जल
विभिन्न प्राक्रतिक संसाधनों मे जल एक प्रमुख संसाधन है। यहाँ हमारे जीवन के लिए अति आवशयक है।
प्रकृति में जल निम्नलिखित तीन रूपों से मिलता है-
1. ठोस (बर्फ) – पहाड़ो मे जमी बर्फ जल का ठोस रूप है।
2. द्रव्य (पानी) – नदियों, तालाबों, झरनो, समुद्रो, आदि मे बहता पानी जल का द्रव्य रूप है।
3. गैस (भाप) – वायुमंडल मे उपस्थित जलवाष्प जल का गैसीय रूप है।
जल के स्रोत
देश के जल संसाधनों को नदियों और नहरों, जलाशयों, कुंडों और तलाबों, आर्द्र भूमि और चापाकार झीलों तथा शुष्क पड़ते जलस्रोतों और खारे पानी के रुप में वर्गीकृत किया जा सकता है। नदियों और नहरों के अलावा बाकी के जल स्रोतों का कुल क्षेत्र 7 मिलियन हेक्टेयर है।
पृथ्वी पर जल के निमिन्लिखित स्रोत है –
1. धरातलीय स्रोत
2. भूमिगत स्रोत
3. हिमनद स्रोत
धरातलीय स्रोत
धरातलीय जल या सतही जल वह जल है जो पृथ्वी की सतह पर सरिताओं, नदियों, झीलों, तालाबों और आर्द्रभूमियों इत्यादि में पाया जाता है। इसे समुद्री जल, भूजल और वायुमण्डलीय जल से अलग समझा जा सकता है। यह जल चक्र का अभिन्न एवं महत्वपूर्ण हिस्सा है।
जल को संसाधन के रूप में देखा जाए तो मानव उपयोग में आने वाला ज्यादातर जल धरातलीय जल ही है। इसका कारण यह है कि धरातलीय जल का ज्यादातर हिस्सा मीठा जल है और मानव उपयोग योग्य है। साथ ही यह आसानी से उपलब्ध और दोहन योग्य भी है। साथ ही इसमें मनुष्य की क्रियाओं द्वारा काफ़ी प्रदूषण भी हुआ है।
समुद्र – पृथ्वी पर उपलब्ध जल का अधिकांश भाग महासागरों तथा सागरों मे है। समुद्र का जल खरा होने के कारन पिया नहीं जा सकता है। समुद्र के जल से नमक बनाया जाता है।
नदी, तालाब एवं झील – इनका जल मीठे जल स्रोत है। नदियाँ मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। नदियों के जल का स्रोत हिमनद, झरना या वर्षा का जल है।
भूमिगत स्रोत
भूजल स्रोत, जैसा कि इसके नाम से ही ज्ञात होता है, भूमि के नीचे पाया जाने वाला जल होता है। वर्षा के जल अथवा बर्फ के पिघलने से पानी का कुछ भाग भूमि द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है तथा इसका कुछ भाग गुरुत्व के प्रभाव के फलस्वरूप भूमि के नीचे स्थित परतों में एकत्र हो जाता है। इस पाठ में आप भूमिगत जल के स्रोतों के विषय में जानकारी प्राप्त करेंगे, जिसका प्रयोग कृषि, उद्योगों और दैनिक जीवन के कार्यों हेतु आवश्यक रूप से महत्त्वपूर्ण है।
हिमनद स्रोत
ऊपरी हिमालय में बर्फ की बारिश होती है। जो हिम लोक का निर्माण करती है। इसी हिम लोक में बर्फ से पटी हुई लंबी परतें टूटने, छंटने एवं पिघलने लगती हैं। ये बड़े-बड़े हिमखंड पिघलकर धीरे-धीरे नीचे की ओर सरकने लग जाते हैं जिससे हिमनद या ग्लेशियरों का निर्माण होता है।
जल के उपयोग
कृषि मे – पेड़ पौधों की वृद्धि के लिए जल आवश्यक है। विभिन्न प्रकार की फसल, अनाज व सब्जी उगने मे जल का प्रयोग किया जाता है। पृथ्वी पर उपयोग होने वाले जल की 70 प्रतिशत मात्रा केवल सिंचाई मे प्रयुक्त होता है। मीठे पानी मे व्यावसायिक मत्स्य पालन का कृषि उपयोग माना जाता है।
औधोगिकी मे – जल का उपयोग विभिन्न अद्योगो मे किया जाता है। ताप विद्युत् संयंत्र मे जल का उपयोग करके विद्युत ऊर्जा उत्पन्न की जाती है।
मनोरंजन मे – वाटर पार्क, झरने, झील, विभिन्न जलाशयों का प्रयोग मनोरंजन के लिए किया जाता है। पर्यटक इस स्थानों पर जाकर तैराकी, नाव चलाना आदि करके आनंद लेते है।
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