लाभदायक एवं हानिकारक पौधे तथा जन्तु
मानव जीवन पर पौधों एवं जीवों का प्रभाव
पौधे और जीव मानव जीवन के अभिन्न अंग हैं। वे हमारे जीवन को कई प्रकार से प्रभावित करते हैं। इनमें से कुछ लाभदायक होते हैं जबकि कुछ हानिकारक भी हो सकते हैं। इनकी भूमिका को समझना और इनका सही तरीके से प्रबंधन करना आवश्यक है।
हानिकारक पौधे
1. हानिकारक सूक्ष्मजीव: ये जीवाणु, विषाणु और कवक होते हैं जो विभिन्न रोग उत्पन्न करते हैं।
उदाहरण: टिटनेस का जीवाणु, एड्स का विषाणु, और दाद उत्पन्न करने वाले कवक।
2. खुजलाहट पैदा करने वाले पौधे:
i) गाजर घास
प्रभाव: त्वचा में खुजली, जलन, और लालिमा।
हानि : लंबे समय तक संपर्क में रहने से त्वचा की बीमारियां और श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
ii) कवाच
प्रभाव: इसके रेशों के संपर्क में आने से त्वचा में तीव्र खुजली होती है।
हानि: खुजली के कारण त्वचा की क्षति और संक्रमण की संभावना।
iii) पपीते का दूध
प्रभाव: पपीते का दूध त्वचा में जलन और खुजली पैदा कर सकता है।
हानि: संवेदनशील त्वचा पर पपेन एंजाइम के कारण गंभीर खुजली और जलन हो सकती है।
3. जहरीले पौधे:
i) पीली कनेर प्रभाव: इसके बीज और पत्तियाँ अत्यधिक विषैले होते हैं।
हानि: अनजाने में सेवन करने पर गंभीर विषाक्तता और स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
ii) आक
प्रभाव: इसका रस विषैला होता है और त्वचा में जलन पैदा कर सकता है।
हानि: त्वचा में जलन और छाले।
iii) भांग
प्रभाव: इसके नशीले पदार्थों का अत्यधिक सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
हानि: मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव और नशे की लत।
iv) पोस्ता
प्रभाव: इसके बीजों से अफीम प्राप्त होती है, जो नशा उत्पन्न करती है।
हानि: अफीम का सेवन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है।
v) कोको
प्रभाव: इससे कोकीन नामक नशीला पदार्थ प्राप्त होता है।
हानि: कोकीन का सेवन अत्यधिक नशे की लत और स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है।
4. रोग उत्पन्न करने वाले पौधे:
i) कवक (Fungi)
प्रभाव: विभिन्न प्रकार के कवक मनुष्यों में दाद, खाज, और गंजापन उत्पन्न करते हैं।
हानि: त्वचा रोग और अन्य संक्रमण।
ii) जंगली मशरूम (Wild Mushrooms)
प्रभाव: कुछ जंगली मशरूम विषैले होते हैं और खाने पर विषाक्तता उत्पन्न कर सकते हैं।
हानि: गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं और मृत्यु भी हो सकती है।
हानिकारक जीव
i) जहरीले जीव:
साँप: नाग, करैत, वाइपर आदि साँप विषैले होते हैं और इनके दंश से मृत्यु भी हो सकती है।
बिच्छू: इसके डंक से गंभीर दर्द और अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं।
ii) रोग फैलाने वाले जीव:
मक्खी: ये टाइफाइड, पेचिश, और हैजा जैसे रोग फैलाती हैं।
मच्छर: मलेरिया , डेंगू, चकनगुनिया , फाइलेरिया जैसे रोग मच्छरों द्वारा फैलते हैं।
चूहा: प्लेग , लेप्टोस्पाइरोसिस जैसे रोग फैलाता है।
iii) खेतों में हानि पहुँचाने वाले जीव: टिड्डी : फसलों को भारी नुकसान पहुँचाती है।
चूहा: फसलों के बीज और अनाज को नष्ट करता है।
तोता: फलों और बीजों को खाकर नुकसान पहुँचाता है।
नीलगाय: फसलों को चरकर नुकसान पहुँचाती है।
लाभदायक पौधे
i) भोजन देने वाले पौधे:
अनाज: गेहूँ, चावल, मक्का, जौ आदि।
सब्जियाँ: आलू, टमाटर, प्याज, बैंगन आदि।
फल: आम, केला, सेब, अंगूर आदि।
दालें: मूंग, मसूर, चना, अरहर आदि।
मसाले: हल्दी, जीरा, धनिया, मिर्च आदि।
तेल: सरसों, नारियल, सोयाबीन आदि के तेल।
ii) रेशे देने वाले पौधे:
कपास: कपड़े बनाने के लिए।
जूट: बोरे, रस्सियाँ, और अन्य वस्त्र।
नारियल: इसके रेशों से रस्सियाँ और मैट बनाए जाते हैं।
iii) औषधीय पौधे:
हल्दी : एंटीसेप्टिक और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण।
अदरक : पाचन में सुधार और सूजन में कमी।
तुलसी : रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और सर्दी-खाँसी के उपचार में।
नीम : त्वचा रोगों के इलाज में और एंटीबैक्टीरियल गुण।
iv) इमारती लकड़ी तथा ईंधन देने वाले पौधे:
साखू : इमारती लकड़ी के लिए।
शीशम : फर्नीचर बनाने के लिए।
सागौन : उच्च गुणवत्ता की लकड़ी।
लाभदायक जीव
i) खाद्य पदार्थ देने वाले जीव:
गाय, भैंस, बकरी: दूध, दही, पनीर, मक्खन।
भेड़, बकरी, मुर्गी: मांस।
मुर्गी, बतख: अंडे।
मधुमक्खी: शहद।
ii) उपाद देने वाले जीव:
रेशम के कीड़े (Bombyx mori): रेशम।
लाख के कीड़े: लाख।
हाथी: हाथीदांत।
कस्तूरी मृग: कस्तूरी।
iii) सहायक जीव:
बैल, घोड़ा, गधा: सामान की ढुलाई।
हाथी: भारी वजन उठाने और जंगल सफारी।
ऊँट: रेगिस्तानी इलाकों में परिवहन।
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