बिहार में नगर निगम एक स्थानीय स्वशासन निकाय होता है जो किसी शहर या नगर का प्रशासन करता है। यह शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक सेवाओं और बुनियादी ढांचे के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होता है।
बिहार में नगर निगम के मुख्य कार्यों में शामिल हैं:
- अभिनियामक कार्य: नगर निगम शहर के विकास योजनाओं की तैयारी और कार्यान्वयन करती है। इसमें नगरीय प्रणाली, वातावरण, पारिस्थितिकी, यातायात, और अन्य बुनियादी सेवाओं का सम्मिलन होता है।
- स्थानीय सेवाएं: नगर निगम शहर के लिए आवश्यक सेवाएं प्रदान करती है जैसे की जल सप्लाई, स्वच्छता (निगम द्वारा सफाई, कचरा निवारण), बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं, सार्वजनिक शौचालय, और अन्य सार्वजनिक सुविधाएं।
- सार्वजनिक निर्माण: नगर निगम शहर में नए सार्वजनिक निर्माण परियोजनाओं के विकास और प्रबंधन का जिम्मेदार होती है। इसमें सड़कें, पार्क, जनरल और स्पेशलिटी हॉस्पिटल, स्कूल, कॉलेज, और अन्य सार्वजनिक इमारतें शामिल हो सकती हैं।
- संचार: नगर निगम शहर में संचार सेवाओं का प्रबंधन करती है जैसे की सड़कों की सुरक्षा, ट्राफिक नियमन, वाहन पार्किंग, और अन्य संचार समस्याओं का समाधान।
- फंडिंग और वित्तीय प्रबंधन: नगर निगम के पास शहर के विकास और सुधार के लिए विभिन्न सरकारी अनुदान और आयोजन होते हैं। इसके अलावा, निगम को स्थानीय अर्थिक विकास के लिए स्थानीय अधिकारियों और यातायात से वित्तीय सहायता मिलती है।
- सार्वजनिक निर्णय: नगर निगम के पास शहर के विकास और सुधार के लिए विभिन्न सार्वजनिक निर्णय लेने की अधिकार होती है, जिनमें शहरी योजना, जनसंख्या नियंत्रण, वातावरण संरक्षण, और अन्य समस्याओं का समाधान शामिल हो सकता है।
बिहार में नगर निगम का ढांचा:
नगर निगम का नेतृत्व एक मेयर द्वारा किया जाता है, जिसे नगरपालिका चुनावों में चुना जाता है। मेयर नगर निगम परिषद का अध्यक्ष होता है, जिसमें चुने गए पार्षद होते हैं। नगर निगम का प्रशासन एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) द्वारा किया जाता है, जिसे परिषद द्वारा नियुक्त किया जाता है।
भारत में नगर निगम:
भारत में, नगर निगमों को 74वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा स्थापित किया गया था। इस अधिनियम ने शहरी क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन के लिए नगर निकायों की स्थापना का अनिवार्य प्रावधान किया।
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