Important Questions For All Chapters – हिंदी Class 9
लघु प्रश्न
1. धर्मवीर भारती का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर: 25 दिसंबर, 1926 को इलाहाबाद में।
2. ‘ठेले पर हिमालय’ शीर्षक कैसे आया?
उत्तर: बर्फ के ठेले को देखकर।
3. लेखक किसकी शोभा का वर्णन करता है?
उत्तर: हिमालय की।
4. कौसानी क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर: इसके प्राकृतिक सौंदर्य के लिए।
5. लेखक ने यात्रा की शुरुआत कहाँ से की?
उत्तर: नैनीताल से।
6. कोसी तक का सफर कैसा था?
उत्तर: कष्टप्रद और सूखा।
7. शुक्लजी ने कौसानी के बारे में क्या कहा?
उत्तर: स्विट्जरलैंड जैसा।
8. हिमालय को किसने ‘चिरंतन हिम’ कहा?
उत्तर: विदेशियों ने।
9. कत्यूर घाटी का वर्णन कैसा है?
उत्तर: हरे मखमली खेतों और नदियों से भरा।
10. लेखक का मन कल्पनाहीन क्यों हो गया था?
उत्तर: हिमालय के अद्भुत दृश्य देखकर।
11. हिमालय की बर्फ देखकर लेखक को कैसा लगा?
उत्तर: ठंडक और शांति।
12. कौसानी में लेखक ने कौन-सी घाटी देखी?
उत्तर: कत्यूर घाटी।
13. हिमालय का कौन-सा हिस्सा लेखक को दिखा?
उत्तर: बर्फ से ढके शिखर।
14. गांधीजी ने कौसानी में कौन-सा ग्रंथ लिखा?
उत्तर: अनासक्ति योग।
15. लेखक का मन बार-बार कहाँ लौटना चाहता है?
उत्तर: हिमालय की ऊँचाइयों पर।
16. कौसानी पहुँचने पर लेखक का पहला अनुभव कैसा था?
उत्तर: निराशाजनक।
17. लेखक ने गोमती नदी में क्या देखा?
उत्तर: हिमालय की छवि।
18. लेखक ने कौसानी को किसके समान बताया?
उत्तर: स्विट्जरलैंड।
19. सूर्यास्त के समय बर्फ का रंग कैसा दिखता है?
उत्तर: केसरिया।
20. लेखक का मन हिमालय देखकर क्यों पिघल गया?
उत्तर: उसकी सुंदरता और विशालता के कारण।
दीर्घ प्रश्न
1. धर्मवीर भारती का साहित्य में क्या योगदान है?
उत्तर: धर्मवीर भारती ने निबंध, कविता, कहानी और नाटक में उत्कृष्ट रचनाएँ दीं। उनकी भाषा खड़ीबोली, सजीव और प्रभावशाली है। ‘गुनाहों का देवता’ जैसे उपन्यास और ‘अंधा युग’ जैसे नाटक उन्हें अमर बनाते हैं। उनके साहित्य में समाज और मनोविज्ञान की गहरी समझ है।
2. ‘ठेले पर हिमालय’ शीर्षक का महत्व क्या है?
उत्तर: यह शीर्षक हिमालय के सौंदर्य और ठेले पर रखे बर्फ के टुकड़े के बीच संबंध को दर्शाता है। लेखक ने बर्फ के ठेले को देखकर हिमालय की याद की। यह शीर्षक रोचक और पाठ की आत्मा को व्यक्त करता है। इसे देखकर हिमालय की विशालता और सौंदर्य का अनुभव होता है।
3. लेखक ने कौसानी के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन कैसे किया?
उत्तर: कौसानी की कत्यूर घाटी में हरियाली, मखमली खेत, लाल रास्ते और सफेद पत्थरों की कतारों का चित्रण किया है। यहाँ की नदियाँ बेलों की लड़ियों जैसी प्रतीत होती हैं। घाटी के दृश्य अद्वितीय और दिव्य दिखते हैं। हिमालय का शांत सौंदर्य यहाँ से अद्भुत दिखाई देता है।
4. हिमालय को देखकर लेखक के मन में क्या भाव उत्पन्न हुए?
उत्तर: हिमालय देखकर लेखक को ठंडक और शांति का अनुभव हुआ। उसे जीवन के संघर्ष और दुखों से मुक्ति का अहसास हुआ। हिमालय की प्राचीनता और स्थायित्व ने उसे बहुत प्रभावित किया। इसने उसके भीतर नई ऊर्जा और सकारात्मकता भर दी।
5. शुक्लजी का वर्णन करते हुए लेखक ने क्या कहा?
उत्तर: शुक्लजी प्रसन्नचित और ऊर्जावान व्यक्ति थे। उनकी उपस्थिति से लेखक और उनके साथी को उत्साह मिलता था। वे यात्रा के हर मोड़ पर ऊर्जा से भरे रहते थे। उनका व्यक्तित्व प्रेरणादायक और मित्रवत था।
6. कत्यूर घाटी का दृश्य कैसा था?
