पर्यावरण
“परि” जो हमारे चारों ओर है”आवरण” जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है,अर्थात पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ होता है चारों ओर से घेरे हुए। पर्यावरण उन सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कारकों की समष्टिगत एक इकाई है जो किसी जीवधारी अथवा पारितंत्रीय आबादी को प्रभावित करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जीविता को तय करते हैं।
पर्यावरण की आवश्यकता एवं महत्व –
पर्यावरण से ही पृथ्वी पर जीवधारियों का अस्तित्व है। जैसे साँस लेने के लिए ओक्सिजन भी हमें पर्यावरण से मिलती है। इसी प्रकार जल भी समस्त जीवधारी के लिए भी आवश्यक है। यहाँ तक की हमरी मुलभुत आवश्कताओ अथवा भोजन, कपड़ा, पर माकंन की पूर्ति भी हमारी पर्यावरण ही करता है।
पर्यावरण के प्रकार –
पर्यावरण को दो भागो मे बाँट सकते है –
(i) प्राकृतिक (भौतिक) पर्यावरण
(ii) मानवीय (सामाजिक) पर्यावरण
प्राकृतिक पर्यावरण – प्राकृतिक पर्यावरण के अन्तर्गत वे सभी जैविक एवं अजैविक तत्त्व शामिल है, जो पथ्वी पर प्राकतिक रूप में पाए जाते हैं। इसी आधार पर प्राकृतिक पर्यावरण को जैविक एवं अजैविक भागों में बाँटा जाता है।
जैविक पर्यावरण – जैविक तत्वों में सक्ष्म जीव, पौधे एवं जन्तु शामिल है।
अजैविक पर्यावरण – जैविक तत्त्वों के अन्तर्गत ऊर्जा, उत्सर्जन, तापमान, ऊष्मा प्रवाह, जल, वायुमण्डलीय गैसें, वायु, अग्नि, गुरुत्वाकर्षण, उच्चावच एवं मृदा शामिल है।
(i) स्थलमण्डल
पृथ्वी का लगभग 29% भाग स्थलमण्डल है, जो अधिकांश, जीव-जन्तुओं तथा पेड़-पौधों का सार है। इसमें पठार, मृदा, खनिज, पहाड़, चट्टानें आदि शामिल हैं। जीवों को स्थलमण्डल दो प्रकार से सहायता करता है। एक तरफ वे इन जीवों को आवास उपलब्ध कराते है, तो दूसरी तरफ जीव चाहे स्थलीय हो या जलीय, उसके लिए खनिज का स्रोत स्थलमण्डल ही होता है।
(ii) जलमण्डल
जलमण्डल पर्यावरण का महत्त्वपूर्ण घटक है, क्योंकि यह पृथ्वी पर स्थलीय व जलीय जीवन को सम्भव बनाने वाला प्रमुख कारण है। जलमण्डल के अन्तर्गत धरातलीय व भूमिगत जल को सम्मिलित किया गया।
पृथ्वी पर स्थित जल अनेक रूपों में पाया जाता है. जैसे- महासागर , झीलें , बांध , नदियां , हिमनद , स्थल के नीचे स्थित भू-गार्भिक जल।
(iii) वायुमण्डल
वायुमण्डल जीवन के लिए एक महत्त्वपूर्ण घटक है, इसके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। वायुमण्डल में विभिन्न प्रकार की गैसें पाई जाती है जिसमें ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन डाई-ऑक्साइड महत्त्वपूर्ण हैं।
मानवीय पर्यावरण –मानव निर्मित पर्यावरण मानव निर्मित पर्यावरण के अन्तर्गत वे सभी स्थान सम्मिलित हैं, जो मानव ने कृत्रिम रूप से निर्मित किए हैं। अत: कृषि क्षेत्र, औद्योगिक शहर, वायुपत्तन, अन्तरिक्ष स्टेशन आदि मानव निर्मित पर्यावरण के उदाहरण हैं। जनसंख्या वृद्धि एवं आर्थिक विकास के कारण मानव निर्मित पर्यावरण का क्षेत्र एवं प्रभाव बढ़ता जा रहा है।
जीव जंतुओं की पारस्परिक निर्भरता
हमारे प्राक्रतिक पर्यावरण की रचना जैविक व् अजैविक घटको द्वारा होती है। ये दोनों घटक एक दूसरे के पूरक है। हरे पौधे सौर ऊर्जा का उपयोग करके अपना भोजन स्वयं बनाते है इसलिए ये स्वपोषी कहलाते है।
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