टैगा प्रदेश
टैगा एक रूसी शब्द है, जिसका प्रयोग साइबेरिया के कोणधारी वनों के लिए किया जाता है। इसीलिए उत्तरी अमेरिका एवं यूरेशिया के कोणधारी वन टैगा प्रदेश कहलाते हैं। टैगा प्रदेश केवल उत्तरी गोलार्द्ध में ही स्थित हैं। ये प्रदेश उत्तर में टुण्ड्रा प्रदेश तथा दक्षिण में शीतोष्ण कटिबन्धीय घासभूमियों के बीच में स्थित हैं। यहाँ साल भर वर्षा , जल और हिम के रूप में होती है । ये पेड़ लम्बे , सीधे ,पतले और नुकीली पत्तियों वाले होते हैं । ये सदैव हरे -भरे रहते हैं । जिनमें मुख्यतः चीड़, स्प्रूस, फर तथा लार्च के वृक्ष आदि होते हैं।
कोणधारी वृक्ष
मिट्टी
वर्ष के अधिकांश समय धरातल पर स्थायी रूप से बर्फ के जमे रहने और जल के रूप में कम वर्षा के कारण टैगा प्रदेश में मिट्टी का विकास नहीं हो पाता है। यहाँ की मिट्टी पथरीली है जो कृषि की दृष्टि से अनुपजाऊ है। इसलिए टैगा प्रदेश में कृषि विकसित नहीं है।
जीव – जन्तु
टैगा प्रदेश में समूरधारी पशु पाए जाते हैं जिनमें रेण्डियर, कैरिबो, हिरन, लोमड़ी, भेड़िया, मिंक, एस्माइन आदि प्रमुख हैं। कठोर ठण्ड से बचने के लिए प्रकृति ने इन्हें कोमल एवं लम्बे बाल प्रदान किए हैं। यहाँ मौसम परिवर्तन के साथ जीव जन्तुओं के आहार की समस्या भी होती है । कुछ जीव -जन्तु भूमि के नीचे निष्क्रिय पड़े रहते हैं जैसे छिपकली ,साँप, मेढक जाड़े में भूमि के नीचे छिप जाते हैं । कुछ छोटे जीव बर्फ की परत के नीचे हो जाते हैं । जैसे – मछली आदि । कुछ जीव -जन्तु जाड़े के लिए पहले ही आहार संग्रह कर लेते हैं । और पक्षी भारत के उत्तरी मैदानी भागों में शरण लेते हैं ग्रीष्मकाल आने पर पुनः साइबेरिया की तरफ लौट जाते हैं ।
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