Question 1: यक्षः कः प्रश्नं पृष्टवान्?
(यक्ष ने कौन सा प्रश्न पूछा?)
Answer: यक्षः पृष्टवान्: “किंस्विद् गुरुतरं भूमे:?”
(यक्ष ने पूछा: “भूमि से भारी क्या है?”)
Question 2: युधिष्ठिरस्य उत्तरं किं आसीत्?
(युधिष्ठिर का उत्तर क्या था?)
Answer: युधिष्ठिरः उक्तवान्: “माता गुरुतरा भूमे:”।
(युधिष्ठिर ने कहा: “माता भूमि से भारी है।”)
Question 3: यक्षस्य द्वितीयं प्रश्नं किम्?
(यक्ष का दूसरा प्रश्न क्या था?)
Answer: “किंस्विदुच्चतरं च खात्?”
(“आकाश से ऊँचा क्या है?”)
Question 4: खात् कः उच्चतरः इति युधिष्ठिरः उक्तवान्?
(युधिष्ठिर ने कहा, आकाश से ऊँचा कौन है?)
Answer: “पिता उच्चतरः खात्।”
(“पिता आकाश से ऊँचे हैं।”)
Question 5: शीघ्रतरं वायोः किम्?
(हवा से तेज क्या है?)
Answer: “मनः शीघ्रतरं वायोः।”
(“मन हवा से तेज है।”)
Question 6: बहुतरं तृणात् किम्?
(घास से अधिक क्या है?)
Answer: “चिन्ता बहुतरी तृणात्।”
(“चिंता घास से अधिक है।”)
Question 7: यक्षस्य प्रश्नः: “करः शत्रुर्दुर्जयः कः?”
(यक्ष का प्रश्न: “मनुष्य का दुर्जय शत्रु कौन है?”)
Answer: “क्रोधः शत्रुर्दुर्जयः।”
(“क्रोध दुर्जय शत्रु है।”)
Question 8: अनन्तकः व्याधिः कः?
(अनन्तक रोग कौन सा है?)
Answer: “अलोभः व्याधिरनन्तकः।”
(“लोभ अनन्तक रोग है।”)
Question 9: यक्षस्य प्रश्नः: “साधुः कः स्मृतः?”
(यक्ष का प्रश्न: “साधु कौन माना गया है?”)
Answer: “सर्वभूतहितः साधुः स्मृतः।”
(“जो सभी प्राणियों का हित करता है, वह साधु है।”)
Question 10: असाधुः कः स्मृतः?
(असाधु कौन माना गया है?)
Answer: “निर्दयः असाधुः स्मृतः।”
(“निर्दयी असाधु है।”)
Question 11: युधिष्ठिरः यक्षस्य प्रश्नानां उत्तरं कथं दत्तवान्?
(युधिष्ठिर ने यक्ष के प्रश्नों का उत्तर कैसे दिया?)
Answer: “धैर्येण।”
(“धैर्यपूर्वक।”)
Question 12: युधिष्ठिरस्य उत्तरं यक्षस्य प्रति किम् अभवत्?
(युधिष्ठिर का उत्तर यक्ष को कैसा लगा?)
Answer: “यक्षः संतुष्टः अभवत्।”
(“यक्ष संतुष्ट हो गया।”)
Question 13: युधिष्ठिरस्य मनोभवः कः आसीत्?
(युधिष्ठिर की मनोस्थिति कैसी थी?)
Answer: “शांतः च स्थिरः।”
(“शांत और स्थिर।”)
Question 14: क्रोधः शत्रुः कथं दुर्जयः?
(क्रोध शत्रु क्यों दुर्जय है?)
Answer: “क्रोधः मनुष्यस्य बुद्धिं नाशयति।”
(“क्रोध मनुष्य की बुद्धि नष्ट कर देता है।”)
Question 15: चिन्ता बहुतरी तृणात् किमर्थं?
(चिंता घास से अधिक क्यों है?)
Answer: “चिन्ता मानवस्य सुखं हर्ति।”
(“चिंता मनुष्य के सुख को छीन लेती है।”)
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