तत्वों की आधुनिक आवर्त सारणी नियम क्या है, दीर्घाकार आवर्त सारणी, खोजकर्ता
आधुनिक आवर्त सारणी
अंग्रेज भौतिकी वैज्ञानिक हेनरी मोज्ले ने तत्वों को उनके परमाणु क्रमांकों के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित करके एक नई आवर्त सारणी का निर्माण किया जिसे आधुनिक आवर्त सारणी (modern periodic table) कहते हैं।
इसके अनुसार, तत्वों के भौतिक व रासायनिक गुण उनके परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलन होते हैं। यह आधुनिक आवर्त नियम है। अर्थात् तत्वों को उनके परमाणु क्रमांकों के बढ़ते हुए क्रम से क्षैतिज पंक्तियों में व्यवस्थित करने पर एक नियमित अंतराल के बाद गुणों की पुनरावृत्ति होती है।
आधुनिक आवर्त सारणी की विशेषताएं
1. इसमें तत्वों को उनके परमाणु क्रमांकों के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित किया गया है।
2. आवर्त सारणी में 9 वर्ग हैं जो I से VIII तथा शून्य वर्ग में व्यवस्थित हैं।
3. एक वर्ग में तत्वों के गुणों की समानता होती है। तथा दूसरे वर्ग से गुणों में भिन्न होते हैं।
4. आवर्त सारणी में कुल 7 आवर्त हैं। जो संख्या 1 से 7 तक हैं।
5. इसमें ऊर्ध्वाधर स्तंभों को वर्ग कहते हैं। इनकी संख्या कुल 9 होती है।
6. आवर्त सारणी में क्षैतिज पंक्तियों को आवर्त कहते हैं इनकी कुल संख्या 7 होती है।
आवर्त सारणी का वर्तमान स्वरूप
तत्वों के परमाणु क्रमांक तथा बाह्यकोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होने के कारण ज्ञात हुआ कि जिन तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक 9. विन्यास समान होते हैं। उन तत्वों के गुणों में समानता देखी जाती है।
अतः यह ज्ञात होता है कि तत्वों के भौतिक व रासायनिक गुण उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास आवर्ती फलन होते हैं।
रांग, वर्नर, बरी तथा कई अन्य रसायनज्ञों ने इलेक्ट्रॉनिक विन्यासों को तत्वों के वर्गीकरण का आधार मानकर एक आवर्त सारणी का निर्माण किया। जिसे आवर्त सारणी का वर्तमान स्वरूप या दीर्घाकार आवर्त सारणी (long form periodic table in Hindi) कहते हैं।
दीर्घाकार आवर्त सारणी के लक्षण
1. दीर्घाकार आवर्त सारणी में क्षैतिज पंक्तियों को आवर्त कहा जाता है। जिनकी संख्या सात होती है। प्रथम आवर्त में दो तथा इसके बाद क्रमशः 8, 8, 18, 18 तथा 32 तत्व हैं। एवं सातवां आवर्त अपूर्ण है।
2. दीर्घाकार आवर्त सारणी में ऊर्ध्वाधर स्तंभों को वर्ग कहते हैं। IUPAC पद्धति के अनुसार यह वर्ग क्रमशः 1, 2, 3 …….16, 17, तथा 18 तक की संख्या को वर्गों में निरूपित किया गया है।
3. आवर्त सारणी में प्रत्येक आवर्त का प्रथम तत्व क्षार धातु तथा अंतिम तत्व अक्रिय गैस है। जैसे तृतीय आवर्त का पहला तत्व लीथियम तथा अंतिम तत्व निओन (अक्रिय गैस) है।
4. आवर्त सारणी में वर्ग-1 के तत्वों को क्षारीय धातु (हाइड्रोजन को छोड़कर) तथा वर्ग-2 के तत्वों को क्षारीय मृदा धातु कहते हैं।
5. आवर्त-6 में Ce से Lu तक 14 तत्वों को सारणी के बाहर नीचे की ओर एक क्षैतिज पंक्ति में अलग से रखा गया है इन्हें लैंथेनाइड श्रेणी (4f) कहते हैं।
6. आवर्त-7 में Th से Lr तक 14 तत्व को आवर्त सारणी के बाहर नीचे की ओर एक अलग से क्षैतिज पंक्ति में रखा गया है जिन्हें एक्टिनॉयड श्रेणी (5f) कहते हैं।
7. आवर्त सारणी में तत्वों को उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर चार ब्लॉक में बांटा गया है।
s-ब्लॉक, p-ब्लॉक, d-ब्लॉक तथा f-ब्लॉक
दीर्घाकार आवर्त सारणी के गुण
1. सारणी के तत्वों को उनके गुणों की समानता के आधार पर प्रत्येक वर्ग के उपवर्ग A तथा B में अलग अलग रखा गया है।
2. इस सारणी में तत्वों को उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर रखा गया है जिस कारण सारणी में बाएं से दाएं और जाने पर प्रत्येक आवर्त के तत्वों में एक एक इलेक्ट्रॉन बढ़ता है।
3. इस सारणी में तत्वों के समस्थानिकों के स्थान में कोई समस्या नहीं है।
4. इस सारणी में संक्रमण तत्वों को सामान्य तत्वों से अलग एक स्थान पर एक साथ रखा गया है।
5. इसमें लैंथेनाइड और एक्टिनाइड श्रेणियों को सारणी से अलग नीचे की ओर अलग पंक्ति में रखा गया है।
दीर्घाकार आवर्त सारणी के दोष
1. इसमें लैंथेनाइड और एक्टिनाइड श्रेणियों के तत्वों के एक आवर्त में स्थान न होना।
2. हाइड्रोजन के लिए एक उचित व निश्चित स्थान न होना।
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