स्थल मार्ग
सड़कें तथा रेलमार्ग स्थल मार्ग के अंतगर्त आते हैं। सम्पूर्ण भारत में सड़को का जाल बिछा है । भारत के लगभग सभी छोटे -बड़े कस्बे व शहर कच्ची -पक्की सड़को से जूड़े हैं । भारत की सड़कों को मुख्य रूप से तीन वर्गों में रखा जा सकता है –
1 राष्ट्रीय राजमार्ग
2 प्रान्तीय राजमार्ग
3 जिला एवं ग्रामीण सड़कें
राष्ट्रीय राजमार्ग विभिन्न प्रदेशों की राजधानियों , देश के बड़े औद्योगिक व व्यापारिक नगरों , प्रमुख बन्दरगाहों को आपस में जोड़ने वाली पक्की सड़कें होती हैं ।
भारत का सड़क मार्ग
राष्ट्रीय राजमार्ग -1(N.H.1)-दिल्ली से अमृतसर
राष्ट्रीय राजमार्ग -2(N.H.2)-दिल्ली से कोलकाता
राष्ट्रीय राजमार्ग -7(N.H.7)-वाराणसी से कन्याकुमारी
प्रान्तीय राजमार्ग – ये राज्य की प्रमुख सड़कें होती हैं। राज्य के व्यापार के विकास में इनका महत्वपूर्ण योगदान होता है।
जिला एवं ग्रामीण सड़कें- जिले के विभिन्न भागों को जोड़ने वाली सड़कों का विशेष महत्व होता है। ये सड़कें जिले के कस्बों उत्पादक केंद्रों, मंडियों व गाँवों को आपस में जोड़ती हैं।
रेल मार्ग
भारत में रेलमार्ग माल और यात्रियों के परिवहन का मुख्य साधन है। क्योंकि स्थलमार्ग पर चलने वाले सभी साधनों की तुलना में रेल सस्ता तथा तीव्रगति से चलने वाला साधन है। वर्तमान में सड़क मार्गों की तरह देश के सभी प्रमुख शहर रेलमार्गों से जुडे हैं। जम्मू से कन्याकुमारी तक बिछी रेल लाइन देश की सबसे लंबी दूरी का रेल मार्ग है। इस मार्ग पर हिमसागर एक्सप्रेस चलती है। मैदानी भागों में रेलमार्ग बनाना आसान होता है , जबकि पहाड़ी छेत्रों में कठिन। पहाड़ी छेत्र में तेज ढाल व तीखे मोड़ होते हैं, जो रेलमार्ग बनाने में समस्या उत्पन्न करते हैं।
जल मार्ग
जलमार्ग वह मार्ग होता है, जो एक स्थान से दूसरे स्थान को जल के माध्यम से जोड़ता है जैसे नदी आदि।जल परिवहन को समुद्री मार्गों और अंतर्देशीय जलमार्गों में विभाजित किया गया है ।
जल मार्ग को (i) आंतरिक जलमार्ग और (ii) समुद्री जलमार्ग में विभाजित किया गया है ।
आंतरिक जलमार्ग – नदियाँ , नहरें , झीलें और तटीय क्षेत्र कार्गो और यात्रियों के परिवहन के लिए अंतर्देशीय जलमार्ग हैं ।
समुद्री जलमार्ग – महासागर बिना किसी रखरखाव लागत के साथ सभी दिशाओं में चलने योग्य एक सुगम राजमार्ग प्रदान करते हैं। विश्व के लगभग सभी बड़े देशो में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए समुद्री मार्ग का प्रयोग किया जाता है। भारत की तट रेखा लगभग 7517 किलोमीटर लंबी है जिस पर मुख्य रुप से 12 प्रमुख और 185 से छोटे बंदरगाह उपस्थित है मात्रा के अनुसार 95% एवं मूल्य के अनुसार 70% भारतीय विदेशी व्यापार समुद्री मार्गो द्वारा संचालित किया जाता है ।
वायुमार्ग
हवाई परिवहन, परिवहन का सबसे तेज़ साधन है, लेकिन यह बहुत महंगा है, इसलिए यात्रियों द्वारा केवल लंबी दूरी की यात्रा के लिए इसे प्राथमिकता दी जाती है।
भारत में हवाई परिवहन की शुरुआत इलाहाबाद से नैनी के लिए 18 फरवरी 1911 में की गई
दुर्गम क्षेत्रों तक पहुंचने का यही एकमात्र साधन है।
हवाई अड्डों का निर्माण भी बहुत महंगा है और अत्यधिक औद्योगिक देशों में अधिक विकसित हुआ
आज, 250 से अधिक वाणिज्यिक एयरलाइंस दुनिया के विभिन्न हिस्सों में नियमित सेवाएं प्रदान करती हैं।
व्यापार
