अपशिष्ट पदार्थ
अपशिष्ट (waste) का शाब्दिक अर्थ ‘आवंछित’, ‘अनुपयोगी’, ‘वर्ज्य’, या ‘कचरा’ है। किसी भी पदार्थ का प्राथमिक उपयोग करने या होने के बाद जो शेष बचता है, उसे अपशिष्ट या अवांछित पदार्थ कहा जाता है। उदाहरण के लिए नगरपालिका (घरेलु कचरा ) , जल अपशिष्ट (सिवेज- शारीरिक मल-मूत्र ), रेडियोधर्मी अपशिष्ट इत्यादि ।
अपशिष्ट पदार्थ हम तीन भागो मे बाँट सकते है –
1. ठोस अपशिष्ट
2. द्रव अपशिष्ट
3. गैस अपशिष्ट
ठोस अपशिष्ट
मानव द्वारा उपयोग के बाद त्याग दिये जाने वाले ठोस तत्वों अथवा पदार्थों को ठोस अपशिष्ट कहते है। इसमे विविध प्रकार के डिब्बे, बोतल, काँच, पाॅलिथिन बैग, प्लास्टिक समान, राख, घरेलू कचरा, लौहा-लक्कड़ इत्यादि शामिल होते है।
ठोस अपशिष्ट, प्रबंधन के अंतर्गत अपशिष्टो तथा कचरो के समुचित संग्रह, डम्पिंग स्थलो पर इनका इकट्ठा करना तथा इनका समुचित निपटान सम्मिलित होता है। इस प्रकार ठोस अपशिष्ट प्रबंधन मे दो प्रक्रियाये सम्मिलित होती है– 1. संग्रह, 2. निस्तारण। इन प्रक्रियाओं के साथ ठोस अपशिष्ट प्रबंधन मे कभी-कभी पुनर्चक्रण प्रक्रिया का उपयोग भी किया जाता है। ठोस अपशिष्ट प्रमुख रूप से नगरीय तथा औद्योगिक क्षेत्रों से प्राप्त होते है।
द्रव अपशिष्ट
नालियों और सीवर का गन्दा पानी और उर्वरक, चमड़ा शोधन, विद्युत उत्पादन केन्द्रो तथा उद्योगोसे निकलने वाला गन्दा और विषैला जल द्रव्य अपशिष्ट को कहा जाता है।
गैस अपशिष्ट
रासायनिक उद्योगों में उत्पादित अधिकांश गैसीय अपशिष्ट औद्योगिक प्रक्रियाओं के उप-उत्पादों के रूप में उत्पादित होते हैं। आमतौर पर उत्पादित गैसीय रासायनिक कचरे में, कार्बन युक्त गैसीय अपशिष्ट सबसे आम गैसीय अपशिष्ट है जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, मीथेन, ईथेन और अन्य शामिल हैं।
गैसीय अपशिष्ट उत्पाद खतरनाक गैसें हैं जो मानव और पर्यावरण दोनों के लिए बेहद हानिकारक हैं और विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न होती हैं। सूची में कार्बनिक और अकार्बनिक गैस दोनों शामिल हैं। उनका जीवित दुनिया पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
अपशिष्ट के स्रोत
1. घरेलू अपशिष्ट
2. औद्योगिक अपशिष्ट
3. कृषि अपशिष्ट
4. जांतव अपशिष्ट
5. व्यापारिक अपशिष्ट
अपशिष्ट का निस्तारण
अपशिष्ट पदार्थों को अपनी स्थिति के अनुरूप पुन: उपयोगी बनाकर उनकी मात्रा कम करने की प्रक्रिया निस्तारण कहलाती है । अपशिष्ट पदार्थों में ठोस अपशिष्ट सर्वाधिक मात्रा में होते हैं । ठोस अपशिष्टों की मात्रा अधिक होने के कारण उनके निस्तारण में समस्याएँ आती हैं।
कचरे के प्रबंधन हेतु हमें 4 तत्व बताये गए है। जिसका हमें अनुसरण करना चाहिए।
