आपदा
आपदा दो प्रकार की होती हैं-
1 प्राकृतिक आपदा
2 मानव निर्मित आपदा
1 प्राकृतिक आपदा – पर्यावरणीय असंतुलन और पृथ्वी की आंतरिक हलचल जब भयानक रूप ले लेती है तो उसे प्राकृतिक आपदा कहा जाता है। बाढ़, भूकंप, तूफ़ान, सुनामी, ज्वालामुखी, हिमस्खलन, भू-स्खलन आदि घटनाओं को प्राकृतिक आपदा कहा जाता है। जिनके प्रभाव से जन-धन दोनों की बहुत हानि होती है।
प्राकृतिक आपदाएँ, कारण व प्रबंधन
भूकम्प
भूकम्प पृथ्वी की पर्पटी पर होने वाली वह हलचल है जिससे पृथ्वी हिलने लगती है और भूमि आगे पीछे खिसकने लगती है । वास्तव में , पृथ्वी के अन्दर होने वाली किसी भी संचलन के परिणाम स्वरूप जब धरातल का ऊपरी भाग अकस्मात कांप उठता है तो उसे भूकम्प कहते हैं।
परिणाम
भूकम्प को महाविनाशकारी आपदा माना जाता है । इससे प्रायः संकट की स्थिति पैदा होती है । भूकम्प द्वारा भवनों, सड़कों, बांधों और स्मारकों की बहुत क्षति होती है। ऊँची-ऊँची इमारतें या ऐसी इमारतें जो कमजोर नींव पर खड़ी हैं विशेष रूप से भूकम्प से क्षतिग्रस्त होती हैं। घरेलू उपकरण विशेषरूप से बिजली के उपकरण और फर्नीचर की भी क्षति होती है। मानव और पशुधन जीवन की हानि होती है
भूकम्प आपदा
भूकम्प का कारण
भूकम्प मुख्यतः विवर्तनिक हलचलों , ज्वालामुखी विस्फोटों , चट्टानों के टूटने व खिसकने , खानों के धसने , जलाशय में जल के इकट्ठा होने से उत्पन्न होते हैं । विर्वतनिक हलचलों से पैदा होने वाले भूकम्प सबसे अधिक विनाशकारी होते हैं ।
भूकम्प प्रबंधन
आपदा से पहले
भूकम्प नियन्त्रण केन्द्रों की स्थापना करके , भूकम्प संभावित क्षेत्रों में लोगों को समय पर सूचना प्रदान करना ।
भूकम्प प्रभावित क्षेत्रों में घरों के प्रकार और भवनों के डिजाइन में सुधार लाना । उन्हें भूकम्प रोधी बनाना ।
भूकम्प प्रभावित क्षेत्रों में ऊंची इमारतों के निर्माण को प्रतिबंधित करना , बड़े औद्योगिक संस्थान और शहरीकरण को बढ़ावा न देना ।
भूकम्प प्रभावित क्षेत्रों में भूकम्प प्रतिरोधी इमारतें बनाना और सुभेद्य क्षेत्रों में हल्के निर्माण सामग्री का प्रयोग करना ।
आपदा के दौरान
भूकम्प के दौरान घर में किसी मजबूत टेबल या फर्नीचर के नीचे बैठकर हाथ से सिर और चेहरे को ढके।
कमरे के कोनों पर खड़े होना।
भूकम्प के दौरान लिफ्ट का प्रयोग न करना।
बिजली का मुख्य स्विच बन्द कर देना।
खुले स्थान की तरफ जाना।
आपदा के पश्चात
मलबे में दबे हुए लोगों को खोजकर बाहर निकालना और उनका उपचार करना।
प्रभावित लोगों को कपड़े ,भोजन ,शुद्ध पेयजल तथा दवाओं की व्यवस्था करना।
सुनामी
सुनामी शब्द जापानी भाषा के ‘सु’ तथा ‘नामी’ से लिया गया है जिसमें ‘सु’ का शाब्दिक अर्थ समुद्रतट या बंदरगाह और नामी का अर्थ तरंग या लहर से है। इस प्रकार सुनामी का अर्थ ‘बंदरगाह तरंग’ है। सुनामी, समुद्र तल में होने वाली आंतरिक उथल-पुथल का कारण है जिसमें महासागरीय लहरें समुद्र से उठकर आस-पास के क्षेत्रों को तबाह कर देती हैं। सुनामी एक बहुत विनाशकारी आपदा है जिसके प्रभाव से जन और धन दोनों की हानि होती है।
सुनामी का कारण
सुनामी समुद्र में भूकंप , भूस्खलन अथवा ज्वालामुखी उद्गार जैसी घटनाओं से पैदा होती है ।
भूस्खलन
भूस्खलन एक वैज्ञानिक घटना है, जिसके अंतर्गत भारी वर्षा, बाढ़ या भूकंप के कारण आधारहीन हुई चट्टाने, मिट्टी एवं वनस्पति पहाड़ी ढलानों से गुरुत्वाकर्षण शक्ति के प्रभाव में अपने स्थान से खिसककर नीचे गिरते हैं। इस तरह की घटना प्राय: पहाड़ी इलाकों में विशेष रूप से घटित होती है।