वस्तुओं को खरीदने एवं बेचने का कार्य व्यापार कहलाता है
व्यापार के प्रकार व्यापार मुख्यतः दो प्रकार का होता है- (1) देशी व्यापार तथा (2) विदेशी व्यापार।
देशी व्यापार – देशी या आन्तरिक व्यापार से आशय उस व्यापार से है जो एक ही देश के विभिन्न स्थानों अथवा क्षेत्रों के बिच किया जाता है। जैसे आगरा व मुम्बई के बीच व्यापार, उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश के बीच व्यापार, आदि। इस प्रकार के व्यापार का क्षेत्र देश की आन्तरिक सीमाओं तक ही सीमित रहता है।
विदेशी व्यापार – अन्य देशों के साथ व्यापार को विदेशी व्यापार कहा जाता है। विदेशी व्यापार तीन प्रकार का होता है। आयात व्यापार जब कोई वस्तु या सेवा अन्य देशों से खरीदी जाती है तो उसे आयात व्यापार कहते हैं। निर्यात व्यापार जब वस्तुओं को दूसरे देशों को बेचा जाता है तो उसे निर्यात व्यापार कहते हैं। पुनर्निर्यात व्यापार: इसे पुनर्निर्यात भी कहा जाता है।
भारत के प्रमुख आयत
(i) पेट्रोलियम और पेट्रोलियम उत्पाद
(ii) मशीनें
(iii) लोहा और इस्पात
(iv) खनिज
(v) उर्वरक
(vi) खाद्य तेल
(vii) रसायन
भारत के प्रमुख निर्यात
चमड़ा और उसके उत्पाद
पेट्रोलियम उत्पाद
रत्न और आभूषण
ऑटोमोबाइल और उपकरण
फार्मास्युटिकल उत्पाद
इलेक्ट्रॉनिक सामान
डेयरी उत्पाद
हथकरघा और सूती धागे
संचार
मानव ने लंबी दूरी के संचार के विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल किया है जिसके माध्यम से हम काफी दूरी पर भी जानकारी का आदान प्रदान कर सकते हैं। इस व्यवस्था के द्वारा हम अपनी आवाज़, डाटा, विडियो को दूसरी जगह ट्रांसमिट कर सकते हैं और दूसरी जगह की जानकारी को रिसीव भी कर सकते हैं। दूरसंचार के अंतर्गत टेलीफोन , माइक्रोवेव संचार, फाइबर ऑप्टिक्स, उपग्रह, रेडियो, टेलीविजन प्रसारण, इंटरनेट और टेलीग्राफ आते हैं जिनका इस्तेमाल करके हम जानकारी का आदान प्रदान करते हैं।
ऑप्टिकल फाइबर
मानव ने लंबी दूरी के संचार के विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल किया है जिनमें टेलीग्राफ और टेलीफोन महत्वपूर्ण थे। आज संचार के क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास ऑप्टिक फाइबर केबल्स के उपयोग के कारण संभव हुआ है। इन केबल्स के माध्यम से बड़ी मात्रा में डेटा को तेजी एवं सुरक्षित रूप से प्रसारित किया जा सकता है।
इंटरनेट
इंटरनेट विश्व स्तर पर ऐसा जुड़ा नेटवर्क सिस्टम है जो की TCP/IP प्रोटोकॉल के उपयोग से एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर के बीच विभिन्न प्रकार के मीडिया के माध्यम से सूचनाएँ, जानकारियाँ या डाटा का संचार या आदान-प्रदान के लिए उपयोग किया जाता है।
उपग्रह संचार
उपग्रह संचार का अनुप्रयोग : पृथ्वी के चारों तरफ कक्षा में स्थित किसी उपग्रह की सहायता से एक जगह से दूसरी जगह तक सूचना को पहुँचाना उपग्रह संचार कहलाता है। इसी संचार के कारण हम दुनिया के किसी भी कोने में हो रहे मैच का लाइव टेलीकास्ट देख सकते है। उपग्रह संचार का उपयोग हम विभिन्न चीजो में करते है अत: इसके अनुप्रयोग कई है जैसे टेलीफोन में , टेलीविजन में , इन्टरनेट में , रेडियो आदि के लिए उपग्रह संचार का ही उपयोग होता है।
इंटरनेट नेटवर्किंग संचार के साधन
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