सातवाहन वंश
सातवाहन वंश (60 ई.पू. से 240 ई.) भारत का प्राचीन राजवंश था, जिसने केन्द्रीय दक्षिण भारत पर शासन किया था। भारतीय इतिहास में यह राजवंश ‘आन्ध्र वंश’ के नाम से भी विख्यात है। सातवाहन वंश का प्रारम्भिक राजा सिमुक था। इस वंश के राजाओं ने विदेशी आक्रमणकारियों से जमकर संघर्ष किया था। इन राजाओं ने शक आक्रांताओं को सहजता से भारत में पैर नहीं जमाने दिये।
पश्चिमोत्तर भारत
पश्चिमोत्तर भारत मे भी मौर्य के स्थानों पर मध्य एशिया और चीन से आये कई विदेशी राजवंशो ने अपना शासन जमाया जैसे हिन्दू यूनानी , शक और कुषाण।
सबसे अधिक विखायत हिन्दू यूनानी शासक मिनांदर हुआ। वह मिलिंद नाम से भी जाना जाता है। उसकी राजधानी पंजाब मे शाकल थी।
कुषाण कालीन सोने का सिक्का
कुषाणों ने ज्यादातर सोने के सिक्के और कई तांबे के सिक्के जारी किए, जो उत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में बिहार तक पाए गए हैं।
पहनावा
शक व कुषाण पगड़ी , कुर्ती , पजामा , लम्बे जूते और भरी कोट (शेरवानी) को प्रचलित मे लाये।
कनिष्क की सिर विहीन
इसमें ब्राम्ही लिपि में एक लेख है जिसमें ‘महाराजा राजातिराजा देवपुत्रो कनिष्को’ लिखा हुआ है। इसी से कनिष्क के रूप में इसकी पहचान की जाती है। प्रतिमा में कनिष्क को एक योद्धा के रूप में दिखाया गया है। उसके दाहिने हाथ में गदा तथा बाएं हाथ में म्यान में बंद तलवार है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी
हिन्दू यूनानी के संपर्क से खगोल एवं ज्योतिष शास्त्र मे प्रगति हुई। सप्ताह के हर दिन को सूर्य , चन्द्रमा एवं अन्य ग्रहो के नाम से पुकारते है जैसे रवि , सोम , मंगल , शनि। यह अहम यूनानी से सीखा था।
चरक एवं उनका सहयोग
चरक एक महर्षि एवं आयुर्वेद विशारद के रूप में विख्यात हैं। वे कुषाण राज्य के राजवैद्य थे। इनके द्वारा रचित चरक संहिता एक प्रसिद्ध आयुर्वेद ग्रन्थ है। इसमें रोगनाशक एवं रोगनिरोधक दवाओं का उल्लेख है तथा सोना, चाँदी, लोहा, पारा आदि धातुओं के भस्म एवं उनके उपयोग का वर्णन मिलता है।
उन्होंने चरकसहिता नमक की एक पुस्तक लिखी जिसमे 600 से जा औषधि के बड़े मे लिखा है।
चरक
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