वलित या मोड़दार पर्वत
ये संपीडन की शक्तियों द्वारा निर्मित होते हैं। जब चट्टानों में पृथ्वी की आंतरिक शक्तियों द्वारा मोड़ या वलन पड़ जाते हैं। तो उसे मोड़दार या वलित पर्वत कहा जाता है। ये विश्व में सबसे ऊँचे तथा सर्वाधिक विस्तृत होते हैं। इनका विस्तार प्रायः हर महाद्वीप में पाया जाता है। ये लहरदार होते हैं तथा इनमें अनेक अभिनतियाँ व अपनतियाँ पाई जाती हैं। जैसे-हिमालय, आल्प्स, यूराल, रॉकीज, एंडीज, एटलस आदि।
खंड या भ्रंश पर्वत
अवरोधी (ब्लॉक ) पर्वतों का निर्माण तनाव की शक्तियों द्वारा होता है । खिंचाव के कारण धरातलीय भागों में दरारें या भ्रंश पड़ जाती है । जिसके कारण धरातल का कुछ भाग ऊपर उठ जाता है । तथा कुछ भाग निचे धंस जाते है । इस प्रकार दरारों के समीप ऊँचे उठे भाग को भ्रंश पर्वत कहा जाता है । फ्रांस का “वास्जेस”, जर्मनी का “ब्लैक फॉरेस्ट”, भारत का “विंध्याचल” एवं “सतपुड़ा” तथा पाकिस्तान का “साल्ट रेंज” भ्रंश पर्वत के उदाहरण हैं ।
ज्वालामुखी पर्वत
ज्वालामुखी पर्वतों का निर्माण ज्वालामुखी उद्गार से निकले पदार्थों जैसे लावा, राख के लगातार जमा होने से पर्वत के रूप में बदलने के कारण से होता है। ज्वालामुखी के मुख अर्थात नली-द्वार के सहारे पिघली हुई चट्टानें जिसे ‘लावा’ के नाम से जानते हैं बाहर निकलकर धरातल पर फैल जाती है और शंकु की तरह जमा होकर कोणाकार पर्वत का निर्माण करती है। इसे ज्वालामुखी पर्वत के नाम से जानते हैं। इन पर्वतों को संचयन या निक्षेपन से बने पर्वत भी कहा जाता है। जापान का फ्यूजीसान, इटली का विसुवियस, चिल्ली का एकांकागुआ इत्यादि ज्वालामुखी पर्वत के उदाहरण हैं।
पठार
पठार उठी हुई एवं सपाट भूमि होती है । यह आसपास के छेत्रों से अधिक उठा हुआ होता है । तथा इसका ऊपरी भाग मेज के समान सपाट होता है । किसी पठार के एक या एक से अधिक किनारे होते हैं जिनके ढाल खड़े होते हैं पठारों की ऊंचाई प्रायः कुछ सौ मीटर से लेकर कई हजार मीटर तक हो सकती है पर्वतों की तरह पठार भी नए या पुराने हो सकते हैं ।
पठार पर्वतों से कम ऊंचे होते हैं परन्तु कुछ पठार पर्वतों से भी ऊंचे होते हैं जैसे – तिब्बत का पठार , बोलीविया का पठार , कोलंबिया का पठार आदि ।
मैदान
मैदान भूपटल पर निचले और समतल क्षेत्र मैदान कहलाते हैं मैदान ऊंचे -नीचे भी हो सकते हैं ऊँचाई की दृष्टि से मैदान समुद्र तल से 150 मीटर तक ऊँचे भू -भाग हैं मैदान का ऊपरी धरातल प्रायः समतल तथा सपाट होता है और ढाल मंद होता है ऊँचाई , स्थिति , आकर और धरातलीय स्वरूप के आधार पर मैदानों को कई भागों में बाँटा जा सकता है । विश्व के कुछ प्रमुख मैदान – यूरोप का मैदान , साइबेरिया का मैदान , ह्वांगहोका मैदान , उत्तरी अमेरिका का मैदान ,मध्य एशिया का मैदान आदि ।
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