ऊर्जा एवं कार्य की अवधारणा
ऊर्जा की अवधारणा को समझने के लिए, हमने कई गतिविधियों का अनुभव किया होगा। उदाहरण के लिए, जब एक गेंद एक अन्य गेंद से टकराती है, तो वह उसे आगे बढ़ा देती है। इसी प्रकार, गुलेल से छोड़ा गया पत्थर और तीर भी आगे बढ़ जाते हैं। ये सभी उदाहरण दर्शाते हैं कि गतिशील वस्तुएं कार्य करने की क्षमता रखती हैं। इस कार्य करने की क्षमता को ही ऊर्जा कहते हैं।
कार्य की अवधारणा
हमारे दैनिक जीवन में हम कई कार्य करते हैं, जैसे पढ़ना, लिखना, साइकल चलाना, दीवार को धक्का देना आदि। विज्ञान की भाषा में कार्य को विशेष रूप से परिभाषित किया गया है। किसी वस्तु पर बल लगाने पर भी यदि वस्तु नहीं हिलती है, तो कार्य नहीं किया गया माना जाता है।
जैसे: यदि एक भारी पत्थर पर बल लगाने के बावजूद वह अपनी जगह से नहीं हटता है, तो कोई कार्य नहीं हुआ। यदि बल लगाने पर पत्थर कुछ दूरी तक खिसकता है, तो कार्य हुआ।
कार्य को निम्नलिखित सूत्र से ज्ञात किया जा सकता है:
कार्य (W)=बल (F)×बल के अनुदिश में दूरी (S)
कार्य (W) = बल (F) \times बल के अनुदिश में दूरी (S)
कार्य (W) = बल (F) × बल के अनुदिश में दूरी (S) यदि बल न्यूटन में है और दूरी मीटर में है,
तो कार्य का S.I. मात्रक जूल होता है।
ऊर्जा की अवधारणा
ऊर्जा कार्य करने की क्षमता को दर्शाती है। जैसे, लंबे समय तक व्यायाम करने या भारी सामान ढोने के बाद हम थकान महसूस करते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कार्य करने में ऊर्जा का उपयोग होता है और शरीर में संचित ऊर्जा कम हो जाती है। भोजन के माध्यम से यह ऊर्जा पुनः प्राप्त होती है। इसी तरह, विभिन्न यंत्रों को चलाने के लिए भी ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
कार्य तथा ऊर्जा में संबंध
कार्य और ऊर्जा एक-दूसरे के साथ सीधे जुड़े हुए हैं। जब हम कोई कार्य करते हैं, तो ऊर्जा का उपयोग होता है। उदाहरण के लिए, एक खिंचा हुआ गुलेल या तीर में ऊर्जा संचित होती है और उसे छोड़ने पर कार्य किया जाता है। इस प्रकार, कार्य करने में ऊर्जा की खपत होती है और यह दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
ऊर्जा के विभिन्न प्रकार
ऊर्जा कई रूपों में होती है,
जैसे:
स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy) जैसे, खिंचा हुआ तीर, गुलेल या स्प्रिंग में स्थितिज ऊर्जा होती है।
गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy) जैसे, चलती हुई रेलगाड़ी, हवा, बहता हुआ पानी।
रासायनिक ऊर्जा (Chemical Energy) भोजन, पेट्रोल, डीजल आदि में रासायनिक ऊर्जा संचित होती है।
ध्वनि ऊर्जा (Sound Energy) ध्वनि के रूप में भी ऊर्जा होती है, जैसे कि पटाखों की आवाज।
प्रकाश ऊर्जा (Light Energy) सूर्य की किरणों से मिलने वाली ऊर्जा।
तापीय ऊर्जा (Thermal Energy) जलते हुए ईंधन से प्राप्त होने वाली ऊष्मा।
विद्युत ऊर्जा (Electrical Energy) विद्युत उपकरणों में प्रयोग होने वाली ऊर्जा।
चुम्बकीय ऊर्जा (Magnetic Energy) चुम्बकों में संचित ऊर्जा।
ऊर्जा के स्रोत: नवीकरणीय व अनवीकरणीय
ऊर्जा के स्रोत दो प्रकार के होते हैं:
1. नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत (Renewable Energy Sources) ये वे स्रोत हैं जो पुनः प्राप्त किए जा सकते हैं, जैसे सूर्य, पवन, जल, जैव अपशिष्ट।
2. अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत (Non-renewable Energy Sources) ये वे स्रोत हैं जो एक बार समाप्त हो जाने पर पुनः प्राप्त नहीं किए जा सकते, जैसे कोयला, पेट्रोलियम, डीजल।
मुख्य बिंदु:
1. कार्य की शर्तें: बल का लगना और विस्थापन।
2. ऊर्जा की अवधारणा: कार्य करने की क्षमता।
3. ऊर्जा के प्रकार: स्थितिज, गतिज, रासायनिक, ध्वनि, प्रकाश, तापीय, विद्युत, चुम्बकीय।
4. ऊर्जा स्रोत: नवीकरणीय और अनवीकरणीय।
इस प्रकार, ऊर्जा और कार्य का अध्ययन हमें यह समझने में मदद करता है कि किस प्रकार ऊर्जा का प्रयोग विभिन्न कार्यों में होता है और इसके विभिन्न रूप हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित करते हैं।
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