समुद्र में तीन गतियाँ – लहरें, धाराएँ एवं ज्वार-भाटा होती हैं। निश्चित दिशा में लम्बी दूरी तक निरन्तर बहने वाली महासागरीय जल की विशाल जल राशि को समुद्री जल धारा कहते हैं। ताप के अनुसार धाराएँ दो प्रकार की गर्म धारा और ठंडी धारा होती हैं। ज्वार-भाटा चन्द्रमा और सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण उत्पन्न होते हैं।
तरंगे
तरंगें समुद्र की सतह पर पवनों द्वारा जल को ढकेले जाने की प्रक्रिया के कारण बनती हैं। जले की सतह से टकराकर पवनें उसे विभिन्न स्थान से उठा देती हैं; जिससे मोड़ों के रूप में जल ऊपर-नीचे होता है, उन्हें ही तरंगे कहते हैं।
कभी -कभी भूकम्प के झटकों,ज्वालामुखी एवं भू-गर्भीय हलचलों के कारण भी अचानक बड़ी -बड़ी लहरें उत्पन हो जाती हैं ये अत्यन्त विनाशकारी होती हैं ऐसी लहरों को सुनामी लहरें कहते हैं ।
ज्वार-भाटा
एक दिन में दो बार समुद्र के जल का लयबद्ध तरीके से ऊपर उठना ‘ज्वार’ और नीचे गिरना ‘भाटा’ कहलाता है। ऐसा चंद्रमा एवं सूर्य की आकर्षण शक्तियों के कारण होता है | जब सागरीय जल अपने उच्चतम स्तर पर उठते हुए किनारे के ज्यादातर हिस्से को ढ़क लेता है तो उसे ‘उच्च ज्वार’ कहते हैं। उच्च ज्वार तब आता है, जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में होते हैं।,इसीलिए अमावस्या व पुर्णिमा के दिन उच्च ज्वार उत्पन्न होता है | उच्च ज्वार के विपरीत जब सूर्य, चंद्रमा व पृथ्वी समकोणिक स्थिति में होते हैं तो ‘निम्न ज्वार’ उत्पन्न होते हैं, इसीलिए दोनों पक्षों की अष्टमी या सप्तमी को निम्न ज्वार उत्पन्न होते हैं |
ज्वार-भाटा से लाभ
1. मत्स्य पालन – ज्वार समुद्री जीवन जैसे समुद्री पौधों और मछलियों की प्रजनन गतिविधियों को भी प्रभावित करता है।
2. उच्च ज्वार समुद्री यात्राओं में मदद करते हैं। वे समुंद्री किनारों के पानी का स्तर बढ़ा देते हैं जिसकी वजह से जहाज को बंदरगाह पर पहुंचाने में मदद मिलती है।
3. ज्वारभाटा के नियमिता के कारण समुंद्री जलवायु समुंद्री जल जीवन के रहने योग्य बनती है और पृथ्वी के तापमान को संतुलित करता है।
4. ज्वारभाटा प्रतिदिन दो बार आता है जिसके कारण पानी में तीव्रता आती है। अगर हम इस उर्जा को संचित कर ले तो यह अक्षय उर्जा का एक और स्रोत हो सकता है। जिसके कारण तट के किनारे रहने वाले समुदायों को नवीकरणीय ऊर्जा प्रदान किया जा सकता है।
महासागरीय जल धाराएं
महासागरीय धाराएं महासागरीय जल की ऐसी धाराएं हैं, जो महासागर की सतह पर वर्ष भर एक निश्चित दिशा में चलती रहती हैं | तापमान के आधार पर महासागरीय धाराएं गर्म या ठंडी हो सकती हैं। भूमध्य रेखा के पास गर्म महासागरीय धाराएं बनती हैं और वे ध्रुवों की ओर चलती हैं। ठंडी धाराएं ध्रुव या उच्च अक्षांशों से उष्णकटिबंधीय या निम्न अक्षांशों की तरफ चलती हैं। महासागरीय धाराएं जिस क्षेत्र से बहती वहाँ के तापमान की स्थितियों को प्रभावित करती हैं, जैसे-गर्म धाराएं सतह के तापमान को बढ़ा देती हैं। वैसे क्षेत्र जहां गर्म और ठंडी धाराएं मिलती हैं।
गल्फ स्ट्रीम या खाड़ी की धारा
गल्फ स्ट्रीम, यूरोप की ओर अपने उत्तरी विस्तार के साथ, उत्तरी अटलांटिक बहाव, एक शक्तिशाली, गर्म और तेज अटलांटिक महासागरीय धारा है जो फ्लोरिडा की नोक पर उत्पन्न होती है, और संयुक्त राज्य अमेरिका और न्यूफ़ाउंडलैंड के पूर्वी तटरेखाओं का अनुसरण करती है। अटलांटिक महासागर। यह फ्लोरिडा से न्यूफ़ाउंडलैंड तक उत्तरी अमेरिका के पूर्वी तट और यूरोप के पश्चिमी तट की जलवायु को प्रभावित करता है।
लेब्रोडोर की धारा
लैब्राडोर जल धारा उत्तरी अटलांटिक महासागर में बहने वाली शीत जल धारा है, यह आर्कटिक महासागर से बहते हुए लैब्राडोर व न्यूफाउंडलैंड में प्रवाहित होती है।
क्यूरोशियो धारा
क्यूरोशियो, जिसे काली या जापान धारा या काली धारा के नाम से भी जाना जाता है, उत्तरी प्रशांत महासागर के पश्चिम में एक उत्तर की ओर बहने वाली गर्म महासागरीय धारा है। कुरोशियो धारा अटलांटिक महासागर में गल्फ स्ट्रीम के समान है, जो ध्रुवीय क्षेत्र की ओर उत्तर की ओर गर्म, उष्णकटिबंधीय जल पहुंचाती है।
क्यूराइल की धारा
यह एक ठंडी जलधारा है.
बेरिंग जलडमरूमध्य से दक्षिण साइबेरिया तट के साथ बहती क्यूराइल द्वीपसमूह के निकट क्यूरोशियो के धारा से मिलने वाली इस ठंडी धारा को क्यूराइल या ओयाशिवो को धारा कहते हैं।
सुनामी लहरें
समुद्र के भीतर अचानक जब तेज़ हलचल होने लगती है तो उसमें उफान उठता है. इससे ऐसी लंबी और बहुत ऊंची लहरों का रेला उठना शुरू हो जाता है जो ज़बरदस्त रफ्तार के साथ आगे बढ़ता है. इन्हीं लहरों को सुनामी कहते हैं । इससे पहले 2004 में दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में भी शक्तिशाली भूकंप के बाद समुद्री हलचल से भारी तबाही मची थी ।
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