देश की सुरक्षा और विदेश नीति
1. देश की सुरक्षा
- सैन्य शक्ति का सुदृढ़ीकरण:
भारत की स्वतंत्रता के बाद सेना को आधुनिक और सुदृढ़ बनाना आवश्यक था।- सेना के तीन अंग: थल सेना, जल सेना, और वायु सेना।
- सैन्य अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए गए।
- परंपरागत युद्ध प्रणाली के साथ-साथ आधुनिक हथियार और तकनीक विकसित की गई।
- सैन्य संगठन:
- भारतीय सेना का सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति होता है।
- रक्षा मंत्रालय और रक्षा मंत्री सेना की गतिविधियों की निगरानी करते हैं।
- महिलाओं की भागीदारी:
महिलाएं सेना के कई शाखाओं में शामिल हो सकती हैं, जैसे:- थल सेना: सिग्नल, इंजीनियरिंग, इंटेलिजेंस आदि।
- नौसेना: सभी शाखाओं में।
- वायु सेना: उड़ान, मौसम विभाग, इंजीनियरिंग आदि।
- प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान:
- नेशनल डिफेंस अकादमी (NDA)
- इंडियन मिलिट्री अकादमी (IMA)
- ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA)
- वैज्ञानिक योगदान:
- डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का मिसाइल और परमाणु शक्ति के विकास में योगदान।
2. सहायक संगठन
- सीमा सुरक्षा बल (BSF): अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर निगरानी।
- तटरक्षक बल (Coast Guard): समुद्री तस्करी रोकने और बचाव कार्य।
- राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC): छात्रों के लिए सैन्य प्रशिक्षण।
3. विदेश नीति
- गुट निरपेक्षता (Non-Alignment):
- भारत ने किसी भी सैन्य गुट में शामिल न होकर स्वतंत्र विदेश नीति अपनाई।
- पंचशील के सिद्धांत:
- एक-दूसरे की संप्रभुता का सम्मान।
- आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना।
- शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व।
- निःशस्त्रीकरण नीति:
- विश्व में शांति बनाए रखने के लिए हथियारों की दौड़ का विरोध।
- संयुक्त राष्ट्र संघ में योगदान:
- कोरिया और कांगो में सहायता।
- दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC):
- भारत समेत 8 देशों का संगठन।
- क्षेत्रीय विकास और सहयोग को बढ़ावा देना।
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