जन से जनपद एवं महाजनपद
जनपद वैदिक भारत के प्रमुख राज्य थे। 6ठी सदी BC तक लगभग 22 विभिन्न जनपद थे। उत्तर प्रदेश और बिहार के भागों में लोहे के विकास के साथ, जनपद ओर ज़्यादा ताकतवर हो गए और महाजनपद में तब्दील हो गए। 600 BC से 325 BC के दौरान भारत के उपमहाद्वीपों में इस तरह के 16 महाजनपद थे।
महाजनपद दो शब्दों के मेल से बना है पहला महा जिसका अर्थ होता है बड़ा और दूसरा जनपद जिसका अर्थ है क्षेत्र। पुराने समय के भारत में राज्य या प्रशासनिक इकाईयों को महाजनपद कहा गया है। उत्तर वैदिक काल तथा बौद्ध ग्रंथों में इनका कई बार उल्लेख मिलता है। महाजनपद का विकास 600 ई.पू. से 300 ई.पू के मध्य माना जाता है इनमें लगभग12 राज्य थे, और 4 गणराज्य मोजूद थे।
16 महाजनपदों मे से निम्नांकित 4 प्रमुख है –
1. मगध (गया, मुंगेर)
2. कोशल (फैज़ाबाद)
3. वत्स (इलहाबाद)
4. अवन्ति (मालवा)
शासन, समाज और लोगों के जीवन बदलाव
1. समाज में लौह धातु का व्यपाक प्रयोग शुरू हो चुका था;
2. कृषि क्षेत्र में फसल उगाने के लिए अन्य व विस्तृत क्षेत्र खोजे जाने लगे;
3. नए-नए नगरों का जन्म एवं विकास होने के कारण देशी-विदेशी व्यापार का क्षेत्र बढ़ने लगा;
4. समाज का वर्गिकरण होने के कारण शिल्प कला का विकास हुआ और इसके परिणामस्वरूप यह एक नए उदद्योग के रूप में विकसित होने लगा;
5. करों को शासन का अनिवार्य हिस्सा बना कर उसे राज्य की आय का मुख्य स्त्रोत बना दिया गया;
6. दैनिक और व्यापारीक लेन-देन के साथ ही वेतन के भुगतान के लिए सिक्कों का चलन शुरू हो गया था; इस समय के सिक्कों को निष्क, स्वर्ण, पाद, माशक, काकिनी आदि नाम से जाना जाता था।
7. सिक्कों के लिए तांबे और विभिन्न धातु का प्रयोग होता था;
8. कृषि कार्य को सुचारु रूप से करने के लिए खाद और सिंचाई का भरपूर प्रयोग किया जाने लगा;
9. इस समय व्यापारिक फसलें जैसे कपास, गन्ना, ज्वार के साथ अन्य जैसे धान, जौ, दलहन आदि का भी उत्पादन शुरू हो गया था;
10. कृषि कार्यों के अलावा पशु पालन को भी अब और अधिक व्यवस्थित रूप से किया जाने लगा;
11. गांवों में कृषि के अलावा रस्सी, टोकरी और चटाई बनाने के काम से भी आय अर्जन का प्रयास शुरू हो गया था;
12. कृषि उपकरणों को विकसित करने का प्रयास किया जाने लगा;
मगध साम्राज्य
मगध साम्राज्य के छोटे छोटे राज्यों मे एकता की कमी थी। यह राज्य एक दूसरे अधिक शक्तिशाल बनना कहते थे। इसी कारण इनमे संघर्ष बना रहता था। बारे राज्ये छोटे राज्यों को हरपना कहते थे। और वे विजय पाने के लिए कई सरे तरीके अपनाते थे। जैसे की दूसरे राज्यों मे मित्रता बनाये रखना , विवहा द्वारा सम्बन्ध करना आदि। इस प्रकार वे मिले रहते थे। और अंत मे सबसे शक्तिशाली साम्राज्य हो गया।
मगध साम्राज्य ने भारत में 684 BC – 320 BC तक शासन किया | मगध साम्राज्य का दो महान काव्य रामायण और महाभारत में उल्लेख किया गया है | मगध साम्राज्य पर 544 BC से 322 BC तक शासन करने वाले तीन राजवंश थे | पहला था हर्यंका राजवंश (544 BC से 412 BC ), दूसरा था शिशुनाग राजवंश (412 BC से 344 BC ) और तीसरा था नन्दा राजवंश (344 BC से 322 BC )|
सिकंदर के आक्रमण का भारत पर प्रभाव :
सिकंदर के आक्रमण का भारत के राजनीतिक,आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन पर काफी ज्यादा प्रभाव पड़ा।
राजनीतिक प्रभाव :
1. राष्ट्रीय एकता की भावना का विकास :
सिकंदर के आक्रमण ने भारतीयों को इस बात का आभास करा दिया कि अपने राज्य को शक्तिशाली बनाने के लिए उसमे राष्ट्रीय एकता होना बहुत जरूरी है।
2. सैन्य कुशलता का ज्ञान :
सिकंदर के आक्रमण से भारतीयों को इस बात का ज्ञान हो गया था कि उनका सैन्य संगठन अत्यंत दोषपूर्ण और दुर्बल है। सिकंदर के प्रशिक्षित और सुसंचालित सैनिको को देखकर भारतीय यह समझ गए कि थोड़े से प्रशिक्षित सैनिक भी एक विशाल असंगठित सेना को सरलता से पराजित कर सकता है।
3. केंद्रीय शक्ति के महत्त्व का विकास :
यह सत्य है कि सिकंदर के आक्रमण ने सम्पूर्ण देश को प्रभावित नहीं किया,किन्तु इसने पंजाब और सिंध के छोटे-छोटे राज्यों की शासन पद्धति को नष्ट किया और एक विशाल साम्राज्य की स्थापना में सहायता भी दिया।
4. राजनीतिक चेतना का विकास :
इस आक्रमण से सामान्य जनता में भी राज्य और राष्ट्र के प्रति देशभक्ति की भावना जागृत हुई जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा की भावना का प्रबल विकास हुआ।
सांस्कृतिक प्रभाव :
1. भारतीय ज्योतिष और दर्शन पर प्रभाव :
ज्योतिष के क्षेत्र में जहाँ एक ओर भारतीयों ने यूनानियों से बहुत कुछ सीखा,वही महान यूनानी चिंतक पाइथागोरस पर भारतीय दर्शन का गहरा प्रभाव पड़ा।
2. गांधार शैली का प्रादुर्भाव :
यूनानियों के प्रभाव के कारण भारतीय मूर्तिकला और चित्रकला के क्षेत्र में एक नवीन शैली का उदय हुआ,जो भारतीय इतिहास में गांधार शैली कहलाई।
3. मुद्रा- निर्माण का प्रभाव :
भारत में यूनानियों ने कुछ समय तक ही राज्य किया,उनके चले जाने के पश्चात् उनके कुछ सुन्दर सिक्के यही रह गए। जब उन सिक्को को देखा गया तो उनकी सुंदरता को देखकर भारतीय आश्चर्यचकित रह गए.इसके द्वारा भारतीयों को यूनानियों के सिक्को से उच्चकोटि के कला का भी ज्ञान हो गया।
4. व्यापारिक क्षेत्र का विकास :
सिकंदर ने अनेक नगरों और दूर-दूर क्षेत्र में पक्के राजमार्गो का निर्माण करवाया था,जिससे व्यापार के क्षेत्र में काफी सहायता मिली।
Leave a Reply