वनस्पति
वर्ष के अधिकांश महीने शुष्क होने के कारण लम्बी एवं मोटी घास, यहाँ की विशेष प्रकार की वनस्पति है। यहाँ की घासे लगभग 3 मीटर तक लम्बी होती हैं। जिनकी बनावट मोटी, चपटी तथा कड़ी होती है। घासों में सबसे महत्वपूर्ण हाथी-घास होती है। इसका आकार गुच्छेदार होता है। इस प्रदेश की इन घासों को पार्कलैण्ड या बुश-वेल्ड कहते हैं। इसके अतिरिक्त सवाना प्रदेश में कुछ पतझड़ वृक्ष जहाँ-तहाँ बिखरे पाए जाते हैं, जिनकी ऊँचाई बहुत कम होती है।
जीव – जन्तु
इन घास भूमियों में चरने वाले बड़े जन्तुओं की सबसे अधिक किस्मे पाई जाती हैं । इन पशुओं में हिरण, बारहसिंगा, जेब्रा, जिर्राफ तथा हाथी मुख्य हैं। यहाँ कुछ हिंसक पशु भी रहते हैं जो इन घास खाने वाले पशुओं का शिकार करते हैं। इनमें शेर, चीता एवं गीदड़ मुख्य हैं। सवाना घास के मैदान के दोनों ओर जहाँ की जलवायु अत्यन्त गर्म व शुष्क है, वहाँ उष्ण मरुस्थलीय वनस्पति पाई जाती है। यहाँ का मुख्य पशु ऊँट है यहाँ बड़े आकार तथा घोड़े के समान तेज दौड़ने वाले शुतुर्मुर्ग नामक पक्षी पाए जाते हैं। इन वन्यजीवों के सरंक्षण के लिए राष्ट्रीय उद्यानों तथा अभयारण्यों की स्थापना की गई है । पूर्वी अफ्रीका के राष्ट्रीय उद्यानों से आकर्षित होकर , विश्व के कोने -कोने से पर्यटक यहाँ आते हैं ।
मानव – जीवन
सवाना प्रदेश के पूर्वी अफ्रीका की घास भूमियों में मसाई जनजातियाँ पशुपालन का कार्य करती हैं । ऑस्ट्रेलिया में स्थित घास भूमियों में पशुचारण उद्योग विकसित अवस्था में है । नाइजीरिया के सवाना प्रदेश में रहने वाली जनजाति हौसा का मुख्य व्यवसाय कृषि है । दूध और मांस के लिए गाय, बैल ,बकरियाँ आदि भी पालते हैं ।
सवाना घास का मैदान
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