नील बोर का परमाणु मॉडल, मूल अभिगृहीत, सीमाएं, परिभाषा
बोर का परमाणु मॉडल
डैनिश भौतिकी वैज्ञानिक नील बोर ने रदरफोर्ड द्वारा प्रस्तुत नाभिकीय मॉडल के दोषों को प्लांक के क्वांटम सिद्धांत की सहायता से दूर किया। और एक मॉडल प्रस्तुत किया, जिसे बोर का परमाणु मॉडल (bohr atomic model) कहते हैं।
बोर के परमाणु मॉडल के मूल अभिगृहीत
प्रथम अभिगृहीत
इलेक्ट्रॉन केवल उन्हीं कक्षाओं में घूमते हैं जिनका कोणीय संवेग h/2π का पूर्ण गुणज होता है।
जहां h प्लांक नियतांक है जिसका मान 6.6 × 10-34 जूल-सेकंड होता है।
माना m द्रव्यमान का एक इलेक्ट्रॉन, r त्रिज्या की कक्षा में, v वेग से घूम रहा है तो इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग mvr होगा। तब बोर के इस अभिगृहीत के अनुसार
mvr = \( \frac{nh}{2π} \)
जहां n एक पूर्णांक है जिसे मुख्य क्वांटम संख्या कहते हैं।
नाभिक के चारों ओर अनेक कक्षाएं होती हैं लेकिन इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओरर कुछ निश्चित कक्षाओं में घूमते हैं। सभी कक्षाओं में नहीं घूमते हैं। इन निश्चित कक्षाओं को स्थायी कक्षा कहते हैं।
द्वितीय अभिगृहीत
किसी भी स्थायी कक्षा में घूमते हुए इलेक्ट्रॉन ऊर्जा का उत्सर्जन नहीं करते हैं। क्योंकि उनमें अभिकेंद्र त्वरण होता है। जिस कारण परमाणु का स्थायित्व बना रहता है।
तृतीय अभिगृहीत
जब किसी परमाणु को बाहर से कोई ऊर्जा मिलती है तो उसका कोई इलेक्ट्रॉन अपनी कक्षा छोड़कर किसी ऊंची कक्षा में चला जाता है। अर्थात उत्तेजित अवस्था में चला जाता है जैसे चित्र में दिखाया गया है।
परंतु ऊंची कक्षा में इलेक्ट्रॉन केवल 10-8 सेकंड ही ठहर कर तुरंत ही अपनी नीची कक्षा में वापस लौट आता है। तथा वापस लौटते समय दोनों कक्षाओं में ऊर्जा के अंतर को विद्युत चुंबकीय तरंगों के रूप में उत्सर्जित कर देता है।
यदि ऊंची कक्षा में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा E1 तथा नीची कक्षा में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा E2 तथा उत्सर्जित तरंग की आवृत्ति v है। तो
hv = E2 – E1
v = \(\frac{E_2 – E_1}{h}\)
इस आवृत्ति को बोर की आवृत्ति प्रतिबंध कहते हैं।
बोर के परमाणु मॉडल के दोष
बोर का परमाणु मॉडल में भी कुछ दोष पाए गए। अर्थात यह परमाणु संबंधी सभी बातों की व्याख्या नहीं कर सका। कुछ दोष निम्न प्रकार है –
(1). बोर का परमाणु मॉडल स्पेक्ट्रम रेखाओं की व्याख्या करने में असफल रहा।
(2). बोर के परमाणु मॉडल द्वारा जेमान प्रभाव की व्याख्या नहीं की जा सकी।
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