आधुनिक भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के कारण:
- भारत के राष्ट्रीय आंदोलन की चाली ब्रिटिश शासन की परिस्थितियों के प्रतिक्रिया में चली।
- अंग्रेजों के शासन की नीतियों ने राष्ट्रीय चेतना को बढ़ावा दिया।
राष्ट्रीय चेतना के चार घतक:
- भारत की राजनीतिक एकता:
- अंग्रेजी शासन की एक सी अधीनता और समान चुनौतियों ने एकता को बल दिया।
- अखिल भारतीय भावना और वैचारिक एकता को चीन्नी दी।
- तीव्र परिवहन सूविधा:
- प्रशासनिक सुविधा के लिए नेटवर्क, व्यापार और डाक साधन की योजना की गई।
- जब से चौकी नगरों और गाँवों को एक सूत्र में जोड़ने में मदद मिली।
- डाक और संचार व्यवस्था:
- मॉडर्न डाक व्यवस्था की शुरुआत 1850 के बाद हुई।
- जल्दी में डाक सेवाओं ने स्माजिक, शैक्षिक और राजनीतिक जीवन को जोरों द्वारा कर दिया।
- नए बुद्धिजीवी वर्ग:
- ये वर्ग कन्य चोटे प्रशासक, वकील, डॉक्टर और शिक्षक थे।
- इन्होंने क्रांतिक चेतना को जोर दिया।
- प्रेस और साहित्य:
- प्रेस के माध्यम से न्यूज सामाजिक विचारों की बुनियादी की गई।
- एसे लोग एकजुट होकर राष्ट्रीय चेतना में शामिल हुए।
- अंग्रेजों का नस्ली दंभ:
- अंग्रेज की जातीय श्रेष्ठता के दंभ ने भारतीयों में घूर्ती की झलक डाली।
- इसके चलते जनता में एक नया आया।
- आर्थिक शोषण:
- अंग्रेजों की आर्थिक और वित्त नीतियों की वजह ने आर्थिक राष्ट्रीयता को जन्म दिया।
- आर्थिक शोषण की क्रितिकों को दादाभाई नौरोजी ने आधार किया।
- 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना:
- कांग्रेस की स्थापना एक और नये युग की शुरुआत की।
- एसके प्रमुख नेताओं में दादाभाई नौरोजी, फीरोजशाह मेहता आदि शामिल हुए।
- बंग-भंग और स्वदेशी आंदोलन:
- गवर्नर-जनरल लार्ड कर्जन ने 1905 में बंगाल के विभाजन की प्रृष्ठिया की।
- ब्रिटिश प्रशासन को व्यक्त करने के मध्यम हिंदू-मुसल
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