भूस्खलन का कारण
भारी वर्षा तथा बाढ़ या भूकम्प के आने से भू-स्खलन हो सकता है। मानव गतिवधियों, जैसे कि पेड़ों और वनस्पति के हटाने, सड़क किनारे खड़ी चट्टान के काटने या पानी के पाइपों में रिसाव से भी भू-स्खलन हो सकता है।
ज्वालामुखी विस्फोट
जब ज्वालामुखी से निकलने वाला यह मैग्मा अधिक मोटा हो जाता है तो गैस के बुलबुले आसानी से नहीं निकल पाते और मैग्मा बढ़ता जाता है, जिससे दबाव भी बढ़ने लगता है. जब दबाव अत्यधिक ज्यादा हो जाता है तो एक बड़े विस्फोट के साथ मैग्मा ज्वालामुखी छिद्र से बाहर निकलता है, जिसे ज्वालामुखी विस्फोट कहा जाता है।
ज्वालामुखी विस्फोट का कारण
रेडियोधर्मी पदार्थों के विघटन रासायनिक प्रक्रमो तथा ऊपरी दबाव के कारण पृथ्वी के भूगर्भ में अत्यधिक तापमान होता है इस प्रकार अधिक गहराई पर पदार्थ पिघलने लगता है और भू-तल के कमजोर भागों को तोड़कर बाहर निकल जाता है, जिसके कारण ज्वालामुखी विस्फोट होता है।
चक्रवात
गर्म हवा के चारों ओर कम वायुमंडलीय दाब के साथ उत्पन्न होती है। जब एक तरफ से गर्म हवाओं तथा दूसरी तरफ से ठंडी हवा का मिलाप होता है तो वह एक गोलाकार आंधी का आकार लेने लगती है इसे ही चक्रवात कहते हैं। और ये घड़ी की सुई के चलने की दिशा में चलती है।
चक्रवात का कारण
समुद्र में सूर्य की भयंकर गर्मी से हवा गर्म होकर अत्यंत कम वायुदाब का क्षेत्र बना देती है। हवा गर्म होकर तेजी से ऊपर आती है और ऊपर की नमी से संतृप्त होकर संघनन से बादलों का निर्माण करती है। रिक्त स्थान को भरने के लिए नम हवाएं तेजी के साथ नीचे जाकर ऊपर आती है, जिसके परिणामस्वरुप हवाऐं बहुत ही तेजी के साथ उस क्षेत्र के चारों तरफ घूमकर घने बादलों का निर्माण करती है और बिजली कड़कने के साथ-साथ मूसलाधार बारिश करती हैं।
बादल फटना
जब किसी छेत्र विशेष में एक सीमा से अधिक मूसलाधार बारिश होती है। तो इस घटना को बादल फटना कहते हैं। सामान्य स्तिथि में अगर किसी जगह पर एक घंटे में 100 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश होने लगती है तो यह घटना बादल फटना कहलाती है। बादल फटने की वजह से उस जगह पर बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं। पहाड़ी जगहों पर ऐसी घटनाएं जानलेवा साबित होती हैं।
बाढ़
बाढ़ तब आती है जब पानी समुद्रों, महासागरों, तालाबों, झीलों, नहरों, या नदियों समेत तमाम जल निकायों से ओवरफ्लो हो जाता है सूखी जमीन जलमग्न हो जाती है। जिससे जीवन, संपत्ति और आजीविका का भारी नुकसान होता है।
बाढ़ का कारण
अत्यधिक वर्षा , नदियों के घुमावदार मार्ग , जंगलो के कटाव आदि के कारण बाढ़ आती है।
सूखा
लंबे समय तक वर्षा न होने पर सूखा पड़ता है। इसमें फसलें ,पौधे , पालतू पशु , मनुष्य एवं अन्य जीव -जंतुओं के लिए आवशयक जल एवं भोजन की कमी हो जाती है।
2 मानव निर्मित आपदा
मानव निर्मित आपदा वे आपदाएं हैं जिनका कारण मानवीय गतिविधियाँ होती हैं। भारत में हुई सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटना भोपाल गैस त्रासदी मानव निर्मित आपदा का एक ज्वल्लंत उदाहरण है। मानव अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रकृति पर निर्भर रहता है। कुछ आपदा तो मानव मतभेद के कारण होती हैं जैसी आंतकवादी हमला तथा कुछ आपदा मानव लापरवाही के कारण होती हैं जैसै:-आग लगना सड़क दुर्घटना आदि हैं।
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