R1. मना कीजिए – पाॅलीथीन एवं प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का उपयोग न करें तथा दूसरों को भी इसका भी उपयोग करने से रोकें।
R2. उपयोग कम – विभिन्न वस्तुओं का उपयोग अपनी आवश्यकतानुसार करें, जिससे अपशिष्ट कम निकलें।
R3. पुनः उपयोग – कुछ कचरा ऐसा होता है जिसका पुनः उपयोग किया जा सकता है। इस प्रकार चीजों को फेंकने के बजाय उन्हें दोबारा इस्तेमाल करने से कचरे के निपटान में मदद हो सकती है।
R4. पुनः चक्रण – बेकार एवं अनुपयोगी सामानों का रूप बदल कर उन्हें पुनः उपयोग में लाना पुनः चक्रण कहलाता है। हम अपने घरों में खराब हुए उपकरणों, वाहनों, अखबार, प्लास्टिक आदि को कबाड़ी को पुनःचक्रण के लिए दे सकते हैं।
ठोस अपशिष्ट पदार्थों का निस्तारण-
(क) जलाकर-अस्पतालों से निकलने वाले ठोस अपशिष्ट संक्रामक होते हैं। इसलिए इसे विशेष प्रकार की भट्ठियों में जलाना चाहिए। किन्तु अन्य ठोस अपशिष्ट जैसे-पाॅलीथीन, फसलों की डंठल, प्लास्टिक आदि को खुले स्थान में जलाना उचित नहीं है क्योंकि इससे निकलने वाला धुँआ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है और वायुमण्डल को भी प्रदूषित करता है।
(ख) भूमि भरण-ठोस अपशिष्ट के निस्तारण की यह सबसे पुरानी एवं उपयोगी विधि है। इसमें बस्ती से दूर बंजर या अनुपयोगी भूमि में अपशिष्ट को डालकर पतली तहों में फेंक दिया जाता है तथा मिट्टी से दबा दिया जाता है। आजकल इन कूड़े-कचरों का प्रयोग गड्ढों को भरने में भी किया जाता है।
(ग) कम्पोस्टिंग-जैविक कचरा जैसे-फलों एवं सब्जियों के छिलके, जानवरों के मल-मूत्र, सूखी पत्तियाँ एवं डालियाँ आदि को गड्ढे में दबाकर मिट्टी से ढक दिया जाता है। ये अपशिष्ट दो-तीन माह में गलकर जैविक खाद में बदल जाते हैं। इस प्रक्रिया को कम्पोस्टिंग कहते हैं। इस तरह से बनी खाद का उपयोग बगीचे एवं खेतों में कर सकते हैं। कम्पोस्टिंग, जैविक कचरे का पुनः चक्रण करने का सबसे अच्छा तरीका है। इससे हमें दो फायदे होते हैं-पहला हमें जैविक खाद प्राप्त होती है तथा दूसरा कचरे का निपटान भी हो जाता है।
गैसीय अपशिष्ट का निस्तारण-
ईंट भट्ठों/उद्योगों की चिमनियों को ऊँचा करके तथा उनमें धूम्र अवक्षेपक लगाकर गैसीय अपशिष्ट का उचित निस्तारण किया जाता है। इसी तरह बायो गैस का उपयोग घरेलू ईंधन के रूप में करके तथा लकड़ी, कोयला आदि से भोजन पकाने के स्थान पर गैस चूल्हे (एल0पी0जी0) का प्रयोग करके भी गैसीय अपशिष्ट की मात्रा को कम किया जा सकता है।
अपशिष्ट निस्तारण हेतु सरकारी प्रयास
सामुदायिक स्वच्छता बनाए रखने एवं अपशिष्ट पदार्थों के उचित निस्तारण के लिए विभिन्न इकाइयों द्वारा विविध प्रकार के कार्यक्रम और अभियान चलाए जा रहे हैं। हमें इनके बारे में जानकारी रखनी चाहिए तथा इन योजनाओं का भरपूर लाभ उठाना चाहिए।
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