुनर्निर्माण की लागत बढ़ जाती है।
- विपणन और व्यापार: व्यापारिक गतिविधियाँ प्रभावित होती हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर दबाव डालती हैं।
(3). भूकंप प्रबंधन और राहत
3.1 आपदा प्रबंधन
- राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF): भूकंप राहत और बचाव कार्यों में सहायता के लिए तैनात होता है।
- राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA): भूकंप की स्थिति में राहत कार्यों का प्रबंधन करता है।
3.2 पूर्वानुमान और चेतावनी
- भूकंप पूर्वानुमान: वर्तमान में भूकंप की पूर्वानुमान प्रणाली सीमित है, लेकिन अनुसंधान और निगरानी में सुधार किया जा रहा है।
- सार्वजनिक जागरूकता: भूकंप के प्रति जागरूकता और सुरक्षा उपायों के बारे में शिक्षा और प्रशिक्षण।
3.3 निर्माण मानक
- भूकंप प्रतिरोधक निर्माण: भवनों और बुनियादी ढाँचा के निर्माण के लिए भूकंप प्रतिरोधक मानकों का पालन।
- सुरक्षा उपाय: भूकंप के समय में सुरक्षित रहने के उपायों की जानकारी और प्रशिक्षण।
4. अन्य आपदाएँ
चक्रवात और तूफान
- कारण: बंगाल की खाड़ी से उठने वाले चक्रवात और तूफान बिहार के तटीय क्षेत्रों में प्रभाव डाल सकते हैं।
- प्रभाव: भारी बारिश, बाढ़, और संपत्ति का नुकसान।
5. प्रबंधन और पूर्वानुमान
आपदा प्रबंधन
- राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA): आपदा पूर्वानुमान, राहत और पुनर्वास कार्यों का प्रबंधन।
- राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF): आपदा के समय राहत और बचाव कार्यों में सहायता।
पूर्वानुमान
- भारतीय मौसम विभाग (IMD): आपदा पूर्वानुमान और चेतावनी जारी करता है।
- जलवायु मॉडलिंग और अनुसंधान: जलवायु पैटर्न और आपदा जोखिम को समझने के लिए अनुसंधान।
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