जलवायु
भूमध्य रेखा के उत्तर तथा दक्षिण में 5°अक्षांश से 10° अक्षांश तक विस्तृत जलवायु प्रदेश को विषुवत रेखीय या भूमध्य रेखीय जलवायु प्रदेश कहते हैं। इस प्रदेश में वर्षा भी खूब होती है व अच्छी धूप होती है और दोपहर बाद प्रतिदिन तेज वर्षा होती है। यहां की जलवायु मनुष्यों के लिए कष्टकारी होती है जबकि पेड़ -पोंधो के अनुकूल होती है । यहां सदाबहार वन पाए जाते हैं । यहां दिन भर उमस बनी रहती है जिससे बिमारियों का भी प्रकोप अधिक होता है ।
वनस्पति
उच्च तापमान एवं भारी वर्षा के फलस्वरूप भूमध्यरेखीय प्रदेशों में सघन व सदाबहार वन मिलते हैं। ये वर्षभर हरे-भरे एवं इतने सघन होते हैं कि सूर्य की किरणें भी इनमें प्रवेश नहीं कर पाती है। मुख्य वृक्ष महोगनी , सिनकोना, आबनूस ,एबोनी, एबनुस ,चंदन ,रबड़, बेेेत आदि है ।
जीव-जन्तु
विषुवतरेखीय प्रदेश में बहुत घने वन पाए जाते हैं। यहां वनस्पतियों का भरा -पूरा संसार है । इस कारण यहां बहुत बड़ी संख्या में अनेक प्रकार के जीव – जन्तु मिलते हैं । यहाँ पेड़ों पर रहने वाले मैंड्रील बन्दर , चिम्पैंजी, लंगूर , मकड़ा बन्दर , गिलहरी बन्दर, मानेड स्लोथ, जहरीले साँप , छिपकली , मेढक , आदि पानी में रहने वाले दरियाई घोड़ा, कैमेन मगरमच्छ, घड़ियाल आदि एवं खुले वनों में रहने वाले जंगली भैंस , हाथी, गोरिल्ला,आदि जानवर और बहुत बड़ी संख्या में पक्षी और कीड़े -मकोड़े पाए जाते हैं ।
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