अधिक अन्न उगाने तथा मकान बनाने के लिए वनों की अन्धाधुंध कटाई की जाती है। अधिक मकानों के बनने तथा कारखानों के लगाए जाने के कारण कृषि कम हो रही है। अधिक उद्योगों, और वाहनों से वातावरण प्रदूषित होता है। इससे ऊर्जा के स्रोतों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है।
ऊर्जा जीवन के लिए आवश्यक
ऊर्जा की सरल परिभाषा के अनुसार -ऊर्जा कार्य करने की क्षमता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा की माँग दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। वर्तमान में ऊर्जा का उपयोग मुख्य रूप से खाना बनाने, प्रकाश की व्यवस्था करने और कृषि कार्य में किया जा रहा है। 75 प्रतिशत ऊर्जा की खपत खाना बनाने और प्रकाश करने हेतु, उपयोग में लाया जा रहा है। ऊर्जा प्राप्त करने के लिए बिजली के अतिरिक्त स्थानीय स्तर पर उपलब्ध जैव ईंधन एवं केरोसिन आदि का भी उपयोग ग्रामीण परिवारों द्वारा बड़े पैमाने पर किया जाता है।
कृषि क्षेत्र में ऊर्जा का उपयोग मुख्यतः पानी निकालने के काम में किया जाता है। इन कार्यों में बिजली और डीज़ल भी उपयोग में लाया जा रहा है। देश में कृषि कार्यों में मानव शक्ति बड़े पैमाने पर व्यर्थ चला जाता है। यद्यपि ऊर्जा उपयोग का स्तर गाँव के भीतर अलग-अलग है, जैसे अमीर और गरीबों के बीच, सिंचाईपरक भूमि और सूखी भूमि के बीच, महिलाओं और पुरुषों के बीच आदि।
जल ही जीवन है
जल को हमारे जीवन का मूल्यवान धरोहर कहें या ये कहें कि इसके बिना जीवन के बारे में सोच भी नहीं सकते तो यह गलत भी नहीं होगा,क्योंकि जल है तो जीवन है। जल हमारी पृथ्वी में लगभग 71% है। इसमें से हमारी पीने योग्य केवल 3 प्रतिशत ही पानी है। जिसे अलवणीय जल कहा जाता है, और इसका बहुत छोटा भाग ही प्रयोग के लिए उपलब्ध है।
नदियों की शुद्धता और उनके प्रदूषण का कारण
हमारे प्रदेश को नदियों का प्रदेश भी कहा जाता है जहां गंगा, यमुना, गोमती, आदि कई नदियाँ बहती है। इन नदियों मे जल पहाड़ो पर जमी बर्फ से पिघलने से आती है। परन्तु हमारे देश की सभी नदियां प्रदूषित हो चुकी है जिन नदियों को हम मनुष्य पुजते भी है और मनुष्य ही प्रदूषित भी करते है जैसे गंगा, यमुना आदि।
शहरो के विस्तारीकरण और बढ़ते उद्योगों के कारण इस नदियों का प्रदूषण बढ़ रहा है। गंदे नालो और कारखानों से निकलने वाले कचरो को सींचे बडियों मे प्रवाहित कर दिया जाता है। जिससे नदियों मे फ्लोराइड और आर्सेनिक जैसे जानलेवा तत्व मिल चुके है। जो हमारे स्वास्थय के लिए हानिकारक है।
समुद्र एक बड़ा भंडार
1. तटीय शहरों में रहने वाले और होटलों के नगरपालिका कचरे और सीवेज को सीधे समुद्र में छोड़ दिया जाता है।
2. कृषि से कीटनाशक और उर्वरक जो बारिश से धुल जाते हैं पानी के पाठ्यक्रमों में और अंत में समुद्र में प्रवेश करते हैं।
3. पेट्रोलियम और तेल सड़कों से हटकर आम तौर पर सीवेज सिस्टम और अंत में समुद्र में प्रवेश करते हैं।
4. इसलिए समुद्र में जहाज दुर्घटनाएं और आकस्मिक छिडक़ाव समुद्री पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है।
5. समुद्र किनारे के तेल की खोज भी समुद्र के पानी को काफी हद तक प्रदूषित करती है।
वन हमारे रक्षक
1. वन मनुष्य जीवन के लिए महत्वपूर्ण है।
2. वन हवा को शुद्ध रखने मे सहायक करते है।
3. वनो से हमें ईंधन एवं इमरती लकड़ियाँ प्राप्त होती है।
4. वनो से हमें जड़ी बूटियाँ भी प्राप्त होती है।
5. अनेक आदिवासी प्रजातियाँ के जीविकोपार्जन का प्रमुख स्रोत वन ही है।
हम वनो के भक्षक
1. जनसंख्या बढ़ने के कारण मनुष्य पेड़ो को काटता जा रहा है।
2. वनो को मार्ग निर्माण व ईंधन के रूप मे उपयोग करने लगा है।
3. इस कारणो की वजह से हमारे वन नष्ट होते जा रहे है।
4. वनो के नष्ट होने से पर्यावरण सम्बन्धी समस्याएँ उत्पन्न हो रही है।
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