वलन
जब चट्टानों में पृथ्वी की आंतरिक शक्तियों के कारण मोड़ या वलन पड़ता है तो उसे मोड़दार या वलित पर्वत कहते हैं। ये महाद्वीपीय किनारों पर या फिर उत्तर से दक्षिण या पश्चिम से पूर्व दिशा में पाए जाते हैं। जैसे-हिमालय, आल्प्स, यूराल, रॉकीज, एंडीज, एटलस आदि वलित पर्वतों के प्रमुख उदाहरण है ।
वलित पर्वत
भ्रंश
भ्रंश घाटी का विकास तब होता है जब दो भ्रंश रेखाओं के बीच की चट्टानी स्तंभ नीचे की ओर धँस जाती है। जब तनावजनित बल के कारण दो भू-खंडों का विपरीत दिशा में खिसकाव होता है, तब इसका निर्माण होता है। इन्हीं भ्रंश रेखाओं के सहारे भूपर्पटी का कुछ भाग ऊपर उठ जाता है । या तो निचे धंस जाता है ऊपर उठा भूभाग ब्लॉक पर्वत कहलाता है । और निचे धंसा भूभाग भ्रंश घाटी कहलाता है । भारत में “विंध्याचल” एवं “सतपुड़ा” ब्लॉक पर्वत तथा नर्मदा और तापी नदियाँ भ्रंश घाटी के उदाहरण है ।
आकस्मिक बल
आकस्मिक बल द्वारा घटनाएँ अचानक होती है। इनका हम पर तत्काल प्रभाव पड़ता है। इस बल से भूपटल पर विनाशकारी घटनाओं का आकस्मिक आगमन होता है। जैसे भूकम्प, ज्वालामुखी व भू-स्खलन ।
ज्वालामुखी
ज्वालामुखी पृथ्वी पर होने वाली एक आकस्मिक घटना है । इससे भू – पटल पर अचानक विस्फोट होता है , जिसके द्वारा लावा , गैस , धुआँ , राख , कंकड़ , पत्थर आदि बाहर निकलते हैं । इन सभी वस्तुओं का निकास एक प्राकृतिक नली द्वारा होता है जिसे निकास नालिका कहते हैं । लावा धरातल पर आने के लिए एक छिद्र बनाता है जिसे विवर या क्रेटर कहते है ।
ज्वालामुखी के प्रकार
ज्वालामुखी मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं
सक्रिय ज्वालामुखी
इस प्रकार के ज्वालामुखी में प्राय विस्फोट तथा उद्भेदन होता ही रहता है इनका मुख सर्वदा खुला रहता है । इटली का ‘ एटना ज्वालामुखी इसका उदाहरण है ।
प्रसुप्त ज्वालामुखी
ऐसा ज्वालामुखी जिसमें निकट अतीत में उद्गार नहीं हुआ है लेकिन इसमें कभी भी उद्गार हो सकता है। इसके उदाहरण है- विसुवियस (भूमध्य सागर), क्राकाटोवा(सुंडा जलडमरूमध्य),फ्यूजीयामा (जापान), मेयन(फिलिपींस)।
शांत ज्वालामुखी
इस प्रकार के ज्वालामुखी में विस्फोट प्रायः बन्द हो जाते हैं और भविष्य में भी विस्फोट होने की सम्भावना नहीं होती । म्यांमार का पोपा ज्वालामुखी इसका प्रमुख उदाहरण है ।
ज्वालामुखी का मानव जीवन पर प्रभाव
लाभकारी प्रभाव
(1) लावा निक्षेपित प्रदेश कालान्तर में उपजाऊ काली मिट्टी के क्षेत्र में परिवर्तित हो जाते हैं। जैसे भारत का दक्खन के पठार का काली मिट्टी क्षेत्र।।
(2) ज्वालामुखी उद्गार के कारण चट्टानों की उथल-पुथल के कारण भूगर्भ के खनिज सतह पर आ जाते है
(3) धरातल पर क्रेटर व केल्डरा संदर झीलों में परिवर्तित होकर सुंदर पर्यटक स्थल में बदल जाते है जैसे संयुक्त राज्य की क्रेटर लेक या केलिफोर्निया की टाहो झील। इसी प्रकार ओल्ड फेथफूल गीजर व न्यूजीलैंड का वायमांग प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है।
(4) ज्वालामुखी सें निकलने वाली ऊर्जा का उपयोग कर बहुत लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
(5) ज्वालामुखी के लावा से बनी चट्टाने इमारती कार्यों के लिये बहुत उपयोगी होती है। इनका प्रयोग किया जाता है।
हनिकारक प्रभाव
(1) ज्वालामुखी विस्फोट से गर्म लावा व गैस भूपृष्ठ पर फैलकर भूमि व उस पर पायी जाने वाली वनस्पति, जीव जन्तु व गाँव और शहर सभी को नष्ट कर देता है। जितना तीव्र उद्भेदन होता है, उतना अधिक विनाश होता है।
(2) विस्फोट के कारण धरालत पर भी परिवर्तन होता है। द्वीपों की आकृति बदल जाती है। भूपृष्ठ पर शंकु पर्वत का निर्माण हो जाता है या लावा निक्षेप से मैदान पठार में बदल जाता है। नदियों के मार्ग अवरुद्ध हो जाते हैं, सतह पर दरार या भ्रंश पड़ जाते हैं।
(3) ज्वालामुखी के मुख से बड़ी मात्रा में गैस व धुआँ बाहर आता है जो चारों ओर पर्यावरण को प्रदूषित कर देता है। जहाँ-जहाँ सक्रिय ज्वालामुखी पाये जाते हैं, उनके आसपास का पर्यावरण जीवन के लिये उपयुक्त नहीं पाया जाता है।
(4) समुद्रों में ज्वालामुखी विस्फोट के कारण विशाल लहरें उत्पन्न होती हैं, जिनसे तटवर्ती क्षेत्रों में बहुत हानि पहुँचती है।
भूकम्प
भूकम्प का साधारण अर्थ है भूमि का काँपना अथवा पृथ्वी का हिलना । दूसरे शब्दों में अचानक झटके से प्रारम्भ हुए पृथ्वी के कम्पन को भूकम्प कहते हैं । भूकम्प एक प्राकृतिक आपदा है । भूकम्पीय आपदा से होने वाले प्रकोप निम्न है –
भूमि का हिलना ।
धरातलीय विंसगति ।
भू – स्खलन / पंकस्खलन ।
मृदा द्रवण ।
धरातलीय विस्थापन ।
हिमस्खलन ।
बाँध व तटबंध के टूटने से बाढ़ का आना ।
इमारतों का टूटना तथा ढाचों का ध्वस्त होना ।
सुनामी लहरें उत्पन्न होना ।
वस्तुओं का गिरना ।
धरातल का एक तरफ झुकना ।
भूकम्प से बचाव
1 भूकम्प के दौरान घर में किसी मजबूत टेबल या फर्नीचर के नीचे बैठकर हाथ से सिर और चेहरे को ढके।
2 कमरे के कोनों पर खड़े होना।
3 भूकम्प के दौरान लिफ्ट का प्रयोग न करना।
4 बिजली का मुख्य स्विच बन्द कर देना।
5 खुले स्थान की तरफ जाना।
6 बिल्डिंग, पेड़ों, ओवरपास, बिजली/टेलीफोन आदि की तारों के पास अथवा नीचे रुकने से बचें।
Anju Singh says
Anju Singh