मौर्य साम्राज्य
चन्द्रगुप्त मौर्य ने 322 ईसा पूर्व में इस साम्राज्य की स्थापना की और तेजी से पश्चिम की तरफ़ अपना साम्राज्य का विस्तार किया। उसने कई छोटे-छोटे क्षेत्रीय राज्यों के आपसी मतभेदों का फायदा उठाया जो सिकन्दर के आक्रमण के बाद पैदा हो गये थे। 316 ईसा पूर्व तक मौर्यवंश ने पूरे उत्तरी पश्चिमी भारत पर अधिकार कर लिया था। चक्रवर्ती सम्राट अशोक के राज्य में मौर्यवंश का वृहद स्तर पर विस्तार हुआ। सम्राट अशोक के कारण ही मौर्य साम्राज्य सबसे महान एवं शक्तिशाली बनकर विश्वभर में प्रसिद्ध हुआ।
मौर्य प्रशासन
मौर्य साम्राज्य के प्रशासन की विस्तृत जानकारी इण्डिका, अर्थशास्त्र आदि ग्रंथों एवं तत्कालिक अभिलेखों से प्राप्त होती है। मौर्य प्रशासन के अन्तर्गत भारत में प्रथम बार राजनीतिक एकता देखने को मिली तथा सत्ता का केन्द्रीकरण हुआ।
साम्राज्य में प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्तियों से पूर्व उनकी योग्यता एवं चरित्र को परखा जाता था, जिसे ‘उपधा परिक्षण’ कहते थे।
इतने बड़े साम्राज्य के अचे प्रशासन के लिए तीन स्तरों की शासन व्यवस्था थी – प्रान्त , जनपद , और गांव/ नगर।
1. इस समय नौकरशाही व्यवस्था थी। वेतन राजकोष से दिया जाता था।
2. प्रान्त से लेकर गांव तक की वस्तुस्थिति को राजा समय समय पर दौरा करके स्वयं भी देखता था।
3. गुप्तचर पुरे साम्राज्य की सुचना राजा को देते थे।
4. बाहरी आक्रमण व आंतरिक विद्रोह को दबाने के लिए थल (पैदल, हाथी, घोड़े, व जल की एक विशाल सेना राजा के पास थी।
5. इतनी बरी व्वयस्था चलने के लिए धन की आवश्कयता थी जिसके लिए राजा की नीति खजाने को हमेशा भर रखने की थी। इस समय राजस्व व्वयस्था बहुत थी।
मगस्थनीय की नगर मे-
1. लोग सभ्य थे। वे अपने घरो मे लता नहीं लगाते थे।
2. वे झूटी गवाही नहीं दते थे।
3. उनके महल सोने चाँदी के बने थे।
मगस्थनीय
अशोक का धम्म
1. अशोक ने पितृ राजत्व के विचार की स्थापना की।
2. सम्राट अशोक अपनी पूरी प्रजा को अपनी संतान मानते थे और प्रजा के कल्याण तथा देखभाल करना अपना दायित्व समझते थे।
3. सम्राट अशोक ने कहा कि प्रत्येक मनुष्य को अपने माता-पिता की सेवा करनी चाहिए, शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए और अहिंसा एवं सच्चाई का पालन करना चाहिए।
4. उन्होंने सभी मनुष्य से पशु वध और बलि से बचने के लिए कहा।
5. उन्होंने जानवरों, नौकरों और कैदियों के साथ मानवीय व्यवहार न करने की बात कही।
अशोक का संदेश
1. यहाँ किसी जीवन को मारा नहीं जायेगा और उसकी बलि नहीं चराई जाएगी।
2. लोग तरह तरह के अवसरों पर तरह तरह के संस्कार करते है।
3. ऐसे धार्मिक संस्कारो को करना तो चाइए पर इनसे मिलने वाला लाभ काम ही है। कुछ संस्कार ऐसे होते है जिनसे ज्यादा फल मिलता है। वे क्या है ? वे है दास पर मजदूरों से नम्रता का वव्यहार करना बड़ो का आदर करना , जीव जंतु पर दया दिखाना , गरोबो को दान देना आदि।
साँची स्तूप
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