बिहार में प्रशासनिक सुधार आयोग: एक ऐतिहासिक पहल
बिहार में प्रशासनिक सुधार आयोग (बीएआरसी) की स्थापना 1986 में तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री जगदीश अनंद द्वारा राज्य के प्रशासन में सुधार के लिए एक व्यापक कार्य योजना तैयार करने के उद्देश्य से की गई थी। आयोग का गठन बिहार विधान सभा अधिनियम, 1986 के तहत किया गया था।
आयोग का कार्यक्षेत्र:
- राज्य सरकार के विभिन्न विभागों और एजेंसियों में प्रशासनिक ढांचे और प्रक्रियाओं का मूल्यांकन करना।
- प्रशासनिक सुधारों के लिए सिफारिशें करना, जिसमें सरलीकरण, विकेंद्रीकरण, जवाबदेही और पारदर्शिता में सुधार शामिल हैं।
- प्रशासनिक सुधारों के कार्यान्वयन की निगरानी करना।
आयोग की प्रमुख सिफारिशें:
- ई-गवर्नेंस: सरकारी सेवाओं को नागरिकों के लिए अधिक सुलभ और कुशल बनाने के लिए ई-गवर्नेंस प्रणालियों को लागू करना।
- लोक शिकायत निवारण: नागरिकों की शिकायतों को दूर करने के लिए एक मजबूत तंत्र स्थापित करना।
- क्षमता निर्माण: सरकारी कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित करना।
- भ्रष्टाचार निवारण: भ्रष्टाचार को कम करने के लिए कड़े उपाय करना।
- विकेंद्रीकरण: निर्णय लेने की प्रक्रिया को विकेंद्रीकृत करना और स्थानीय अधिकारियों को अधिक शक्तियां प्रदान करना।
आयोग का प्रभाव:
बीएआरसी की सिफारिशों का बिहार प्रशासन पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
- ई-गवर्नेंस: राज्य सरकार ने कई सेवाओं को ऑनलाइन उपलब्ध कराया है, जैसे कि जन्म प्रमाण पत्र और जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करना।
- लोक शिकायत निवारण: “सीएम नीतीश कॉल सेंटर” और “जनता दरबार” जैसी पहलों के माध्यम से नागरिकों की शिकायतों को दूर करने के लिए मजबूत तंत्र स्थापित किए गए हैं।
- क्षमता निर्माण: राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए कई प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किए हैं।
- भ्रष्टाचार निवारण: भ्रष्टाचार को कम करने के लिए कड़े उपाय किए गए हैं, जैसे कि विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) की स्थापना।
- विकेंद्रीकरण: निर्णय लेने की प्रक्रिया को विकेंद्रीकृत किया गया है और स्थानीय अधिकारियों को अधिक शक्तियां प्रदान की गई हैं।
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