बिहार की कला, संस्कृति, साहित्य, परंपरा और विरासत भारतीय उपमहाद्वीप में अत्यंत समृद्ध और विविधता से परिपूर्ण हैं। बिहार की ऐतिहासिक धरोहर, विभिन्न कलाएं, साहित्यिक योगदान, पारंपरिक त्योहार और सांस्कृतिक प्रथाएं इसे एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक केंद्र बनाती हैं।
कला
मधुबनी पेंटिंग:
- विवरण: मधुबनी पेंटिंग, जिसे मिथिला पेंटिंग भी कहा जाता है, बिहार की पारंपरिक लोक कला है। इसका उद्भव मिथिला क्षेत्र में हुआ और इसमें प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता है। यह कला विशेष रूप से देवी-देवताओं, प्राकृतिक दृश्य, और दैनिक जीवन के चित्रण के लिए जानी जाती है।
पटना कलम:
- विवरण: पटना कलम बिहार की एक और महत्वपूर्ण चित्रकला शैली है जो मुगल और राजस्थानी शैली के मिश्रण से उत्पन्न हुई। इसमें मुख्य रूप से ऐतिहासिक और पौराणिक कथाओं का चित्रण किया जाता है।
संस्कृति
त्योहार:
- छठ पूजा: सूर्य भगवान की उपासना का यह पर्व बिहार का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। इसमें व्रतधारी महिलाएं और पुरुष सूर्यास्त और सूर्योदय के समय गंगा नदी या अन्य जल स्रोतों में खड़े होकर अर्घ्य देते हैं।
- सामा-चकेवा: यह त्योहार भाई-बहन के प्रेम को समर्पित है और खासकर मिथिला क्षेत्र में मनाया जाता है।
- मकर संक्रांति: इस त्योहार को तिलकुट पर्व के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन तिल और गुड़ से बने पकवान खाए जाते हैं।
पारंपरिक नृत्य और संगीत:
- झूमर और बिदेसिया: यह बिहार के पारंपरिक लोक नृत्य और संगीत हैं। बिदेसिया विशेष रूप से भोजपुरी क्षेत्र में लोकप्रिय है।
- भोजपुरी संगीत: भोजपुरी गीत और संगीत बिहार की सांस्कृतिक पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
साहित्य
महाकाव्य और धार्मिक ग्रंथ:
- वाल्मीकि रामायण: यह महाकाव्य भगवान राम की कथा है, जिसे महर्षि वाल्मीकि ने लिखा और माना जाता है कि इसका अधिकांश हिस्सा बिहार में लिखा गया था।
आधुनिक साहित्य:
- फणीश्वर नाथ ‘रेणु’: रेणु का ‘मैला आँचल’ हिंदी साहित्य का एक महत्वपूर्ण उपन्यास है, जो बिहार की ग्रामीण जीवनशैली का यथार्थ चित्रण करता है।
- रामधारी सिंह ‘दिनकर’: वे बिहार के प्रमुख कवि थे और उनकी रचनाएं भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बहुत लोकप्रिय हुईं।
परंपरा
लोकगीत और लोककथाएं:
- बिहार की लोककथाओं और लोकगीतों में जीवन की विविधता और भावनाओं की गहराई देखने को मिलती है। इसमें विभिन्न सामाजिक, धार्मिक और प्राकृतिक पहलुओं का समावेश होता है।
वस्त्र और आभूषण:
- मधुबनी प्रिंट साड़ियां: यह साड़ियां बिहार की पारंपरिक कला का एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
- लहठी: शादी और त्योहारों के समय पहनने वाली कांच की चूड़ियां जो बिहार की महिलाओं की पहचान हैं।
विरासत
प्राचीन विश्वविद्यालय और स्थापत्य कला:
- नालंदा विश्वविद्यालय: यह प्राचीन विश्वविद्यालय शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र था, जहां दुनियाभर के विद्यार्थी आते थे। नालंदा की खंडहर आज भी इसके गौरवशाली इतिहास की गवाही देते हैं।
- महाबोधि मंदिर: बोधगया में स्थित यह मंदिर बौद्ध धर्म का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जहां गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था।
स्थापत्य कला:
- राजगीर: यह स्थान अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ प्राचीनकाल के कई ऐतिहासिक स्थल और अवशेष हैं।
बिहार की कला, संस्कृति, साहित्य, परंपरा और विरासत की विविधता और समृद्धि इसे भारत के सांस्कृतिक मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करती है। इसके विभिन्न पहलू न केवल इसे एक विशिष्ट पहचान देते हैं, बल्कि इसकी सांस्कृतिक धरोहर को भी समृद्ध और अद्वितीय बनाते हैं।
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