व्यापारिक मार्ग
- भारत का प्राचीन समय से ही विदेशों के साथ व्यापारिक संबंध रहा है।
- 6वीं शताब्दी में यूरोपीय शक्तियों (पुर्तगाली, डच, फ्रांसीसी और ब्रिटिश) ने भारत आना शुरू किया।
- व्यापार मुख्यतः तीन मार्गों से होता था:
- फारस की खाड़ी से – इराक, तुर्की, वेनिस और जिनेवा से व्यापार।
- लाल सागर से अलेक्जेंड्रिया तक – फिर समुद्र के रास्ते वेनिस और जिनेवा।
- मध्य एशिया से मिस्र और यूरोप तक।
- वेनिस और जिनेवा, भारत की वस्तुओं के वितरण के प्रमुख केंद्र थे।
व्यापार पर तुर्कों का प्रभाव
- 1453 में कुस्तुनतुनियाँ पर तुर्कों का कब्जा हो गया।
- तुर्कों ने भारत और यूरोप के पुराने व्यापार मार्ग बंद कर दिए, जिससे यूरोप के व्यापार को धक्का लगा।
समुद्री मार्ग की खोज
- यूरोपीय देशों ने भारत तक पहुंचने के लिए नए समुद्री मार्ग की खोज शुरू की।
- तीन उद्देश्य:
- धन: खजाना इकट्ठा करना और मसालों के व्यापार से मुनाफा कमाना।
- धर्म: ईसाई धर्म का प्रचार।
- ध्वज: उपनिवेशों पर अपने राष्ट्र का झंडा फहराना।
- कुतुबनुमा (कम्पास) की मदद से लंबी समुद्री यात्राएँ की गईं।
- वास्कोडिगामा ने 1498 में अफ्रीका के दक्षिणी छोर से होते हुए कालीकट (भारत) का समुद्री मार्ग खोजा।
यूरोपीय व्यापारियों का भारत आगमन
- पुर्तगालियों ने भारत-यूरोप व्यापार पर अपना अधिकार कर लिया।
- वे सोना-चांदी लाते और भारत से मसाले, सूती और रेशमी कपड़े ले जाते थे।
- वास्कोडिगामा के बाद डच, फ्रांसीसी और ब्रिटिश व्यापारी भी भारत आए।
व्यापारिक प्रतिस्पर्धा
- 17वीं शताब्दी में व्यापारिक कंपनियाँ बनीं:
- डच ईस्ट इंडिया कंपनी (हालैंड)
- ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी (इंग्लैंड)
- फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी (फ्रांस)
- इन कंपनियों ने व्यापार के लिए बड़े-बड़े केंद्र (कोठी/फैक्ट्री) बनाए।
- फैक्ट्रियों की सुरक्षा के लिए सैनिक भी रखे गए।
प्रमुख व्यापारिक केंद्र
- पुर्तगाली: गोवा, दमन।
- डच: कालीकट, कोचीन, नागपट्टनम।
- फ्रांसीसी: पांडिचेरी, चंद्रनगर।
- अंग्रेज: सूरत, आगरा, पटना।
भारत में व्यापार का विस्तार
- यूरोपीय व्यापारियों ने गांवों में एजेंट भेजकर सीधे कारीगरों से माल खरीदना शुरू किया।
- पुर्तगाली नौसेना की शक्ति धीरे-धीरे कमजोर हो गई, जिससे अन्य देशों को भारत में पैर जमाने का मौका मिला।
- व्यापार में लाभ के लिए साम, दाम, दंड, भेद की नीतियाँ अपनाई गईं।
शासकों और व्यापारियों के संबंध
- विदेशी व्यापारियों ने राजाओं से करों में छूट पाने के लिए भेंट और खुशामद की।
- राजा भी व्यापार के जरिए अपने खजाने को समृद्ध करने की आशा रखते थे।
अन्य जानकारियाँ
- मसालों का उपयोग केवल स्वाद के लिए नहीं, बल्कि मांस को सुरक्षित रखने के लिए भी होता था।
- यूरोपीय देश तकनीकी रूप से उन्नत थे जबकि भारतीय शासक इनसे अनभिज्ञ थे।
- यूरोप में बैंकों की स्थापना हुई, जो व्यापारियों को आर्थिक सहायता प्रदान करते थे।
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