1. क्रोधं केन जयेत्? (क्रोध को कैसे जीते?)
उत्तर: क्रोधं अक्रोधेन जयेत्। (क्रोध को शांत स्वभाव से जीते।)
2. असाधुं केन जयेत्? (बुरे को कैसे जीते?)
उत्तर: असाधुं साधुना जयेत्। (बुरे को अच्छाई से जीते।)
3. अनृतं केन जयेत्? (झूठ को कैसे जीते?)
उत्तर: अनृतं सत्येन जयेत्। (झूठ को सच से जीते।)
4. पिपीलिका किं कुर्वन् याति? (चींटी चलते हुए क्या करती है?)
उत्तर: पिपीलिका योजनानां शतानि याति। (चींटी सैकड़ों योजन चलती है।)
5. वैनतेयः अगच्छन् किं न करोति? (गरुड़ जब न चलता हो, क्या नहीं करता?)
उत्तर: वैनतेयः पदं न गच्छति। (गरुड़ एक कदम भी नहीं बढ़ता।)
6. दिनान्ते किं पिबेत्? (दिन के अंत में क्या पिएं?)
उत्तर: दिनान्ते दुग्धं पिबेत्। (दिन के अंत में दूध पिएं।)
7. भोजनान्ते किं पिबेत्? (भोजन के बाद क्या पिएं?)
उत्तर: भोजनान्ते तक्रं पिबेत्। (भोजन के बाद छाछ पिएं।)
8. षड्दोषाः के? (छः दोष कौन से हैं?)
उत्तर: निद्रा, तन्द्रा, भयं, क्रोधः, आलस्यं, दीर्घसूत्रता। (नींद, सुस्ती, डर, गुस्सा, आलस्य, देरी।)
9. षड्दोषाः किं कर्तव्या:? (छः दोषों का क्या करें?)
उत्तर: षड्दोषाः हातव्या:। (छः दोषों को छोड़ें।)
10. धीरा: कस्य पथं न त्यजन्ति? (धीर लोग कौन से रास्ते को नहीं छोड़ते?)
उत्तर: धीरा: न्याय पथं न त्यजन्ति। (धीर लोग सच्चाई का रास्ता नहीं छोड़ते।)
11. किं वैद्यस्य प्रयोजनम्? (डॉक्टर की जरूरत कब नहीं होती?)
उत्तर: यदि दुग्धं तक्रं च पिबेत्, तर्हि वैद्यस्य प्रयोजनं नास्ति। (अगर दूध और छाछ पिएं, तो डॉक्टर की जरूरत नहीं।)
12. लक्ष्मी: कः समीपं गच्छति? (लक्ष्मी किसके पास जाती है?)
उत्तर: लक्ष्मी: यथेष्टं गच्छति। (लक्ष्मी अपनी इच्छा से जाती है।)
13. क्रोधं त्यक्त्वा किं प्राप्यते? (गुस्सा छोड़कर क्या मिलता है?)
उत्तर: शान्तिः। (शांति।)
14. धीरा: न्याय पथं किमर्थं न त्यजन्ति? (धीर लोग न्याय का रास्ता क्यों नहीं छोड़ते?)
उत्तर: क्योंकि न्याय पथं सदा सत्यं भवति। (क्योंकि न्याय का रास्ता हमेशा सही होता है।)
15. अगच्छन् वैनतेय: किं न करोति? (रुका हुआ गरुड़ क्या नहीं करता?)
उत्तर: वैनतेयः पदं न गच्छति। (गरुड़ एक कदम भी नहीं बढ़ता।)
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