दैनिक जीवन में विज्ञान की भूमिका
पारंपरिक एवं वर्तमान प्रयोग में विज्ञान की भूमिका
कृषि में योगदान:
पारंपरिक तरीके: पहले किसान खेती के लिए बैल और हल का उपयोग करते थे। यह प्रक्रिया धीमी और मेहनत वाली होती थी।
वर्तमान तकनीक: आज ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, और सीडल ड्रिल जैसी मशीनें इस काम को तेज और कुशल तरीके से करती हैं। यह न केवल समय बचाती हैं बल्कि उत्पादन भी बढ़ाती हैं।
खाना पकाने में योगदान:
पारंपरिक तरीके: पहले लोग लकड़ी और कोयले के चूल्हे पर खाना पकाते थे। इससे धुआं और प्रदूषण होता था।
वर्तमान तकनीक: आज गैस के चूल्हे, माइक्रोवेव, और इंडक्शन कुकर का उपयोग होता है। यह उपकरण खाना पकाने को तेज, स्वच्छ और सुरक्षित बनाते हैं।
यातायात में योगदान:
पारंपरिक तरीके: पहले लोग पैदल या पशु-गाड़ियों से यात्रा करते थे, जो धीमी और समय लेने वाली होती थी।
वर्तमान तकनीक: आज हमारे पास ट्रेन, कार, बस, और हवाई जहाज जैसी तेज और आरामदायक यातायात के साधन हैं। इससे लंबी दूरी की यात्रा भी कुछ घंटों में पूरी की जा सकती है।
संचार में योगदान:
पारंपरिक तरीके: पहले लोग संदेश भेजने के लिए डाक सेवा या पालतू पक्षियों का उपयोग करते थे।
वर्तमान तकनीक: आज टेलीफोन, मोबाइल, ईमेल, और सोशल मीडिया के माध्यम से हम तुरंत संपर्क में आ सकते हैं, चाहे वह दुनिया के किसी भी कोने में हो।
विज्ञान के अविवेकपूर्ण उपयोग से उत्पन्न समस्याएँ
1. पर्यावरण प्रदूषण:
वाहनों और उद्योगों से उत्सर्जित धुएं और गैसों से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है।
रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों के उपयोग से मिट्टी और जल स्रोत प्रदूषित हो रहे हैं। इससे जलाशयों और नदियों में जलचरों की संख्या कम हो रही है।
2. भू-जल संकट:
अधिक भू-जल दोहन से जल स्तर गिरता जा रहा है। इससे कुएं और तालाब सूख रहे हैं, जिससे पानी की किल्लत बढ़ रही है।
3. ध्वनि प्रदूषण:
तीव्र ध्वनि उत्पन्न करने वाले उपकरणों जैसे लाउडस्पीकर, वाहनों के हॉर्न आदि से ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है। इससे सुनने की क्षमता और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है।
4. रेडियोधर्मी विकिरण:
परमाणु ऊर्जा के असंयमित उपयोग से रेडियोधर्मी विकिरण फैलता है, जो जीवों और पर्यावरण के लिए अत्यंत हानिकारक है। उदाहरण के लिए, हिरोशिमा और नागासाकी में परमाणु बम विस्फोट के प्रभाव से लाखों लोग मारे गए थे।
5. ओजोन परत का क्षरण:
रेफ्रिजरेटर और एयर कंडीशनर में प्रयुक्त होने वाली CFC गैसों से ओजोन परत क्षतिग्रस्त हो रही है, जिससे UV किरणों का पृथ्वी पर प्रभाव बढ़ रहा है। इससे त्वचा कैंसर और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
भारतीय एवं अन्य देशों के वैज्ञानिकों का योगदान
भारतीय वैज्ञानिकों का योगदान:
चरक: आयुर्वेद के प्रणेता चरक ने औषधीय गुणों वाली जड़ी-बूटियों का उपयोग कर बीमारियों के उपचार की विधि विकसित की।
सुश्रुत: शल्य चिकित्सा के जनक माने जाने वाले सुश्रुत ने शल्य चिकित्सा की विभिन्न तकनीकों का विकास किया।
आर्यभट्ट: गणितज्ञ और खगोलशास्त्री आर्यभट्ट ने पाई (π) का मान और शून्य का आविष्कार किया।
सी. वी. रमन: भौतिक विज्ञानी सी. वी. रमन ने प्रकाश के प्रकीर्णन पर महत्वपूर्ण शोध किया, जिसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार मिला।
विदेशी वैज्ञानिकों का योगदान:
आइजक न्यूटन: सर आइजक न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिससे हमें यह समझ में आया कि चीजें हमेशा जमीन पर क्यों गिरती हैं।
मैडम क्यूरी: मैडम क्यूरी ने रेडियम और पोलोनियम की खोज की और रेडियोधर्मिता पर महत्वपूर्ण कार्य किया।
अल्बर्ट आइंस्टीन: अल्बर्ट आइंस्टीन ने सापेक्षता के सिद्धांत की खोज की, जिससे भौतिकी के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन आया।
अलेक्जेंडर फ्लेमिंग: अलेक्जेंडर फ्लेमिंग ने पेनिसिलिन की खोज की, जिससे संक्रमण रोगों के इलाज में बड़ी सफलता मिली।
विज्ञान की देन: दैनिक जीवन में
विज्ञान ने हमारे दैनिक जीवन में कई महत्वपूर्ण बदलाव लाए हैं,
जैसे कि:
कृषि कार्यों में ट्रैक्टर, सीडल ड्रिल, और हार्वेस्टर का उपयोग
संचार के क्षेत्र में टेलीविजन, रेडियो, और इंटरनेट का उपयोग
यातायात के साधनों में ट्रेन, कार, बस, और हवाई जहाज का उपयोग
स्वास्थ्य सेवाओं में उन्नत चिकित्सा उपकरण और दवाओं का उपयोग
मनोरंजन के क्षेत्र में स्मार्टफोन, कंप्यूटर, और गेमिंग कंसोल का उपयोग
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