जन्तु की संरचना व कार्य
जंतु का सामान्य परिचय
जंतुओं की विभिन्न अंगों और उनके कार्यों को समझने के लिए उनके शरीर की संरचना को जानना आवश्यक है। उदाहरण के लिए, यदि हम अपने आसपास के बाग, नदी, तालाब, जंगल, मैदान, या चिड़ियाघर में भ्रमण करें तो विभिन्न प्रकार के जंतु जैसे मेढ़क, केंचुआ, तिलचट्टा, घोंघा, साँप, मछली, गिलहरी, हाथी आदि को देख सकते हैं।
सबसे बड़ा जंतु हाथी माना जाता है, लेकिन वास्तव में समुद्र में पाया जाने वाला नीला व्हेल सबसे बड़ा जंतु है। इसके विपरीत, अनाज में पाया जाने वाला घुन सबसे छोटा जीव है जिसे हमारी आँख से देखा जा सकता है।
जंतुओं के विभिन्न आकार
पानी की एक बूंद को साधारण आँख से देखने पर कुछ भी दिखाई नहीं देता, लेकिन सूक्ष्मदर्शी से देखने पर उसमें कई छोटे-छोटे जीवाणु दिखाई देते हैं। इन सूक्ष्मजीवों को सूक्ष्मजीव कहा जाता है, जैसे जीवाणु, यूग्लीना, अमीबा, पैरामीशियम, क्लैमाइडोमोनास आदि। ये जीवाणु एककोशकीय होते हैं।
जंतुओं के अंग और उनके कार्य
जंतुओं में विभिन्न अंग होते हैं जिनके अलग-अलग कार्य होते हैं। कुछ मुख्य अंग और उनके कार्य निम्नलिखित हैं:
1. पाचन अंग
मुखगुहा: भोजन का पाचन यहीं से प्रारंभ होता है।
भोजन नली (अन्ननली): भोजन को आमाशय तक ले जाती है।
आमाशय: भोजन को और अधिक पचाता है।
छोटी आंत: पोषक तत्वों का अवशोषण करती है।
बड़ी आंत: अपशिष्ट पदार्थों का निष्कासन करती है।
मलाशय एवं गुदा: अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालती है।
2. श्वसन अंग
ऑक्सीजन युक्त वायु को अंदर खींचना और कार्बन डाइऑक्साइड युक्त वायु को बाहर निकालना श्वसन कहलाता है। मनुष्यों में श्वसन तंत्र में नासिका, नासिका मार्ग, श्वासनली, श्वास नलिकाएँ, और फेफड़े शामिल होते हैं।
3. हृदय
हृदय का मुख्य कार्य रक्त को पंप करना है जिससे ऑक्सीजन और पोषक तत्व पूरे शरीर में पहुँचते हैं।
4. वृक्क
वृक्क अपशिष्ट पदार्थों को रक्त से छानकर मूत्र के रूप में बाहर निकालते हैं। मनुष्यों में वृक्क, मूत्रवाहिनियाँ, मूत्राशय, और मूत्रमार्ग उत्सर्जन तंत्र का हिस्सा होते हैं।
5. जनन अंग
जनन अंग प्रजनन में सहायक होते हैं। कुछ जंतुओं में नर और मादा जनन अंग अलग-अलग होते हैं, जबकि कुछ जंतुओं में दोनों अंग एक ही जंतु में होते हैं।
6. मस्तिष्क और तंत्रिकाएँ
मस्तिष्क और तंत्रिकाएँ सभी क्रियाओं का नियंत्रण और संचालन करती हैं। मनुष्यों में तंत्रिका तंत्र में मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी, और तंत्रिकाएँ शामिल होती हैं।
ज्ञानेन्द्रियाँ (इंद्रियाँ)
i) कान (श्रवणेन्द्रिय)
कान सुनने और संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं।
ii) आँख (दृष्टेन्द्रिय)
आँखें देखने का कार्य करती हैं और वस्तुओं का आकार, रंग, और दूरी समझने में मदद करती हैं।
iii) नाक (घ्राणेन्द्रिय)
नाक गंध पहचानने का कार्य करती है।
iv) जीभ (रसनेन्द्रिय)
जीभ स्वाद को पहचानने और भोजन को चबाने में मदद करती है।
v) त्वचा (स्पर्शेन्द्रिय)
त्वचा स्पर्श, गर्मी, ठंड, और दर्द का अनुभव करने में मदद करती है।
मानव और अन्य जंतुओं के कंकाल तंत्र
कंकाल तंत्र जंतुओं को एक निश्चित आकार और सहारा देता है। जंतुओं के कंकाल दो प्रकार के होते हैं:
बाह्य कंकाल
त्वचा के ऊपर पाया जाता है जैसे बाल, नाखून आदि।
आंतरिक कंकाल
त्वचा के अंदर पाया जाता है जैसे हड्डियाँ और उपास्थियाँ।
मनुष्यों का आंतरिक कंकाल
मनुष्यों में आंतरिक कंकाल को दो भागों में बाँटा जा सकता है:
अक्षीय कंकाल
इसमें खोपड़ी, रीढ़ की हड्डी, और उरोस्थि शामिल हैं।
अपेंडिक्यूलर कंकाल
इसमें हाथ और पैरों की हड्डियाँ शामिल हैं।
i) कंकाल तंत्र:
मानव कंकाल: मानव कंकाल 206 हड्डियों का बना होता है। यह शरीर को आकार देता है, अंगों की रक्षा करता है, और गतिशीलता में सहायता करता है।
अकशेरुकी जंतु: इन जंतुओं में कशेरुक (वर्टिब्रा) नहीं होती है। उदाहरण के लिए, कीड़े, केंचुए, और घोंघे।
कशेरुकी जंतु: इन जंतुओं में कशेरुक (वर्टिब्रा) होती है। उदाहरण के लिए, मानव, पक्षी, और मछलियाँ।
