सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के बाद प्राचीन भारतीय इतिहास में एक खालीपन देखने को मिलता है, जैसे की हमने पिछले जाना था की लगभग 1800 ईसा पूर्व तक सिंधु घाटी सभ्यता का पतन हो गया था, उसके बाद कुछ वर्षों तक हमें इतिहास में एक खालीपन देखने को मिलता है अर्थात कोई भी सभ्यता देखने को नहीं मिलती है।
बाद में 1500 ईसा पूर्व में वैदिक सभ्यता का जन्म भारत में होता है, भारत में जो सभ्यताओं के विकास का क्रम है वह थोड़ा उल्टा है।
भारत की सबसे प्राचीन सभ्यता सिंधु घाटी सभ्यता थी, जो की एक नगरीय सभ्यता थी अर्थात यहाँ आज के नगरों की तरह रहन-सहन और व्यापार प्रधान सभ्यता थी जबकि इसके पतन के बाद जो बाद में सभ्यता आयी जो वैदिक सभ्यता थी वह एक ग्रामीण सभ्यता थी।
आर्य सम्भवता
सिंधु सभ्यता के पतन के बाद भारत में जिस सभ्यता का उदय हुआ उसे आर्य सभ्यता या वैदिक कहते हैं। चूकिं इस काल के निर्माता थे इसलिए इसे आर्य सभ्यता भी कहते हैं। इस सभ्यता की जानकारी हमें वेदों से प्राप्त होती है अतः इसे वैदिक सभ्यता के नाम से पुकारते हैं।
दूसरे शब्दों में आर्य शब्द श्रेष्ठता का घोत्तक है। आर्य शब्द दस जन-समूह या प्रजाति को संबोधित करता है
आर्य सम्भवता काला सागर और कैस्पियन सागर के पास के मैदानों मे रहा करते थे। वह से वे फैलते गए और नयी नयी जगह में बास्ते गए। यहाँ लोग गाय, बेल, घोड़ा बकरी आदि पशुओं को पालते थे। इनके पास कई संख्या मे पालतू पशु थे।
यहाँ लोग अधिकतर पशुओं के कारण जहा चारा पानी मिलता था वही बस जाते थे। जब चारा पानी काम पर्ने लगे तो वे दूसरी जगह चले जाते थे। इसी प्रकार वे नयी नयी जगह मे बास्ते चले गए। आर्य लोग पशुओं से सम्भंधित व्यवसाय की करते थे जैसे ऊन कातना व बुनना, घोड़े से रथ जोतना तथा लकड़ी की वस्तुए बनाना आदि।
पशु पालन आर्य की बस्ती
आर्य लोग जहा बास्ते थे वह वे अपने कबीले के मुखिया के नाम से वंश चलते थे। इनमे से कुछ परकुछ वंश थे – पुरु और अनु। उन्होंने अपनी बस्ती मे कच्चे घरो के आलावा कई साडी गौशालाये भी बनवाई थी। आर्य लोग गॉव के किसानो को पणि नाम से पुकारते थे। और इनके बिच अक्सर लड़ाई झगड़ा होते रहते थे। आर्य उनको दस्यु भी कहा करते थे। इन दोनों समाज का रहन सेहर बोलचाल काम धंदा एक दूसरे से काफी भीं था। धीरे धीरे इन दोनों समाज मे आपस मे वास्तु का लेन दीं शुरू हो गाया। पणि लोग गेहू उगाते थे और आर्य को गेहू देकर उनसे घी दूध लेते थे।
अतः धीरे धीरे इनमे मेल मिलाप शुरू हो गाया।
युद्ध और राजा
आर्यों के समय से गाय के महत्व दिया जाता था। जन के लोग एक दुसते की गाय को भगा के ले जाते थे। और यही से आर्य और जानो के बिच युद्ध शुरू हुआ। युद्ध की अगुवाई करने के लिए जन से राजा चुना गया। राजा ने जन को युद्ध मे विजय दिलाई।
यज्ञ और वेद
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