बिहार में कृषि
बिहार मुख्य रूप से एक कृषि प्रधान राज्य है जहाँ खेती-बाड़ी का काम प्रकृति में होता है। कृषि के मामले में यह देश के सबसे मजबूत राज्यों में से एक है। कृषि क्षेत्र राज्य की लगभग 80% आबादी को रोजगार देता है, जो राष्ट्रीय औसत 58% से ज़्यादा है।
भारत में, बिहार फलों का आठवाँ सबसे बड़ा उत्पादक और सब्ज़ियों का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है।
राज्य में तेज़ी से विस्तार कर रहे कुछ उद्योगों में खाद्य प्रसंस्करण, डेयरी, चीनी, विनिर्माण और स्वास्थ्य सेवा शामिल हैं।
इसलिए, बिहार में कृषि ही धन का मुख्य स्रोत है।
बिहार में फसलें
- बिहार को मिट्टी की विशेषताओं, वर्षा, तापमान और स्थलाकृति के आधार पर चार प्राथमिक कृषि-जलवायु क्षेत्रों में विभाजित किया गया है।
- चावल, धान, गेहूं, जूट, मक्का और तिलहन जैसे खाद्यान्न प्राथमिक फसलें हैं।
- आधुनिक कृषि तकनीकों और अनुबंध खेती के तरीकों को किसानों द्वारा स्वीकार किया जा रहा है, जो कृषि क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक विकास है।
- बिहार में तीन अलग-अलग फसल मौसम हैं: खरीफ, रबी और जायद।
खेती के प्रकार
- कृषि-पारिस्थितिकी क्षेत्रों के आधार पर:
- उत्तर बिहार का मैदान: यहाँ जलोढ़ मिट्टी में धान, गेहूं, मक्का, और तिलहन की खेती होती है।
- दक्षिण बिहार का पठार: यहाँ की मिट्टी कम उपजाऊ है, लेकिन गन्ना, दलहन, और तिलहन की खेती होती है।
- फसल चक्रण (Crop Rotation):
- विभिन्न फसलों को एक के बाद एक बोने का तरीका, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है।
- समूह आधारित खेती (Group Farming):
- किसानों के समूह द्वारा मिलकर खेती करने का तरीका, जिससे लागत कम होती है और उत्पादन बढ़ता है।
- जैविक खेती (Organic Farming):
- रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग किए बिना प्राकृतिक तरीकों से खेती की जाती है।
- बागवानी (Horticulture):
- फल, सब्जियाँ और फूलों की खेती।
कृषि संबंधी चुनौतियाँ
- बाढ़ और सूखा:
- बिहार के कई हिस्से बाढ़ और सूखा से प्रभावित होते हैं, जिससे कृषि उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- छोटी जोत:
- किसानों के पास छोटी जोत होने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर रहती है।
- उन्नत तकनीक का अभाव:
- आधुनिक कृषि तकनीकों और उपकरणों का सीमित उपयोग।
- बाजार तक पहुँच:
- किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता और वे बिचौलियों पर निर्भर रहते हैं।
सरकारी योजनाएँ और प्रयास
- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN): किसानों को वित्तीय सहायता।
- कृषि ऋण: किसानों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराना।
- कृषि उपकरण सब्सिडी: आधुनिक उपकरणों पर सब्सिडी।
कृषि के प्रकार
- सिंचित कृषि (Irrigated Agriculture): बिहार में गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के कारण सिंचाई की अच्छी सुविधा है। इससे धान, गेहूँ और अन्य फसलों की खेती होती है।
- बारानी कृषि (Rainfed Agriculture): जहाँ सिंचाई की सुविधा कम है, वहाँ वर्षा पर निर्भर कृषि होती है।
- जैविक कृषि (Organic Farming): कुछ हिस्सों में जैविक कृषि का भी प्रचलन बढ़ रहा है, जिसमें रासायनिक खाद और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता।
बिहार की कृषि बहुआयामी और विविधतापूर्ण है, जो राज्य की आर्थिक संरचना में महत्वपूर्ण योगदान करती है।
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