ii) आहार नाल और पाचन अंग:
मुखगुहा: भोजन का प्रवेशद्वार।
भोजन नली (ओसोफेगस): भोजन को मुखगुहा से आमाशय तक पहुंचाती है।
आमाशय: भोजन को पचाने के लिए रस का उत्पादन करता है।
छोटी आंत: पोषक तत्वों का अवशोषण करती है।
बड़ी आंत: अपशिष्ट पदार्थ को संग्रहित करती है और पानी का अवशोषण करती है।
पाचन ग्रंथियाँ: यकृत (लिवर) और अग्न्याशय (पैनक्रियाज) पाचक रस उत्पन्न करते हैं जो पाचन में सहायता करते हैं।
iii) सांस लेने के अंग (श्वसन तंत्र):
नासिका: वायु का प्रवेशद्वार।
वायु मार्ग: नासिका से लेकर फेफड़ों तक का मार्ग।
फेफड़े: ऑक्सीजन का अवशोषण और कार्बन डाइऑक्साइड का निष्कासन करते हैं।
iv) रक्त संचार तंत्र:
हृदय: रक्त को पंप करता है।
रक्त वाहिकाएँ: धमनियाँ (आर्टरीज) और शिराएँ (वेंस) जो रक्त को हृदय से शरीर के विभिन्न हिस्सों तक ले जाती हैं और वापस लाती हैं।
रक्त: ऑक्सीजन और पोषक तत्वों को शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचाता है और अपशिष्ट पदार्थों को निकालता है।
v) उत्सर्जन तंत्र:
गुर्दे: रक्त को छानते हैं और मूत्र (यूरिन) का निर्माण करते हैं।
मूत्रवाहिनी: गुर्दों से मूत्राशय तक मूत्र पहुंचाती है।
मूत्राशय: मूत्र को संग्रहित करता है।
मूत्रमार्ग: मूत्र को शरीर से बाहर निकालता है।
vi) जनन अंग:
नर जनन अंग: वृषण (टेस्टिस) और अन्य अंग।
मादा जनन अंग: अंडाशय (ओवरी) और अन्य अंग।
vii) तंत्रिका तंत्र:
मस्तिष्क: सभी क्रियाओं और प्रतिक्रियाओं का केंद्र।
रीढ़ की हड्डी: मस्तिष्क से संदेश को शरीर के अन्य हिस्सों तक पहुंचाती है।
तंत्रिकाएँ: संदेश को पूरे शरीर में संचारित करती हैं।
viii) संवेदी अंग:
कान: सुनने और संतुलन बनाए रखने में सहायक।
आंखें: देखने और रंग पहचानने में सहायक।
नाक: गंध को पहचानने में सहायक।
जीभ: स्वाद को पहचानने में सहायक।
त्वचा: स्पर्श, तापमान, और दबाव को महसूस करती है।
विविध आकार के जंतु
जंतुओं के आकार और प्रकार में बहुत विविधता होती है। जल में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवाणु जैसे यूग्लीना, अमीबा, और पैरामीशियम एककोशकीय होते हैं। तालाब में देखे जाने वाले मेंढक, केंचुआ, और घोंघा अलग-अलग आकार के होते हैं। बड़े जंतु जैसे हाथी और नीला व्हेल विशालकाय होते हैं।
संधियाँ और उनके कार्य
संधियाँ जंतुओं के शरीर में हड्डियों के जोड़ को गतिशील बनाती हैं। उदाहरण के लिए, घुटने की संधि जो चलने में सहायता करती है।
कंकाल तंत्र
कंकाल तंत्र जंतुओं के शरीर को न केवल संरचना प्रदान करता है, बल्कि अंगों की सुरक्षा और गतिशीलता भी सुनिश्चित करता है। मानव कंकाल 206 हड्डियों से बना होता है जो शरीर के विभिन्न हिस्सों को जोड़ता और सहारा देता है।
पाचन तंत्र
पाचन तंत्र में मुखगुहा, आमाशय, छोटी आंत, और बड़ी आंत शामिल होती है। भोजन का पाचन और पोषक तत्वों का अवशोषण इस तंत्र के माध्यम से होता है।
श्वसन तंत्र
श्वसन तंत्र में नासिका, वायुमार्ग, और फेफड़े शामिल होते हैं। ऑक्सीजन का अवशोषण और कार्बन डाइऑक्साइड का निष्कासन इस तंत्र के माध्यम से होता है।
रक्त संचार तंत्र
रक्त संचार तंत्र में हृदय और रक्त वाहिकाएँ शामिल होती हैं जो रक्त को पूरे शरीर में संचारित करती हैं।
उत्सर्जन तंत्र
उत्सर्जन तंत्र में गुर्दे, मूत्रवाहिनी, मूत्राशय, और मूत्रमार्ग शामिल होते हैं जो अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालते हैं।
जनन तंत्र
जनन तंत्र में नर और मादा जनन अंग शामिल होते हैं जो संतान उत्पत्ति में सहायक होते हैं।
तंत्रिका तंत्र
तंत्रिका तंत्र में मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी, और तंत्रिकाएँ शामिल होती हैं जो संदेशों को संचारित करती हैं और शरीर की क्रियाओं को नियंत्रित करती हैं।
संवेदी तंत्र
संवेदी तंत्र में कान, आँखें, नाक, जीभ, और त्वचा शामिल होते हैं जो विभिन्न संवेदनाओं को महसूस करते हैं।
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