उत्तर: कत्यूर घाटी में हरे-भरे खेत, नदियाँ, और रंग-बिरंगी सुंदरता थी। यह दृश्य दिव्य और स्वर्गीय प्रतीत होता था। घाटी में यक्ष और किन्नरों के वास का आभास होता था। इसने लेखक को मंत्रमुग्ध कर दिया।
7. लेखक ने सूर्यास्त के समय हिमालय को कैसे देखा?
उत्तर: सूर्यास्त के समय हिमालय के शिखर केसरिया रंग में बदल गए। ग्लेशियर लाल कमल जैसे लग रहे थे और घाटियाँ नीली हो गईं। यह दृश्य मनोहारी और अद्वितीय था। इसे देखकर लेखक आत्मविभोर हो गया।
8. लेखक ने हिमालय की प्राचीनता का वर्णन कैसे किया?
उत्तर: लेखक ने हिमालय को चिरंतन और अविनाशी बताया। हिमालय की बर्फ सदियों से वहाँ स्थिर है। यह आदिम काल से शांति और शीतलता का प्रतीक रहा है। इसकी स्थायित्व ने लेखक को गहराई से प्रभावित किया।
9. गोमती नदी में लेखक ने क्या अनुभव किया?
उत्तर: गोमती नदी में हिमालय की छवि तैर रही थी। लेखक ने इस छवि को देखकर उसे महसूस किया। वह इस अनुभव में खो गया और इसे अपने भीतर सहेज लिया। यह क्षण लेखक के लिए अविस्मरणीय रहा।
10. हिमालय की तुलना लेखक ने किससे की और क्यों?
उत्तर: लेखक ने हिमालय को बड़े भाई की तरह प्रेरणादायक बताया। यह छोटों को ऊँचाइयों तक पहुँचने के लिए प्रेरित करता है। हिमालय की ऊँचाई और स्थायित्व उसे जीवन की चुनौतियों से निपटने की शक्ति देते हैं। इसने लेखक को नई ऊर्जा और आत्मविश्वास से भर दिया।
11. लेखक ने हिमालय को देखकर साधकों के जीवन से क्या जोड़ा?
उत्तर: लेखक ने हिमालय को शांति और ताप नष्ट करने का प्रतीक माना। उन्होंने महसूस किया कि पुराने साधक दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टों से मुक्ति के लिए हिमालय की शरण में जाते थे। हिमालय की बर्फ की शीतलता उनके मानसिक और शारीरिक ताप को समाप्त करती थी। यह शाश्वत स्थान साधना और आत्मशांति का प्रतीक है।
12. लेखक ने यात्रा के दौरान आने वाले कठिन रास्तों का वर्णन कैसे किया?
उत्तर: लेखक ने नैनीताल से कौसानी तक के रास्ते को सूखा, कठोर और थका देने वाला बताया। रास्ते में पानी का अभाव और भूरे पहाड़ थे। टेढ़े-मेढ़े खेतों की एकरूपता ने लेखक को बोर कर दिया। मझकाली के दुर्गम मोड़ों और बस की खस्ता हालत ने सफर को और कठिन बना दिया।
13. सेन के चरित्र का वर्णन लेखक ने किस प्रकार किया?
उत्तर: सेन एक मशहूर चित्रकार था, जो सरल और मिलनसार स्वभाव का था। उसकी अटपटी चाल और उत्सुकता ने यात्रा को रोचक बना दिया। वह हिमालय के प्रति भावुक था और अलग-अलग दृष्टिकोण से उसे देखने का प्रयास करता था। उसकी चंचलता और कला के प्रति प्रेम उसे अनूठा बनाते थे।
14. बर्फ के दर्शन से लेखक और उनके साथियों के मनोभाव कैसे बदले?
उत्तर: हिमालय की बर्फ का पहला क्षणिक दर्शन मन में उमंग भर देता है। लेखक और उसके साथी की सारी थकावट और निराशा तुरंत दूर हो गई। उन्हें ऐसा लगा जैसे हिमालय उनके संघर्षों का उत्तर दे रहा हो। बादल छँटने और हिमालय का दृश्य पूरी तरह प्रकट होने पर वे अभिभूत हो गए।
15. लेखक ने चाँदनी रात में हिमालय को देखकर क्या अनुभव किया?
उत्तर: चाँदनी रात में हिमालय शांत और सोता हुआ प्रतीत होता था। लेखक का मन पूरी तरह खाली और शब्दहीन हो गया। उसे ऐसा लगा कि उसकी कल्पना हिमालय की विशालता के सामने तुच्छ है। इस अनुभव ने उसे आत्ममंथन और नई ऊँचाइयों तक पहुँचने की प्रेरणा दी।
Leave a Reply