गाँवो मे रहन सहन
1. हमारे देश भारत की जनसंख्या का अधिक भाग ग्रामीण क्षेत्र है रहता है।
2. इनका मुख्य कार्य खेती, पशु पालन, व छोटे मोठे काम धंधे होता है।
3. इनका जीन यापन बहुत सरल होता है।
स्थानीय स्वशासन
स्थानीय स्वशासन का अर्थ है नागरिकों का अपने ऊपर स्वयं का शासन अर्थात लोगों की अपनी शासन व्यवस्था। प्राचीन काल में स्थानीय स्वशासन विद्यमान था तथा ग्रामीण शासन प्रबन्ध न के लिए लोगों के अपने, कायदे कानून होते थे। इन नियमों के पालन में प्रत्येक व्यक्ति स्वैच्छिक भूमिका निभाता था।
पंचायती व्यवस्था
पंचायती व्यवस्था एक ऐसी व्यवस्था है जिसके अन्तर्गत शक्ति का विकेन्द्रीकरण किया जाता है तथा सत्ता तथा प्रशासनिक शक्तियों को विभिन्न क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है। शक्ति का विकेन्द्रीकरण किया जाता है ताकि विकास योजनाओं को राष्ट्र के प्रत्येक क्षेत्र में क्रियान्वित किया जा सके।
पंचायत व्यवस्था के तीन स्त्रोत –
1. ग्राम पंचायत
2. क्षेत्र पंचायत
3. जिला पंचायत
ग्राम पंचायत समिति
पंचायत समिति तहसील (तालुक) के रूप में भारत में सरकार की स्थानीय इकाई होती है। यह उस तहसील के सभी गाँवों पर सामान रूप से कार्य करता है और इसको प्रशासनिक ब्लॉक भी कहते हैं। यह ग्राम पंचायत और जिला परिषद के मध्य की कड़ी होती है।[1] इस संस्था का विभिन्न राज्यों में भिन्न नाम हैं।
ग्राम पंचायत बनने के लिए –
उस सदस्य के व्यक्ति को उस गांव का निवासी होना चाइए तथा भारत का नागरिक होता चाइए।
उसकी उम्र 21 वर्ष तक होनी चाइए।
वह पागल या दिवालिया नई होना चाइए।
वह किसी न्यायालय द्वारा सजा न पाया हो।
ग्राम पंचायत का महत्
ग्राम पंचायत ग्रामीणों की दिन-प्रतिदिन की समस्याओं से निपटने में सहायता करती है । यह प्रशासनिक सामाजिक आर्थिक और न्यायिक कार्य करता है। यह अपने समुदाय के विकास में गांवों की भागीदारी सुनिश्चित करता है।
ग्राम पंचायत के कार्य
ग्राम पंचायतें ग्राम की स्वच्छता, प्रकाश, सड़कों, औषधालयों, कुओं की सफाई और मरम्मत, सार्वजनिक भूमि, पैठ, बाजार तथा मेलों और चरागाहों की व्यवस्था करती हैं, जन्म मृत्यु का लेखा रखती हैं और खेती, उद्योग धंधों एवं व्यवसायों की उन्नति, बीमारियों की रोकथाम, श्मशानों और कब्रिस्तानों की देखभाल भी करती हैं।
Anonymous says
रिक्त स्थान कैसे भरें।