1. सः राजा कस्मिन कुशलः आसीत्?
(वह राजा किसमें कुशल था?)
उत्तर: सः राजा क्रीडायाम् अतीव कुशलः आसीत्।
(वह राजा खेलों में अत्यंत कुशल था।)
2. राज्ञः नाम किं आसीत्?
(राजा का नाम क्या था?)
उत्तर: तस्य नाम “खेलः” इति आसीत्।
(उसका नाम “खेल” था।)
3. राज्ञः पत्नी का नाम किम् आसीत्?
(राजा की पत्नी का नाम क्या था?)
उत्तर: तस्या: नाम “विश्पला” आसीत्।
(उसका नाम “विश्पला” था।)
4. विश्पला का विशेष गुणः कः आसीत्?
(विश्पला की विशेषता क्या थी?)
उत्तर: सा युद्धनिपुणा वीराज्ञना आसीत्।
(वह युद्ध में निपुण और वीराग्ना थी।)
5. युद्धे विश्पलायाः किम् अभवत्?
(युद्ध में विश्पला के साथ क्या हुआ?)
उत्तर: तस्या: द्वौ अपि पादौ छिन्नौ।
(उसके दोनों पैर कट गए।)
6. विश्पला के उत्साह का कारण कः आसीत्?
(विश्पला का उत्साह किस कारण से था?)
उत्तर: तस्या: साहसं, वीरता, उत्साहं च।
(उसकी साहस, वीरता और उत्साह।)
7. अगस्त्यः कस्य आह्वानं कृतवान्?
(अगस्त्य ने किसे बुलाया?)
उत्तर: अगस्त्यः अश्विनीकुमारौ आह्वानं कृतवान्।
(अगस्त्य ने अश्विनी कुमारों को बुलाया।)
8. अश्विनीकुमारौ विश्पलायै किं अकल्पयताम्?
(अश्विनी कुमारों ने विश्पला के लिए क्या बनाया?)
उत्तर: तौ लौहनिर्मितौ पादौ अकल्पयताम्।
(उन्होंने लोहे से बने पैर बनाए।)
9. विश्पला पुनः किं जितवती?
(विश्पला ने फिर क्या जीता?)
उत्तर: सा शत्रुभिः निहितं धनं जितवती।
(उसने शत्रुओं द्वारा रखा धन जीता।)
10. तस्यां रात्रौ कः मार्गनिर्देशकः आसीत्?
(उस रात मार्गदर्शन कौन कर रहा था?)
उत्तर: खेलराजस्य मार्गनिर्देशकः अगस्त्यः आसीत्।
(खेलराज का मार्गदर्शन अगस्त्य कर रहे थे।)
11. विश्पला कदाचित् हतोत्साहा अभवत् वा?
(क्या कभी विश्पला ने उत्साह खोया?)
उत्तर: न, सा हतोत्साहा न अभवत्।
(नहीं, उसने कभी उत्साह नहीं खोया।)
12. “क्रियासिद्धिः सत्वे भवति” इत्यस्य अर्थः कः?
(“क्रियासिद्धि सत्वे भवति” का अर्थ क्या है?)
उत्तर: कार्य की सफलता साधनों पर नहीं, व्यक्ति के धैर्य पर निर्भर करती है।
13. विश्पलायाः पादाः केन निर्मिताः?
(विश्पला के पैर किससे बनाए गए?)
उत्तर: लौहेन निर्मिताः।
(लोहे से बनाए गए।)
14. अश्विनीकुमारौ के के आहूतवन्तौ?
(अश्विनी कुमारों को किसने बुलाया?)
उत्तर: अगस्त्यः तौ आहूतवान्।
(अगस्त्य ने उन्हें बुलाया।)
15. एषः पाठः कं संदेशं ददाति?
(यह पाठ क्या संदेश देता है?)
उत्तर: क्रियासिद्धिः सत्वे भवति महतां।
(कार्य की सफलता साधनों पर नहीं, मनुष्य की मेहनत और धैर्य पर निर्भर करती है।)
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