मानव संसाधनों के संघटन
जनसंख्या संघटन जनसंख्या संगठन का अभिप्राय एक देश की जनसंख्या का उसकी विशेषताओं जैसे कि आयु लिंग व्यवसाय आदि के आधार पर वर्णन करना जनसंख्या संघटन कहलाता है
लिंगानुपात
जनसंख्या में महिलाओं और पुरुषों की संख्या के बीच के अनुपात को लिंग अनुपात कहा जाता है।
लिंगानुपात=(महिला जनसंख्या)*1000/(पुरुष जनसंख्या)=प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या।
लिंग अनुपात को “प्रति 1000 पुरुषों पर जनसंख्या में महिलाओं की संख्या” के रूप में परिभाषित किया गया है। नतीजतन, 1000 का लिंग अनुपात कुल लैंगिक समानता को दर्शाता है।
1000 से अधिक के अनुपात पुरुषों की तुलना में महिलाओं की अधिकता को प्रदर्शित करते हैं; 1000 से नीचे के लोग महिलाओं की कमी को प्रदर्शित करते हैं।
2011 की जनसंख्या जनगणना में, यह पता चला था कि भारत में जनसंख्या अनुपात 2011 में प्रति 1000 पुरुषों पर 943 महिलाएं हैं।
भारत में स्त्रियों के प्रतिकूल लिंगानुपात के कारण
⦁ स्त्री भ्रूण की हत्या की प्रथा।
⦁ स्त्री शिशु की हत्या की प्रथा।
⦁ स्त्रियों के प्रति घरेलू हिंसा।
⦁ स्त्रियों के सामाजिक-आर्थिक स्तर का निम्न होना।
साक्षरता स्तर
साक्षरता एक मानव अधिकार है, सशक्तिकरण का मार्ग है और समाज तथा व्यक्ति के विकास का साधन है। गरीबी उन्मूलन के लिए, बाल मृत्युदर को कम करने के लिए, जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रण में रखने के लिए, स्त्री-पुरुष में समानता को बढ़ावा देने के लिए तथा सतत विकास, शांति और लोकतंत्र की सुनिश्चितता के लिए साक्षरता आवश्यक है। स्वतंत्रता के समय भारत की जनसंख्या का केवल छठा भाग ही शिक्षित था। वर्ष 2011 में देश की 73 % जनसंख्या शिक्षित है उत्तर प्रदेश की 67.7 % जनसंख्या ही शिक्षित थी। भारत में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की साक्षरता दर काफी कम है। आज भी बालिकाओं को स्कूल भेजने में भेदभाव किया जाता है। इसीलिए सरकार द्वारा बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएँ चलाई जा रही हैं।
आयु संरचना
किसी देश में, जनसंख्या की आयु संरचना वहाँ के विभिन्न आयु समूहों के लोगों की संख्या को बतलाता है।
बच्चे, व्यस्क एवं वृद्धों की संख्या एवं प्रतिशत, किसी भी क्षेत्र की आबादी के सामाजिक एवं आर्थिक ढाँचे की निर्धारक होती है।
• किसी राष्ट्र की आबादी को सामान्यतः तीन वर्गों में बाँटा जाता है :
बच्चे (सामान्यतः 15 वर्ष से कम)- ये आर्थिक रूप से उत्पादनशील नहीं होते हैं तथा इनको भोजन, वस्त्र एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी सुविधाएँ उपलब्ध कराने की आवश्यकता होती है।
व्यस्क (15 से 59 वर्ष)- ये आर्थिक रूप से उत्पादनशील तथा जैविक रूप से प्रजननशील होते हैं। यह जनसंख्या का कार्यशील वर्ग है।
वृद्ध (59 वर्ष से अधिक)- ये आर्थिक रूप से उत्पादनशील या अवकाश प्राप्त हो सकते हैं। ये स्वैच्छिक रूप से कार्य कर सकते हैं, लेकिन भर्ती प्रक्रिया के द्वारा इनकी नियुक्ति नहीं होती है।
भारत में जनसंख्या वितरण
वितरण और घनत्व भारत में जनसंख्या का वितरण असमान है। जनसंख्या कुछ क्षेत्रों में अत्यधिक घनी बसी है तो कुछ जगह बहुत कम लोग रहते हैं। जैसे नगरों, औद्योगिक क्षेत्रों और उपजाऊ कृषि क्षेत्रों में अधिक लोग रहते हैं। इसके विपरीत ऊँचे पर्वतों, घने वनों व ठंडे क्षेत्रों में कम लोग रहते हैं।
जनसंख्या वृद्धि
भारत की जनसंख्या इसकी तेज वृद्धि रही है। भारत विश्व में चीन के बाद दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है। यहाँ विश्व के लगभग 2.4 % छेत्रफल में 16 .7 % जनसंख्या निवास करती है। भारत में प्रतिवर्ष औसतन 1.64 % की दर से जनसंख्या बढ़ रही है।
भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण
1 मृत्यु-दर में कमी
2 अशिक्षा तथा अन्धविश्वास
3 गर्म जलवायु हमारे देश की जलवायु गर्म है।
4 धार्मिक भावना
5 बाल-विवाह की प्रथा भारत में विवाह की आयु भी कम है।
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